हमारी मातृ शक्ति सिद्धाश्रम साधक परिवार की अनमोल सम्पत्ति है, हमारा गौरव है, सद्गुरूदेव की ओर से हमारे लिये उन्हीं की करूणा, प्रेम, वात्सल्य का स्वरूप है, उनकी ओर से हमारे लिये प्रेम उपहार है, जो वे माता भगवती के स्वरूप में हम सभी शिष्यों पर लुटाती रहती हैं। माँ शब्द में ही अतुल्य आनन्द समाहित है है, वात्सल्य का अनन्त सागर है, माँ का प्रेम, गंगा की धाendr
सिद्धाश्रम शक्ति स्वरूप में अवस्थित भगवती माता अनन्त करूणा की चेतना आत्सात कर आप सभी शिष्य, साधक जीवन शक्ति से आप्लावित हो।।।।।।।।। हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो. यह जन्मोत्सव माँ भगवती के स्वरूप के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भाव है, उनकी स्तुति, चिंतन, धgon.
कितनी विलक्षण ब siguez शक्ति जो सर्वज्ञ होती है स्वयं काल की अधिष्ठात्री है और उसे काल क्षणों का ज्ञान ivamente है।।।।।।।।।।।।।।। वे काल की गति को मोड़ कर अपनी इच्छा अनुसार कoque क करने की क्षमता रखती है।।।।।।।। आद्या शक्ति भगवती नित्य लीला विहारिणी योग म mí va
माँ वह है जो जन्म देने के स siguez माँ के इस ¢ को दुनिया में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।।।।।। यही कारण है प्रagaयः संसार में ज्यादातर जीवनदायिनी और सम्मानीय स्थान माँ को प प्रijaप है।।।।।।।।।।।।।।। जैसे कि भारत माँ, धरती माँ, प्रकृति माँ, गौ माँ ि० इसके साथ ही माँ को प्रेम औecer हम marca जीवन जीवन यदि यदि कोई सबसे सबसे ज ज utoucद mí महत uto महत Sहै है तो तो वह वह हमaños म मatro ही ही क क uto बिनtan म mí म के के तो जीवन की की की की की की प की ज ज सकतीellas सकती सकती सकती सकती क क क क क क क क क क क क क क क क क क क त त त त त त त त त त त. कtan त त.
अज्ञानता के कारण मानव जन्म, मृत्यु, जरा, व्याधि, दुःख, दोष से सदा घिरे रहते हैं और काल से कांपते हुये भटकते हते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं यह जो सदा से हमारी दीनता है, इसे दूर कecer इस शक्ति की जो महानिधि है, वह सभी शक्तियों की माता है, हम को को मातृ-शक्ति स्वरूप में आद्या शक्ति कहते।।। हैं हैं हैं हैं।।।।।।। यह परतात hablo परमात्मा और हमारे बीच वही शक्ति है। सारा जगत् यह स्वीकार करता है कि महाशक्ति ही इस सम्पूर्ण जगत को चला रही है, किसी आदि आदि शक्ति का वर्चस इस सम razón uto सृष सृष प प है क क तृत razón.
आद्या शक्ति माँ सम्पूर्ण संसार में सबसे अधिक पूज्य है, उनकी आर marca सर्वोत्तम मानी गयी है।।।।।। भौतिक रूप में प्रकृति शरीर धारिणी हमारी गुरूमाता भगवती उसी शक्ति माता का स्वरूप हैं।।।।।।। जिनके व sigue. यह हमारी गुरू म mí va यह भरोसा ही शिष्य के कल्याण के लिये पर्याप्त है् माता के स्वरूप में जो सरलता है, जो दय mí
माँ की ममता, उनके वात्सल्य को आत्मसात् करने का महापर्व ही नूतन वर्ष के प्águestos जिनके व sigue. जिनके प्रेम, स्नेह से सम्पूर्ण सिद्धाश्रम दैदीप्यमान है, जो सभी शिष्यों के जीवन की निर्माण दoque है है है। है है जो सद्गुरूदेव नार marca के साधको, शिष्यों की संकल्प शक्ति की आधार स्तम्भ बनकर सदैव स स स अडिग है हैatar नहीं है। सृष्ट्रि भी निरन्तर शिव शक्ति के भ siguez
आद्या शक्ति स्वisiones हमारी मातृ शक्ति हम सिद्धाश्रम साधक परिवार की आधार स्तम्भ है, यह हमारा गौरव है, सद्गुरूदेव की ओर से हमारे लिये उन्हीं की करूणा, प्रेम वात्सल्य का स्वरूप है, उनकी ओर से हमारे लिये प्रेम का उपहार है, जो वे माता भगवती के स्वरूप में हम सभी शिष्यों पर लुटाती रहती है। माँ शब्द में अतुल्य आनन्द समाहित है, वात्सल्य का अनन्त सागर है, माँ का प्रेम गंगा की धारpir संतान कैसी भी हो परन्तु माँ अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होती है।
उन्हीं मातृ शक्ति के जन्मोतن sup a जिनकी करूणा का आनन्दपान कर जीवन में तृप्ति और सन्तुष्टि अनुभव होती है।।।।।।।।। जिनके चरणों की वन्दना कर कोई भी शिष्य सद्गुरू नाisiones उनकी अनन्त शक्तियों को स्वयं में सम siguez उन्होंने हम सभी शिष्यों को सतत् árgres
ritos de iniciación
अतः आने वाले नूतन वर्ष 2078 की चैत्र नवरात्रि महापर्व जो भोमवती भोमवती मंगलवार दिवस 13 अप्रेल से पgonendaendegaría ऐसे दिव्यतम अवसरों पर नव दुर्गा स्वरूप में दस महाविद्याओं से युक्त शक्तिपात साधना दीक्षा शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति, स्कन्ध मातेति, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री स्वरूप में उच्चतम दस महाविद्याओं को आत्मसात् करने से निशि्ंचत रूप से दसों स्वरूप में महाकाली, तारा छिन ender, षोडशी त त S. सुन Sसुन utoega, भुवनेश्वरी, त्रिपुuestos भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमल sigue युक Sसुस सुस utoं निर मित हो सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी. सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी सकेगी.
अपनी मनोकामना व्यक्त कर शांत भाव से भगवती शक्ति का ध्यान करते हुये जीवन में सुभावों की वृद्धि के लिये परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग स्वरूप में दीक्षा आत्मसात करेंगे तो अनेक वर्षो बाद निर्मित ऐसा सुयोग वन्दनीय माता भगवती के अभ्यूदय पर्व के साथ ही प्रारम्भ होने वाला नूतन वर्ष व अपने आपको पुरूर्षोत्तममय युक्त श्रीर marca की चैतना को निखिलमय स्वisiones
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