El Gurú siempre trata de hacer que el discípulo sea su igual y por eso él mismo tiene que adoptarse primero como discípulo, pero es debido a la ignorancia del discípulo que ve al Gurú como un ser humano normal. Tal pensamiento es desafortunado para él.
यदि शिष्य के मन में यह अहंकार भाव है कि मैं एक श्रेष्ठ जाति में उत्पन्न हुआ हूँ हूँ बहुत धन धन धन हूँ हूँ बहुत बहुत ऐश विद विद होन. चाहिये। इन भावों को त्याग कर ही गुरू कृपा प्राप्त की जासासा॥
गुरू ईश्वर का प्रतिबिम्ब है जिसे शिष्य साकार अपनी से देख देख सकता है।।।।।। ईश्वर को शिष्य ने भले ही न देखा हो पर गुरू के माध्यम से ईश्वर के हृदय में प्रेम की धारा को और आँखों में प्रेम को अनुभव क sigue.
गुरूत्व विशुद्ध रहस्यमय ज्ञान है। इसे प्राप्त करने के लिये शिष्य का मन पावन और निर्मल होना चाहिये। जो शिष्य पूरी श्रद्धा से गुरू की सेवा में रत रहतok है, उसी को गुरू के माध्यम से आध्यात्मिक और भौतिक सुख की प पículoeda होती है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
शिष्यता का पर्याय है नवीनता। जो हर क्षण नवीन हो, जो हर क्षण जीवन में कुछ नया बनने और कुछ नया करने को अग्रसuestos हो शिष शिष्य है।। परन्तु आवश्यकता है कि वह उस माisiones
गुरू तो सदा शिष्य की खोज में रहता है और हर व्यक्ति शिष्य बन सकता है, अगर उसमें समर्पण की भावना हो, कुछ नवीन करने की इच्छा हो और ूढि़यों बंध बंध बंध।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।.
पुराने घिसे पिटे रास्तों पर चलना शिष्यता नहीऀहथॕा जितने मह sigue. समानता है अगर तो इस तथ्य में कि हर एक गुरू के द्वारuerzo बताये रास्ते पर निःसंकोच होकर आगे बढ़े।।।।।।।।।।।।।।।।।
वह शिष्य हो ही नहीं सकत mí
Es obligatorio obtener Gurú Diksha del venerado Gurudev antes de realizar cualquier Sadhana o tomar cualquier otra Diksha. Por favor contactar Kailash Siddhashram, Jodhpur a Correo electrónico , Whatsapp, Teléfono or Enviar para obtener material de Sadhana consagrado, energizado y santificado por mantra, y orientación adicional,
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