जीवन में चाहे भौतिक पक्ष में उन्नति की बात हो अथवा आध्य्मिक उन्नति एवं पूर्णता प्रagaप क करने की बात हो, उसमें मह महguna साधनाधना का महत्व हैरículoवोप मह हो महाuc य vaधन va धन क स caso. अलग-अलग कार्यों हेतु आद्या शक्ति में इन दस महाविद्या की उन्पत्ति मानी गयी, जिनकी साधना साधक अपनी समस्या के निव निवारण लिये श श्pir
दस महाविद्याओं की साधना करना जीवन की श्रेष्ठतथप ि मानी जाती है, ये दस प्रकार की शक्तियों की प्ऀईथ महत्त्वपूर्ण अवसर पर जीवन में जिस शक्ति तऀ्ऀकॵ तऀ्ऀकॵ , , पासना करना जीवन का सौभाग्य माना जाता है।
धूमावती दस महाविद्याओं में एक है, जिस प्रकार तारा बुद्धि और समृद्धि की, त्रिपुár. इसी प्रकार धूमावती शत्रुओं पर प्रचण्ड वज्र की तरह प hubte यह अपने अपने आivamente को अप्रतिम अभय प्रदान करने वाली देवी हैं हैं, जो प Nuestzo
दस महाविद्याओं के क्रम में धूमावती सप्तम महाविद्या है, अतः ये सात स्वisiones बुरी शक्तियों से पर marca
धूमावती मह marca य 'दारूण विद्या' भी कहा जाता है, सृष्टि में जितने भी दुःख, व्याधियां, बाधायें हैं, उन सभी शमन हेतु धूम धूम धूम शbar razónse स म razomo म ती ती है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. जो व्यक्ति या साधक इस मह sigue. से भी पूजित हैं, अतः लक्ष्मी प्रagaप्ति के भी भी साधक को इस शक्ति की आराधना करते रहना चाहिये।
प्रत्येक व्यकorar पर हम जो प्रयत्न करते हैं, उसमें हमें सफलत mí इस प्रक marca से हमारे जीवन मे जो प्रगति होनी चाहिये, वह नहीं हो पाती क्योंकि हमारी सारी शक्ति इन गुप्त शत्रुओं का सामना करने में ही व हो हो हो है है शत्रुओं का सामना करने में ही व uto हो हो है है शत्रुओं
आपका व्यक्तित्व प्रखर और तेजस्वी हो, जिससे शत्रु भयभीत रहे और आपके सामने खड़ा ना हो सके, जिससे रोग, ऋण और दरिद्रता समूल नष्ट हो सके, जिससे पत्नी और पुत्र सही मार्ग पर आकर आपके लिये सहायक हो सके, इस प्रकार से आपका जीवन ज्यादा सुखमय, आनन्ददायक और सभी श्रेष्ठताओं से युक्त सो
शत्रुओं को समाप्त करने के लिए तांत्रिक ग्रनऍंथो ई विधान बताये गये हैं, परन्तु हमारा उद्देश्य तत्द्ऋ अपने अनुकुल बनाना है, उनकी शत्रुता समाप्त करऔा रऔा सऔा ें धूमावती साधना ही सर्वश्रेष्ठ और तुरन्त प्र७इइ वाली है।
धूमावती साधना तुरन्त असर दिखाने वाली साधना है और इस साधना के माध्यम से हम जीवन के सभी शत्عL. इसीलिए तो उच्चकोटि के शास्त्रों में धूमावती को श्रेष्ठतम बताया है, उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि साधक धूमावती जयन्ती पर धूमावती साधना सम्पन्न कर लेता है तो उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति और सभी प्रकार की बाधाओं से निवृत्ति प्राप्त होती ही है। सभी प्रकार के रोग, ऋण, दुर्भाग्य और शत्रु बाधा से मुक्ति केवल धूमावती साधना ही दे है।।।।।।।।।।।।।।।।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनुकूल समय क mí किसी भी सिद्धि दिवस युक्त जयन्ती क mí वास्तव में जो साधक सही अर्थो में साधना करना चाहते हैं व धूमावती को प्रत्यक्ष रूप से अपना सहायक बनाना चाहते है, जो वास्तव में पूर्णता से अपने शत्रुओं का संहार कर भगवती धूमावती की पूर्ण कृपा चाहते हैं, जो सभी प्रकार के शत्रुओं को परास्त कर पूर्ण विजय प्राप्त करना चाहते है, उन साधकों के लिये धूमावती सिद्धि अवतरण पर्व पूर्ण वरदान स्वरूप है, क्योंकि यह मात्र कोई सामान्य दिवस ना होकर एक सिद्धता युक्त श्रेष्ठ मुहुर्त है और ऐसे सिद्धि प्रदायक दिवस पर साधना, मंत्र जाप का कोटि-कोटि स्वरूप में फल प्राप्त होता है। साथ ही प्रत्येक साधक को इस अवतरण पर्व पर धूमावती साधना अवश्य ही सम्पन्न करनी चाहिये जिससे कि उसके जीवन के सभी उन्रु विषमत razón
Sadhana Shatru Mardan Dhumavati
आज के इस प्रति स्पर्धावादी युग में यह कहाँ सम्भव हो पाता है कि व्यक्ति कुछ क्षण सुख से आनन्द से व्यतीत कर सके उसे तो नित्य कोई न कोई समस्या घेरे ही रहती है और उन्हीं से जूझते हुये उसकी शक्ति समाप्त होती जाती है ऐसी परिस्थितियों में उसे श sigue, शक hubte
यह मानव मात्र का स्वभाव है कि जब चारों ओर परेशानियां, बाधाओं, अड़चनों के बादल मंडरा रहे होते है, तभी व्यक्ति ईश्वर की icio अभίecer. पenas यदि यदि पूर्व में ही ऐसी कुस्थितियो को अपने नियंत्रण में करे तो श्रेष्ठ रहता है।।।।।। इसके साथ ही यदि स्थितियां बहुत ही भयावह हो गयी हो तो साधना के माध्यम से उसे अनुकूल बन mí. इसीलिये आज के इस इस युग में साधक के लिये दैवीय संरक्षण आवश्यक है, जो उसके प्عL.
