मुझे ऐसे शिष्यों की आवश्यकता नहीं है, जिनमें कायरता हो, विरोधा सहने की क्षमता न हो, जो जरा सी विपरीत स्थिति प्σellas होते ही विचलित हो ज ज हों हों।।।।।।।।।।।।।। मुझे तो वे शिष्य प्रिय हैं, जिनमें बाधाओं को ठोकर मारने का हौसला होता है,जो विपरित परिस्थितियों पर छलांग लगाकर भी मेरी आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन करने की क्रिया करते हैं, जो समस्त बंधानों को झटक कर भी मेरी आवाज को सुनते हैं और ऐसे शिष्य स्वतः ही मेरी आत्मा का अंश बन जाते हैं उनक mí
पूर्णता तो तब सम्भव होती है, जब शिष्य गुरू के चरणों में सिû खकendr गुरूदेव' शब्द ही निकले।
शिष्य तो वह है, जिसकी हर समय मन में यही इच्छा हो, कि मैं गुरू के पास दौड़कर पहुंच जाऊं हो सकता है कोई मजबूरी हो, नहीं ज सके सके यह चीज मग मग मजबू मजबू मजबू मजबू Night हो हो हो हो होella तीव हो हो होella तीव हो हो होella तीव हो होella हो हो होella. रहे कि उसे हर हालत में गुरू के पास पहुंचना है।
अणु से विराट बनने की क demás िय केवलatar मूलाधार से सहस्त्रija तक पहुंचाने की क्रिया केवल गुरू जानता है और इसीलिए जीवन का आधार केवल और केवल गुरू ही होता है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है objetivo
तुम्हें कभी जिन्दगी में ठोकर लगे, मैं तो ऐसा चाहता हूं कि जल्दी ही लगे ऐसा तुम्हें एहसास हो सके कि तुम्हाisiones
स्थूल जगत में जो कुछ हम देखन mí
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