इस दिन रोगियों और गरीब लोगों को लोग खाना खिलांै स्नान और द siguez ऐसी भी मान्यता है कि माघ मास में साधना, जप, तप, स्नान और दान करने से भगवान विष्णु लक्ष्मी पति का आर poster
साथ ही स्नान करना इसलिए पवित्र माना गया है क्योंकि कहा जाता है कि इस स स्वर Peck लोक के सारे देवी-देवता गंगा में वास करते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इससे भक्त के सभी पाप समूल नष्ट हो जाते हैं। अतः इस वर्ष शिव नगरी हरिद्वार में महाकुम्भ का आयोजन होग होगा। इस दिन पितृों का तर्पण भी करते हैं। कहते है कि इस दिन पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं
इस दिन ब्रह्मदेव और गायत्री का भी पूजन विशेष पफ़लदायी होता है।। माना जाता है कि मौनी अमावस्या से ही द्वापर युग का शुभारम्भ हुआ था। इसी पर्व पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था जिसके कारण इस दिन को मौनी अमावस्या के endr.
संगम में स्नान के संदर्भ में एक कथा का भी उल्लेख है, वह है सागर मंथन की कथा। कथा के अनुसार जब सागर मंथन में भगवान धनवन्तरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवत देवतguna एवं असुरों में अमृत के के लिए लिए खींच खींच शु ज इससे गि गि razón यही कारण है कि यहां की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्रagaप्त होता है।।।।।
शास्त् Prod. इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्तن supión, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर Proy शास्त् Prod. इ सी तिथि को संतों अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूज mí वास्तव में शिव विष्णु दोनों एक ही हैं जो भक्तो के कल्याण हेतु दो स्वरूप धारण करते है ब बात क्लेख स्वयं भगवान ने किय • है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है dos इस दिन पीपल में अर्घ्य देकecer इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।
Sadhana de Mauni Amavasya
परमात्मा, जो निर्गुण, निष्क्रिय, निराकार और निरंजन है, वही अपनी त्रिगुणendr साथ ही त्रि-शक्तियों से आप्लावित होकecer उन्हीं शक्तियों को मह sigue.
गुरू र्ब्रह्मा गुरू र्विष्णुः गुरूर्देवो
अर्थात् जब गुरू अपने शिष्य के अन्यथा भाव रूपी अज्ञान का निवoque कendr प्रमादिक ज्ञान को काटते हुये, साथ ही साथ जब वह शिष्य के मन में जो यथार्थ ज्ञान है, उसकी रक्षा करते हैं, तब वह पालन कर्ता विष्णु का काम करते हैं, और जब अज्ञान को हटाते हुये और ज्ञान की रक्षा करते हुये शिष्य को नवीन ज्ञान सिखाते हैं, तब वे सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का काम करते हैं।।।।
इसी प्रकार सांसारिक जीवन में किसी व्याधि की चिकित्सा में वैद्य अथवा डाक्टर का पहला कर्तव होता है, व्य का क ूप से संहriba।।।। अतः उस समय पर वह वैद्य रूद्र का काम करता है। परन्तु रूद्र का यह काम करते हुये व्याधि को जड़ से काट डालने के समय उसे अत्यन्त जागरूकता और सावधानी के साथ काम करना पड़त है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. जिससे सिर्फ बीमारी ही नष्ट हो, न कि साथ-साथ बीमार भी चल बसे।।।।।।।।।।।। इस कारण वह पालनकर्ता विष्णु का भी काम करता है और जब व्याधि जड़ से कट गयी और जान बच जाये तब शरीर में खूब ताकत लाने वाली औषध, पोषक आहार आदि को देते हुये वही वैद्य सृष्टिकर्त्ता ब्रह्मा का भी काम करता है।
ये सभी क्रियायें ब्रह demás, विष्णु, महेश के कार्यो के अर्न्तगत आती हैं, जो सम्पूर्ण संसार का एक क्रम है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इसी क्रम के आधार पecer कहने का तात्पर्य है कि इन त्रिमूर्ति स्वरूप में ही वह परम शक्तिमान परमात्मा सबसे पहले न्यून पक्ष का संहार करता है, साथ ही शुद्ध, सात्विक संस्कारों की रक्षा और जब बुरी शक्तियों की समाप्ति हो जाती है, तब सात्विक चेतना का पोषण व वर्धन करता है । सम्पूर्ण सारांश यह है कि संहार, पालन और सृष्टि की शक्ति सभी प्عecer
इस साधना के माध्यम से साधक के सभी अभीष्ट पूर्ण होते हैं, साथ ही उसमें सृष्टि, पालन व संहार की शक्ति विद्यमान होने है।।।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है eléctrica जिससे वह अपने जीवन के सभी नutar इस साधना से जीवन के सभी पक्षों को पूर्ण क्योंकि इसी के आधार पर ही मानव जीवन गतिशील होथहै
sadhana vidhaan
यह साधना मौनी अमावस्या 11 फ़रवरी अथवा किसी भी गुरूवार को सम्पन्न करे। अपने सामने एक बाजोट प sig पील sigue वस्तella बिछendr. तत्पश्चात् पंचोपचार पूजन सम्पन्न करें। ताम्omin कुंकुंम, केसर, चंदन, मौली से पूजन कर घी क mí
Luego complete 7 rondas de canto del siguiente mantra con Trishakti Mala.
(Om Bram Narayanaay Mahadevaay Shiv Namo Namah)
सम्पूर्ण पूजन, साधना पूर्ण होने पर साधक दोनों हाथों में सुगंधित पुष्प को अंजलि में लेकर अपनी मनोकामना व्यक्त कर गुरू चित्र के सामने अर्पित करें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। साधना समाप्ति के ब sigue.
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