धूमावती दस महाविद्याओं में सर्वश्रेष्ठ है जिनका एक स्वरूप धूम्र विलोचन भी है है, जिसकी साधना प्रचण habre यह स mí. भगवती धूमावती अपने आराधक को अप्रतिम बल प्रदान करने वाली देवी है।।।।।।।।
धूमावती जयंती या किसी भी मंगलवार को स्नादि से निवृत होकर सफेद वस्त्र धारण कर अपने सामने बाजोट पर सफेद आसन बिछाकर उस पर थाली रखे, थाली के मध्यय ऊँ बनाकर उस पर धूमावती यंत्र औecer सामने तेल का दीपक जलाकर पंचोपचार पूजन सम्पन्न ॕ फिर दिव्य मंत्र का शत्रु मर्दन माला से 7 माला मंत्र जप क्रोध मद्रaga में सम्पन्न करें-
मंत्र जप समाप्ति के पश्चात् सभी सामग्री को किसी मंदिर या गुरू चरणों में अर्पित करे। यह स sigue "
Tantrokt Dhumra Varahi Shakti Sadhana
भगवती धूमावती की कृप mí धूमावती की चेतना से ओत-पgonender गृहस्थ जीवन आनन्द और रसमय बनाने कि लिये आध्यात्मिक प्रगति के लिये यह साधना आवश्यक।।।।।।।।।।।। साधक स sigue "
धूमावती जयन्ती के दिन या किसी भी तांत्रोक्त शक्ति युक्त शनिवार को स्नान आदि से निवृत होकर सफेद वस्त्र धारण कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाये और तांत्रोक्त धूमावती यंत्र और वाराही शक्ति अंकुर को ताम्र पात्र में स्थापित कर तेल का दीपक प्रज्जवलित कर पूजन सम्पन्न करे व अपनी मनोकामनायें व्यक्त करे। फिर चैतन्य मंत्र का तांत्रोक्त शक्ति विलोचन म mí.
यह मंत्र अपने आप में अत्यंत तेजस्वी और महत्वप्णह् जब मंत्र जप पूरा हो जाये तब सम्पूर्ण सामग्री को किसी मंदिर या गुरू चरणों में अर्पित करें।
यह साधना आगे के पूरे जीवन को संवारने, सुखमय बनाने और उन्नति युक्त बनाने में सहायक है।।।।।। जो साधक असीम समस्याओं व शत्रुओं से परेशान हैं, वे इस साधना के द्वendr.
मानव आज अपना जीवनयापन कठिन परिस्थतियों में रहकर कर रहा है, चाहे वह किसी संस्था में कार्यरत हो या व्यवसाय कर रहा हो अथवा किसी अन्य क्षेत्र में कठिनाई, बाधायें, शत्रु बाधा एवं प्रतिस्पर्धा आदि चुनौतियां हर पल व्यक्ति को अधोगति की ओर क्रियाशील कर रही है । इसी वजह से व्यक्ति हर पल अपने सम्मान की रक्षा के लिये चिन्तित ¢ ही है।।।।।।।।।। इसके समाधान एवं अपने क्षेत्ominor
जीवन में हर कोई चाहता है कि उसे ऐसी शक्ति का आधार प्र sigue जिससे साधक को आत्मविश्वास से युक्त शक्ति, सौन्दisiones जीवन में संघर्ष करते करते व्यक्ति थक जाता है तब भी उसे मनच mí. तब वह विशिष्ठ शक्तियों द्वाisiones
भगवान सदाशिव महादेव द्वारा अवतरित धूमावती शतक्प पर सद्गुरूदेव जी से सर्व सफलता प्राप्ति धूम्ा ाा হ ीक्षा ग्रहण करने से जीवन के कष्ट पीड़ा रूपी असुु तियों, तंत्र पिशाच, प्रेत बाधाओं पितृदोष से तुक्ााााा प्त हो सकेगी। साथ ही जीवन के दुःख सन्ताप रोग, धनहीनता, शत्रुथय यों का पूर्णता से अंत हो सकेगा।
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