सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ ह भगवान विष्णु ने नर-नार marca, हयग्रीव और परशुराम जी इसी इसी अक्षया तृतीया महापantemente ब्रह्मा जी के सुपुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी पर्व पर हुआ था।
इस दिवस पर श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा सम्पन्न कर श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किये जाते।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं objetivo प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्री नारायण के कपाट खुलते हैं व वृन्दावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल दिन श श्री विग्रह चatar
सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी ने अपना धनुष बाण श्री ¢ को समर्पित कर संन्यासी का जीवन बिताने वन में गये।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica वे अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परशुडाम ाम यह जैन धर्मावलम्बियों का मह mí. जैन धर्म के प्र् porta
इस पर्व को जीवन में पूर्णत्या सुमंगलमय बनाने हेतु अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा जल मिश्रित जल से स्नान कर लाल पीताम्बर धारण कर पूजा स्थान में विधि विधान से प्रातःकाल 05 बजकर 56 मिनट ।ड से दिन में 12 बजकर 35 मिनट च्ड के मध्य भगवान विष hubte
भगवान विष्णु स्वरूप सद्गुरूदेवजी के विग्रह का चन्दन युक्त से स सgon. 21 años XNUMX años
पुष्प अर्पित करते हुये 21-
Ofrezca leche, cuajada, ghee puro, miel y azúcar en Panchamrit y Naivedya, ofrezca cebada o trigo sattu, pepino y gram dal y done frutas, utensilios, ropa, dakshina, etc. para obtener las bendiciones de los brahmanes. Sattu se debe comer en este día.
पाण्डवों के ज्येष्ठ भ्राता महाराज युधिष्ठिर पूर्णतः सद्विचार युक्त सदाचारी व्यक्तित्व थे, धर्म के क्षेत्र में उन्होंने पूर्णता कायम की थी और कठिनतम संकट आने पर भी उन्होंने धर्म का त्याग नहीं किया, फिर भी प्रारब्धवश राजा होने के नाते जुए में अपना राज्य धन, ऐश्वर्य के साथ-साथ अपनी पत्नी भी दांव पर लगा कर सब कुछ गंवैࠥ फलस्वरूप उन्हें बारह वर्षों का वनवास भोगना पाॼ इन बारह वर्षों में उन्होंने कठिनतम दुःख झेले, उनके साथ उनके चार भाई अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और पत्नी द्रोपदी भी।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
युधिष्ठिर का यह स्वभाव थ mí वनवास के समय तो उनके खुद के भोजन के लिऐ भी परेशानी उत्पन्न हो रही थी, फिर अन्य ब्रagaह्मणों और सन्यासियों का पूर marca अतः एक दिन उन्होंने हाथ जोड़ कर ब्रagaह्मणों से प्र tercriba की कि इस समय मैं वनवास भुगत ह • हूँ, इसलिये मेatar अतः आप सब अपने-अपने स्थान को लौट जाये। ब्रagaह्मणों ने दृढ़ता पूर्वक कहा कि जब सुख में आपके साथ ¢ हैं दुःख दुःख में में हम आपके स स ही हेंगे हेंगे ही स वellas ।
तब उनमें से विद्वान महायोगी स्वामी धौम्य ने अक्षय पात्र साधना का मूल रहस्य समझाते हुये युधिष्ठर से कहाँ कि आप इस साधना को को सम्न क क।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इस साधना के द्वाisiones यह साधना अत्यन ही ही रहस्यपूisiones सूर्य तेजस्विता युक्त अक्षय पात्र साधना सम्प२्प२् आशीर्वाद स्वरूप में धौम्य द्वाisiones सिद्धि प्रagaप्ति सामग्री प्रदान की समय भगवान सूर्य युधिष्ठर के सामने प्रकट हुयेरentas उनके के के को को भ समझ समझ क razón तुम्हाisiones युधिष्ठर ने पांडवों सहित वापस संगठित होकर युद्ध में कौरवों को हरा कर विजय प्र marca • की।।।।।।।।। साथ ही धन, द्रव्य, भू-भवन, राज पाट से सम्पन्न हुये
साधना के लिये तीन चीजों चीजों की आवश्यकता है- 'मोती शंख जिसे अक्षय पात्र कहते हैं स्वर्ण खप्पर चेतना युक्त लक्ष्मी यंत्र और अक्षय धनदालालाला ।ा ।ा ।ा ।ा ।ा ।ा ।ा ।ा ।ा ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ल gas ।ा। mío यह साधना अक्षय तृतीया या किसी भी बुधवार के दिन प्रagaendo. 3 puntos
सरorar. शंख को जल से स्नान करायें, व उसमें साबूत चावल भरे फिर कुंकुंम से उस पर 21 बिंदी लगाकर अक्षय यंत्र पर स्थ क razón औ्षय धनद धनद तक razón
एक म sigue " नित्य महालक्ष्मी व शिव आरती अवश्य सम्पनن sup sin
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