सोमवार का दिवस भगवान शिव को समर्पित है व यह व्रत मनोकामना की पूर्ति हेतु किया जाता है, जिससे निर्धनता दूर होकर घर परिव veo में सुख सुख समृद समृद की वृद वृद होती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। favorora सारे भय तथा कष्ट दूर होकर सुख और शांता
इस व्रत के देवता चन्द्रमा है, अतः यह चन्द्रवार भी कहलाता है।।।।।।। चन्द्रमा स्वयं औषधिपति हैं तथा उनकी किरणें शीतलता फैलाती हैं। इसी प्रकार यह व्عL. सोमवार के व्रत में चन्द्रशेखर शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है।।।।।
किसी भी मास के प्रथम सोमवार से यह व्रत आरंभ किया जा सकता है, किन्तु प्रagaendo. विशेषकर सावन के दस सोमवार का व्रत विशेष महत्व रे रै शास्त् Proucc a इस दिन की पूजा में सभी सफेद वस्तुओं का प्रयोग होा इस दिवस भगवान शिव, म siguez इस व्रत में या तो फलाहार या दही-दूध, खीर एक समय खाया जा सकता है। दान में सफेद कपडे़ या चांदी का सिक्का देते हैं। दिन में शिव साधना तथा चन्द्र संबंधी स्तुतियां पढ़ी जाती हैं।
यह एक रात्रिकलीन साधना है। स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर पीले असान पर बैठे व अपने समक्ष सद्गुरूदेव, भगवान शिव का चित्र स्थ क razón क flor
ध्यान के ब siguez
सोलाह सोमवार या एक वर्ष जितने भी व्रत का संकल्प लिया है, तब तक जप कर अन्तिम दिवस पर यंत्र नदी विस विसर्जित कर दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे दे
शौर्य और साहस के देवता मंगल इस वार के अधिष्ठाता ये पृथ्वी पुत्र हैं। इनके प्रसन्न होने से शत्रुनाश होता है। मंगल के व्रत से गरीबी दूर होती है तथ sigue. महाबली हनुमान का जन्म मंगलवार को हुआ था, अतः दिन दिन हनुमान जी की पूजा होती है।।।।।।।।।।। हनुमान जी के लिये व्रत और पूजन करने से मंगल ग्रह के भी भी शांत हो जाते हैं।।।।।।।।।
किसी भी मास की अम sigue. यह व्रत किसी विशेष लक्ष्य प्रagaप्ति या फल की कामना से प्रagaंरभ किया जाता है कम से कम इक इक्कीस या पैंतालीस मंगलवार का व्रत कû चाहिये।।।। च च च dos मंगल ग्रह क sigue.
अतः इस दिन की पूज mí प्रagaतः काल स्नान कर हनुमान जी के चित्र या मूर्ति को लाल रंग के गुड़हल या गुलाब की मालाते हैं हैं।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं eléctrica लाल ही चन्दन घिस कर लगाते है। मंगलवार के दान में लाल ¢ के कपडे़, तांबे के बरतन आदि दिये जाते हैं।।।।।।।।
मंगलवार को प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर लाल वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर मुख कर लाल आसन ग्रहण करें, अपने समक्ष सद्गुरू, भगवान हनुमान का चित्र व मंगल यंत्र स्थापित करें, लाल पुष्प चढ़ाये पूर्ण पंचोपचार पूजन के पश्चात हनुमान जी का ध्यान करें -
हनुमान माला से निम्न मंत्र की 7 माला,
संकल्पित दिनों तक व्रत करने के पश्चात यंत्र नदी में प्रवाहित कर दे।।।।।
बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन के देवता बुध है जो चन्द्रमा के पुत्र हैं।।।।।। ग्रहों में इनकी स्थिति आकाश में चन्द्रमा के ऀाॸहै विद्या, वाणी कौशल और बुद्धिके लिये बुध की पूजा और व्रत सम्पन्न किया जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के बुध ग्रह की अशुभ दशा शुभ हो जाती है।।।। बुध के दिन जन्म लेने वाला बालक प्रतापी और बुद्धिमान होता है तथा कठिन कार्यो को सरल बना देता है।।।।।।।।।।
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से यह व्रत शुरू किया जा सकता है। कम से कम सात बुधवार का व्रत अवश्य रXNUMX बुधवार के व्रत में हरे रंग के वस्त्र धारण करनाथह
इस दिन बुध देवता की धूप दीप नैवेद्य से पूज mí खाने में व्रत खोलते समय मूंगा की दाल खिचड़ी ग्रहण करने के बाद ही अन्य भोजन लिया जाता है।।।।
बुधवार की प्रagaतः काल स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लाल आसन पर बैठ जाये। आपने सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र विछाकर सद्गुरू चित्र, भगवान गणेश व बुध यंत्र को स्थापित कर पंचोपचoque पूजन पूजन सम्न कguna, ह फल फल ल ल पुष ल razón.
11 XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX
Después de observar el voto, sumerja el Yantra en el río.
