भारतीय अध्य florar भगवत्पाद शंकर marcaacho-ने सौन्दरorar. शक्ति ही शिव की आत्मा है। बिना आत्मा के शरी llegar. अर्थात् -जब भगवान भी शक्ति के बिना शव रूप में है तो सामान्य मनुष्य की स्थिति बिना शक्ति के किस तरह की होगी होगी होगी की की की की की की की होगी की की की की होगी की की की की की की की होगी होगी की की होगी की की की की eléctr.
यदि सही अर्थों में देखा जाय, तो सृष्टि का प् Estario शक्ति तत्तorar ही पड़ता हैं। फिर भी कुछ क्षण विशेष, प्रकृति माँ ने निर्मित किये है, जिनमें की की कृप mí ऐसा ही क्षण होता है शारदीय नवर gaste
अर्थात्- शारदीय नवरात्रि में जो स mí
इसी प्रकार जब समस्त देवताओं के शरीर से तेज पुं ज निकल कर, जो मूर्ति बनी, जो अवतरण हुआ उसे जगदम्ब ा, दुर्गा कहा गया। Ver más प्राप्ति के शस्त्र हैं, जिनके चेहरे पर अद्भुत तेज है जो युद्ध में भीषण हुंकार भरने वाली सिंह पर आरूढ़, शत्रुओं का दमन करने में तत्परता स े निरन्तर अग्रसर होने वाली है और देवताओं की सभी प्रकार से रक्षा करने वाली है।
भगवती के इस स्वरूप का देवताओं ने भी अनुभव किय mí इनकी तेजस्विता से तो अपने आप समस्त संसार प्रकाशित हो रहा है, इनकी आवाज से सारा विश्व चलायमान है, जिनकी हुंकार से दैत्यों के हृदय कांपने लगे हैं, जो प्रहार करने में वज्र की तरह समर्थ है, मगर साथ ही साथ मातृ स्वरूपा भी हैं, जो अपने भक्तों और साधकों की रक्षा करने में सदैव तत्पर रहती हैं एवं भगवती दुर्गा तो महाकाली बनकर शत्रुओं का संहार करने में समर्थ हैं, महालक्ष्मी बनकर शिष्यों और साधकों को सम्पन्नता देने में समर्थ हैं, महासरस्वती बनकर जो मनुष्यों को बुद्धि और चेतना देने में समर्थ हैं।
भगवती जगदम्बा मात्र कोई देवी ही नहीं अपितु सम स्त विश्व की अधिष्ठात्री हैं, जो निद्रा विद्यमान हैं, क्षुधा में भी विद्यमान है, तथा पाल न-पोषण करने वाली हैं, जिनके सैकड़ों नाम हैं, अने को रूप है, जिनके हाथ में चक्र, परशु , गदा, धनुष, वज्र और विविध आयुध हैं।
मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि जो साधक पूर्ण सutar ऐसे व्यक्ति को ही जीवन में विजय की प्राप्ति हो।ह अभाव, परेशानी या चिन्ता या तकलीफ नहीं आ सकती।
प्रत्येक व्यक्ति, संन्यासी, योगी इस प्रकार की साधना को सम्पन्न करने में गौरव अनुभव करते है औ razón जह जह कलियुग कलौ विन विन विन विन Nija कलियुग म म मija कलियुग व व देवत • में में शीघ शीघ व देवत देवत देवतija शीघ्र सिद्धिदायक है। जगदमorar स sigue तो तो अत uto सरल और औ sig स sigueम efन है, जिसे जिसे कोई भी भी ब razuar य sigue वृदervध, साधक या स mí razor सम Sसम uto कuestos सकते है है।।।।।। है है है है है है।।।।।। सकते सकते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. साधना करने से हाथों-हाथ फल मिलता है, जैसे व्यापाometría, धन, स्वास्थ्य, परिवार की सुरक Dav "
Ver más ीवन की श्रेष्ठ व पूर्ण साधना माना गया है, मैंने अ पने जीवन में स्वयं अनुभव किया है, कि जो कार्य अन ्य प्रकार से या अन्य देवताओं की साधना से सम्पन् न नहीं होता है, वह भगवती जगदम्बा की कृपा द्वारा शीघ्र सहज और सामान्य तरीके से सम्पन्न है। शरीर के चक्रों को जाग्रत कर कुण्डलिनी जागरण व ब्रह्माण्ड भेदन क्रिया आदि सम्पन्न होती है।
नवरात्रि स्थापना दिवस पर स्नान कecer पूजन स्थान को स्वच्छ कर एक बाजोट पecer चित्र के समक्ष एक ताम्रपत्र में जगदम्बा सिद्धि यंत्र को स्थापित करें। यंत्र के बायीं ओर चावलों की ढेरी बना कर उस पर सर्व सिद्धिप्रद गुटिका को सutar. पूजन से पूर्व सभी पूजन सामग्री को अपने पास रत ले
पूजन सामग्रीः चौकी, लाल वस्त्र, अगरबत्ती, दीपक, पुष्प, फल, कलश, मिठाई, पंचामृत, नारियल, वस्lex जगदमgon.
