गुरू मंत्र और गुरू साधना का अनुष्ठान करने ृदय शनैः शनैः पावन हो जाता है, मृत्यु भय एवं अन् य सांसारिक भय समाप्त हो जाते है, प्रत्येक शिष्य को गुरू मंत्र का अनुष्ठान एवं गुरू XNUMX ीवन में करनी ही चाहिये।
गुरू का पद अत्यन्त गूढ, दुर्लभ एवं देवताओं के लिये भी अप्रagaप्य है तथा गुरूतत्व तो गन्धारbar, किन्नरों, शिव के गणों द्वारículo भी पूजित होत हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैंija गणों द द द favor cual देवता भी गुरूत्व के प्रभाव के कारण ही विभिन्न लोकों में जाकर पुण्यों का उपयोग करते हैं।।।।।।।।।।।।।।।। वह गुरूत्व शाश्वत और जन्मादि क्रियाओं से परे है इसलिये शिष्य को सदैव गुरू चरणों में तन-मन-धान तीनों प्रकार से समर्पित बने रहनok चाहिये।
शिष्य क mí यह तो एक भ siguez
शिष्य के लक्षण, शिष्य का चिन्तन, शिष्य क mí सेवा, समर्पण और श्रद्धा से ही शिष्य लोहे से कुन्दन बन सकता है।
गुरू तो हर क्षण ही शिष्य को अपने XNUMXमक्ष प्रयास करते है और इसी कारण से उन्हें स्वयं सर् वप्रथम शिष्य के अनुरूप स्वरूप धारण करना पड़ता ह ै परन्तु यह शिष्य की अज्ञानता होती है , उसके लिये ऐसा चिन्तन दुर्भाग्यपूर्ण होता है।
तर्क, अविश्वास और कुविचार से व्यक्ति को शिष्य बनने से ivamente हैं तथा उसे जीवन में जड़ता की अवस्था में फ़ंसाये रखते हैं।।।।।।।।।।।।।।।।। जब व्यक्ति उनसे मुक्त होकर गुरू के स sigue.
गुरू के हृदय को व्यर्थ छल, आडम्बर, धन दिखाने से नहीं जीता जा सकता। गुरू को शिष्य से कुछ आकांक्षा ही नहीं नहीं, केवल प्रेम के अश्रु ही अगर शिष्य उनके चरणों में अर्पित करता है तो तो गुरू प्सन हो हो ज है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।.
Es obligatorio obtener Gurú Diksha del venerado Gurudev antes de realizar cualquier Sadhana o tomar cualquier otra Diksha. Por favor contactar Kailash Siddhashram, Jodhpur a Correo electrónico , Whatsapp, Teléfono or Enviar para obtener material de Sadhana consagrado, energizado y santificado por mantra, y orientación adicional,
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