बृहस्पतिवार का व्रत देवगुरू बृहस्पतिवार की प्रसन्नता हेतु किया जाने व marca व्रत है।।।।।।।।।। नवग्रहों में बृहस्पति ग्रह सबसे बड़े हैं। इस व्रत से सारे ग्रह प्रसन्न हो जाते हैं। हृदय के परिष्कार के लिये यह व्रत करना चाहिये। देवगुरू होने के साथ बृहस्पति बुद्धि के भी देवहॾ देवहॾ
यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से शुरू किया जा सकता है।।।।।।। कम से कम सोलह बृहस्पतिवार तक व्रत अवश्य करना हइाय इस व्रत में पीले रंग की वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाता है।। भगवान बृहस्पति की पूज mí
बृहस्पतिव razor
अपने सामने सद्गुरूदेव जी, भगवान विष्णु का चित्र व बृहस्पति यंत hubte पीले पुष्प अर्पित करें, पीले फलों का भोग लागये व व्रत का संकल्प लें।।।।। भगवान विष्णु का -
विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ कecer
संकल्पित व्रत पूर्ण होने के पश्चात अन्तिम बृहस्पतिवार को यंत्र नदी में प्रवाहित करे दे।।।।।।।।।।।।
यदि ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति का शुक्र ग्रह अनिष्टकारी हो तो उसकी शांति के लिये शुक्रवार का व्रत लाभकारी सिद्ध होता है और यदि किसी का शुक्र ग्रह अनुकूल और प्रबल हो तो विद्वत्ता, वाणी कौशल और धन सम्पत्ति आदि सब उस व्यक्ति को स्वतः प्राप्त होती है ।
शुक्र तार marca ढ महीने के लिये अस्त होता है और उतने समय तक कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता शुक्रवûendr का वtherv. प्राप्ति संभव होती है। शुक्रवार के व्रत वा उपवास रखने से देवी लक्ष्मी व माँ संतोषी प्रसन्न होती है, इस व्रत को शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है और कम से कम इकतीस व्रत अवश्य किये जाने से ही उचित फल की प्राप्ति संभव होती है। इस व्रत में सफेद वस्तुओं का प्रयोग होता स sigue.
शुक्रवार प्रagaतः स्नान आदि से निवृत्त होकर सफेद वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जाये अपने समने सद्गुरू, देवी लक्ष्मी या संतोषी माँ का चित्र, व शुक्र यंत्ág. पूर्ण पंचोपचार पूजन सम्पन्न करें। श्वेत पुष्प चढ़ाये खीर व बताशे का भोग लागये। माता लक्ष्मी का -
Recita Lakshmi Chalis, completa 11 rondas de canto del siguiente mantra con Shukra Mala.
संकल्पित व्रत पूर्ण होने पर अन्तिम शुक्عaga को पूजन के पश्चात यंत्र नदी में प्रवाहित कर दें।।।।।।
साocarे ग्रहो में शनि शनि देवता क mí क प tercriba सबसे सबसे कष्टदायी माना जात va है, अतः शनिव mí. ये सूर्य की छाया नामक पत्नी से उत्पन्न पुत्र है॥ आकाश में शनिग्रह अत्यन्त सुंदर दिखते हैं क्योंकि उनके चारों ओecer किन्तु व्यक्ति की जन्मराशि पर जब शनि देव की दृष्टि पड़ती है तो वह समय बहुत कष्टकाisiones
Cuando Shani Dev está enojado, hay varios problemas y problemas, hay miedo a la muerte y, por otro lado, cuando Shani Dev está feliz, hay un aumento en la felicidad, la prosperidad, la salud, así como la administración y la justicia. en la capacidad de liderar Hay un aumento.
शनिवार का व्रत भी अन्य व्रतों के समान ही है, फिर भी इस व्रत में बहुत सावधानी अपेक्षित होती।।।।।।।।।।।।।।। यह व्रत शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से प्रagaंरभ किया जा सकता है कम से कम उन्नीस शनिवार का व्रत अवश्य करना चाहिये।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ।ija।।।।।। ।ija।।। ।ija.
प्रagaतः काल स्नानादि से निवृत्त हो काला कपड़् अवश्य पहने क्योंकि शनिवार के व्रत में काले ¢ की बहुत महत्ता है।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है eléctrica पूजा स्थान साफ करके शनिदेव की मूर्ति, या चित्र व यंत्र रखें साथ में भगव mí शनिदेव के चित्र के साथ ही हनुमान जी का चित्र रखना आवश्यक होता है
सारी व्यवस्था करने के पश्चात् धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करके शनि स्तोत्र का पाठ करें और साथ ही हनुम चguna चालीसा का पाठ भी अवश्य करें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। चija. शनि ध्यान -
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संकल्पित व्रत पूर्ण होने पर अंतिम शनिवार को पूजन पश्चात साधना सामग्री को नदी में विसivamente कर दें।।।।।।।। शनिदेव का रंग काला है अतः उन्हें काले ही रंग की वस्तुओं का भोग लगाया जाता है जिसमें काले तिल के लड्डू, उड़द के आटे के लड्डू।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि eléctrico eléctrica इस दिन तांबे या लोहे के कीले व बरतन में सरसों का तेल, काली छतरी, काला कंबल, काले तिल आदि दान में दिये जाते है।।।।।।।।।।।।।।।
सौर मण्डल में सबसे तेजस्वी ग्रह सूर्य देव है, इनके व्रत से व्यक्ति तेजस्वी होता है, कार्य-क्षेत्र, मान-सम्मान में बढोतरी होती है, मनोबल बढ़ता है, वर्चस्व स्थापित होता है, शत्रु पर विजय प्राप्त होती है, व अन्य मानसिक कष्ट दूर होते है। यह व्रत किसी भी प्रकार के चर्मरोग से मुक्ति ताथलह
रविवार के बारह व्रतों का संकल्प लिया जाता है। सूर्योदय व सूर्यास Est "
रविवार के दिन सवेरे स्नान कर, लाल रंग के वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें।।।।।। पूजा स्थल को स्वच्छ कर भगवान सूर्य, भगवान गणपति, सद्गुisiones धूप, दीप, नैवेद्य, ल siguez भगवान सूर्य -
7 माला
अंतिम ivamente विव पूजन पूजन पश्चात् सूर्य यंत्र को में में प्रवाहित कर दें।।।।।।। भोजन सूर्यास्त से पहले ग्रहण करें।
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