ॐ Ya sea inmundo o limpio, o en todos los estados.
Ver más चिः।।
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ॐ Amritopastaranamasi Svaha.
ॐ Amritapidhanamasi Svaha.
ॐ La Verdad, la Fama, la Prosperidad y la Prosperidad descansan en mí.
Mano derecha sosteniendo arroz en mano izquierda
से चारों दिशाओं -
ॐ अपसर्पन्तु ते भुताः ये भुत mí
ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तू
Deja que los fantasmas y demonios se alejen en todas direcciones
Comienzo los rituales de adoración sin contradicción con todos
संकल्प दाहिने हाथ में जल लेकर कुंकुम, अक hubte
ॐ विष्णु र्विष्णु र्विष्णु श्रीमद् भगवतो
ब्रह्मणोऽह्रि द्वितीय परा Para ve uto श्वेतवार marca
खण्डे आश्विन नवरात्रि स्थापना दिवसे अमुक
अमुक गोत्रोत्पन्नःअमुक (नाम) सकल सिद्धि मनोकामना प्रagaप्ति, सुख सौभाग्य, धन, धान्य प्रagaप sup las जल भुमि में छोड़ -
गणपति का ध्यान -
Om Gajananam Bhuta Ganadhisevitam,
Kapittha jambu charu de frutas comiendo.
उमासुतं शोक विनाशकारकं
Me inclino ante los pies de loto del Señor Vighnesvara.
Meditación Shree Gurú
El mar de la conciencia atado en medio de un loto de dos pétalos.
Llevaba un cuerpo hecho de Shiva en beneficio de los buscadores.
Shrutishirasivibhantam bodhamartandamurtim.
Medito en Sri Guru, cuya oscuridad y dolor han sido subyugados.
Ofrezco mi meditación a los pies de loto de Sri Guru.
Establecimiento Kalash- कलश के भीतर एक रूपयok डालें तथा कलश ऊपatar कलश पर मौली लपेट -
Vishnu está sentado en la boca de la urna y Rudra en el cuello.
Ver más ता।।
गायत्री सावित्री शान्तिः पुष्टिकरी
Durga Perdón Shiva Dhatri Swadha
Acepta mi adoración, oh hermosa cara, te ofrezco mis reverencias.
Adoración yantra दूध, दही, शहद, शक्कर, घी मिलाकर पंचामृत बनाये तथा पंचामृत से जगदम्बा सिद्धि यंत्र को स्नान कराये। पुनः शुद्ध जल से धोकर किसी पात demás में कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उसमें यंत्र को स्थापित करें। भगवती का ध्यान करें
Recordando la fortaleza, quitas el miedo al resto de criaturas.
Das una mente muy auspiciosa recordada por los sanos.
Pobreza, sufrimiento, miedo, derrota, otro que tú.
mente siempre húmeda para hacer todo tipo de bien.
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Om Agachcheha Mahadevi! ¡Dador de toda riqueza!.
Permanece en tu presencia hasta que se complete el voto.
Toma una flor y dale asiento
Esta gema combinada con varias gemas contadas.
Kartasvaramayam Devi! Toma la mitad, te ofrezco mis reverencias.
एक आचमनी में जल लेकर उसमें अक्षत पुष्प मिल mí
निधीनां सर्व रत्नानां त्वमर्घ्य गुणान्विता् ।
¡Oh Diosa del león! lo aceptas
baños de agua
Estaban perfumados con lotos dorados traídos del río Mandakini.
¡Báñate, oh Diosa! y con aguas fragantes.
Baño Panchamrit
Manteca de cuajada de leche y miel mezclada con azúcar
पं चामृतं
इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराके वस्त्र से पोंे चन्दन-
El sándalo de Sri Khanda es divino, rico en fragancia y muy agradable.
अक्षतान्निर्मलान् शुद्धान् मुक्तामणिसमन्व ितान्।।
पुष्प माला अर्पित -
Mandara, parijata y otros patali y ketakas.
Quítame las flores de jati y champak, hermosa.
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अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षड्भिः समन्वितम्॥
¡Toma la ofrenda, oh Diosa! Haz que me mueva en la devoción.
Dakshina-पूजा की पूर्णता के लिये द्र्रव्य भगवती को अरऍतथइ इसके बाद निम्न मंत्र की नवदुर्गा माला से एक-एक माला नौ दिवसो तक मंत्र जप करें-
सम्पूर्ण नवरात्रि में प्रतिदिन मंत्र जप के पश ्चात् माँ दुर्गा की आरती एवं गुरू आरती सम्पन्न करें। नवरात्रि का प्रत्येक दिवस साधक के जीवन में वर दान स्वरूप है। आद्याशक्ति इस चराचर जगत् में अपने भक्तों व सा धकों को मुक्त हस्त से अभय, पराक्रम, धन, धान्य, वंश वृद्धि, सौभाग्य, आरोग्य, दीर्घायु जीव, ति में तेज ओज सौन्दर्य प्रदान करती है। साथ ही जीवन में शत्रु बाधा, अनेक रोग कष्ट, पीड़ ा, धन हीनता, दरिद्रता, दुःख संताप, संतान हीनता से मुक्ति प्रदान करती है।
नवर gaso
हर व्यक्ति के मन में अनेक-अनेक कामनायें होती हैहै हर कोई सौन्दर्यवान, आकर्षक एवं चिरयौवनवान होना चाहता है।। हर कोई जीवन में पूरorar ऐसी सutar.
वह अत्यधिक आकर्षक एवं सम्मोहक व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है, उससे प्रत्येक व्यक्ति सम्पर्क बढ़ाने के लिये इच्छुक हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हैं।। हैं। उसका विवाह अपने प्रेमी-प्रेमिका से होने का मoque म खुलने लग जाता है और उसका गृहस्थ जीवन अत्यन्त सुखमय होता है है है है है
प्रagaतः साधक स्वच्छ श्वेत धोती धारण कर पीले आसन पर पूर्वाभिमुख होकर अपने सामने सफेद वस्तorar पर दाम्पत Dav "
5 माला मंत्र जप सम्पन्न करें
स sigue धन की पू sig despe प sig. व व म mí. ऐसा करने से स sigue "
इस साधना का वर्णन कई ग्रन्थों में बड़े आदर के साथ किया गया है, क्योंकि यह साधना जहां व्यक्ति को जीवन में धन, व्यापार, बुद्धि, आर्थिक उन्नति एवं भौतिक सुख को प्रदान करती है, साथ ही आध्यात्मिक उत्थान भी प्रदान करती है। ऐसे व्यक्ति के स siguez इसके द्वारículo व्यक्ति भौतिक क्षेत्र में उच्चतम शिखर पर पहुंचने में समर्थ होता है और हर प्águestos
साधक स्वच्छ पीली धोती धारण कर पीले आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख कûendr
कमला कंचन माला से 3 माला मंत्र जप -
साधना सम्पन्न होने पर कमला कंचन व माला को नदी य ा जलाशय में विसर्जित कर दें, ऐसा करने से यह साधन ा सिद्ध सफल होती हैं और साधक भोग व मोक्ष से युक् त होता है।
श्री विद्या साधना विशिष्ट रूप से त्रिपूर सुन्दरी की ही साधना है, इन्हीं की संज्ञा षोडशी एवं ललिता भी यही शक्ति हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं शक eléctrica
वास uto में ये सभी माँ जगदम्बा के ही रूप है, किन्तु जीवन में विभिन्न स्थितियों के साथ-स razuar. देवी के किसी विशिष्ट रूप की साधना करने पर तदनुकूल ढंग से लाभ भी विशिष hubte जहां माँ भगवती जगदम्बा की साधना मूलतः भावना-प्रधान है वहीं षोडशी त्ع lado सुन्दरी एवं ललिताम्बा की साधना तांत Davidamente है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है हैanda.
जीवन में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी वसाय या नौकरी से सम्बन्धित हो, राज्यपक्ष से कार ्य पड़ता ही है। उनसे मधुर संबंध होने पर समाज में उसका सम्मान भ ी बढ़ जाता है, साथ ही अनावश्यक तनावों एवं बाधाओं से भी बचता है।
इस हेतु सर्वारorar
साधक अपने समक्ष एक लाल रंग के वस्त्omin इसके पश्चात् लघु नारियल को लेकर उसे पूरी तरह से केसर से रंग दें तथा यंत्र के समक्ष च के की ढे razón
मंत्र जप के उपरान्त लघु नारियल को किसी ल mí ऐसा करने से निरन्तर जीवन में श्रीं युक्त व्यापार व राज्य पक्ष में मान सम्मान व समाज में ख्याति में वृद्धि होती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। होती होती।।।। होती होती होती होती होती।। होती होती होती eléctrico eléctrica में electrónico होती होती होती।
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