इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुये भौतिक और आध्याdos ender जिससे साधक अपने जीवन के सभी क्षेत्रें में अपन mí साथ ही निरंतर उर्ध्वगामी बन सके। कहा जाता है शक्ति सम्पन्न व्यक्ति अपने अधिकार को हर हाल में प्रagaप्त करता ही है।।।।।।।।।।।।।।।।। ऐसी है प्रखर पौरूषता की विशिष्ट साधनाये।
शक्ति की अधिष्ठात्री म siguez साधनात्मक दृष्टि से प्रत्येक नवर gaste जिसमें स siguez
शक्ति उपासना का मूल चिंतन जीवन में नूतन परिवर्तन लाना है। जिसका तात्पर्य है प्रकृति के स्वभाव अर्थात् निद्रaga, आलस्य, तृष्णा, कामवासना, अज्ञान, मोह, क्रोध पर विजय कैसे प् razónanda की ज ज ज N? महिष sigue. इस प्रकार मनुष्य जीवन सभी गुणो का XNUMXंयोग अविद्या रूपी अवगुणों को शक्ति साधना के द्वारuerzo मिटाना और सद्गुणों को धारण करना ही शक्ति साधना का महत्व है।।।।।।।।।।।।।।।।।।
नवर marca त एक उत्सव पर्व नहीं है, यह कल्प है, व्यक्ति के में में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें वह अपने आप को उ उर importa स ले ज सकत है है है है।।।।। माँ भगवती कभी अपने भक्तों की परीक्षा नहीं लेती, वह उन्हें अपनी अभय मुद्रaga में वर ही प्ع. जो साधक नवरólogo में म मguna दु sig Sकी की आरólogo श्रद्धा-भ razuar-से कivamente है, उसके स सtanometे विघ uto का न razor है।।।।।। धन और समृद्धि शंकर और भवानी के आशीर्वाद से स¢ सुखों सुखों की प्रagaप्ति होती है साथ ही, आरोग्यता, धन, संतgonque प Davidamente आयु कामन पू razón पू होती है है।।।।।।। ।ija
सांसारिक जीवन में मलिन और दरिद्रता पूर्ण स्थितियो से निजात पाने और नवशक्ति स्वरूप के मूल तत्व की प्रूप प्रूप प्रूप प्रूप सुख, स्वास्थ्य, धन, मान-सम्मान या आत्म उद्धार जो कुछ भी चाहे वह शक्ति तत्व से सम सम्भव है।।।।।।।।।। मंत्र जप, पूजा, ध्यान, साधना आदि का आश्रय लेने पर जीवन में अत्यन्त श्रेष्ठमय स्थितियो की प्राप्ति होती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है है eléctrico eléctrica इसी हेतु नवर gaste आवश्यक है स siguez इस बात का विशेष ध्यान रखे कि साधना, दीक्षा के माध्यम से गृहस्थ जीवन में अनुकूल स्थितियों में निरन्तरता बनी रहती है और साधक दिन-प्रतिदिन श्रेष्ठता का वरण करता हुआ अपने जीवन को सर्व सुखमय बनाने की क्रिया पूर्णता से सम्पन्न कर पाता है।
वर्तमान समय में संतान सुख के मायने बदल गये है, संतान सुख केवल संतान प hubte पहले के समय में किसी भी तरह संतान का जन्म होना ही संतान सुख माना जाता था, क्योंकि पहले लोग लोग अपने माता-पिता की उपेक्षा नहीं करते थे।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। परन्तु बदलते परिवेश में स्थितियां बिल्कुल बऀथह अब संतान प्रagaप्ति से अधिक अपने संतान से जुड़े रहना और अपने संतान द्वाisiones
आज के वातावरण में समाज में बहुत ही तेजी से माता-पिता की उपेक्षा करने वाली संतानों की भरम लगती जा ही है।।।।।।।।।।।।।।।।।।। संतान किसी भी रूप में हो पुत्र हो अथवा पुत्री दोनों में ही यह प्रवृतियां होने है।।।।।।।।।।।। पुतorar से जह जह उपेक uto होने क कtan भय बनtan हतtan eccion है, वहीं वहीं Sपुत ender द्व a स razomo स marca म प प Y स प म म no. समाज के बदलते इस परिवेश में स्वयं का सशक्त औecer अन्यथा जीवन का अन्तिम पड़ mí इस हेतु साधक को अभी से अपने संतान में ऐसे सुसंस्कारमय बीज का रोपण करना चाहिये, जिससे वह स्वयं का और अन्यत्र अपने म मguna-पित के प् razón.
इस साधना से साधक अपने जीवन को पूर्ण रूप से सकार्मक बनाने के लिये जीवन के नकारात्मक पक्षों पर प्رL उसकी संतान सभी सुसंस्काisiones जिससे व sigue.
नवरात्रि के रात्रि काल में स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले, सामने लाल आसन की चौकी पर महागौरी शक्ति यंत्र और गणपती कार्तिकेय जीवट स्थापित कर पंचोपचार पूजन सम्पन्न करे, पश्चात् भगवान शिव-गौरी से सर्व संतान सुख की प्रार्थना कर महागौरी संतान सुख प्राप्ति माला से 7 माला मंत्र जप XNUMXम्पन्न
मंत्र जप पश्चात् जीवट को धारण करे व माला को तोड़ कर अग्नि में प्रज्ज्वलित कर दें, जिससे संतान में में व्य कुसंसguna कुसंस्मीभूत हो सके यंत यंत को को पूज सguna में ही कुसंस कुसंस ijaellas. हने हने यंत को थ थ में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में. एक माह बाद जीवट व यंत्र को किसी मंदिर में अर्पथि।
नवर gaste इन्ही स्थितियों से लक्ष्मीवान की चेतनाओं से आपूरित होता है। साथ ही यश, प्रसिद्धि, उन्नति, कामना पूर्ति की प्रagaप demás सम्भव हो पाती।।।।।।।।।।।।।। यह सौभाग्य, सुन्दरता, श्रेष्ठ गृहस्थ जीवन प्عL भगवती लक्ष्मी भोग, यश, सम्मान की अधिष्ठात्री देह इनकी साधना से ही जीवन में सभी भौतिक व आध्यात्मिक सुख सुविधाओं की प्रagaप होती है।।।।।।।।।।। गृहस्थ जीवन को सुचारू रूप से गतिशील रखने के लिये नित्य नूतन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है।।।।।।।। यह सब केवल और केवल भगवती लक्ष्मी पूजन साधना से ही सम्भव है। जिनमें देवी की नव शक्तियां विभूति, नम्रता, कान्ति, तुष्टी, कृति, उन्नति, पुष्टी तथा ऋद्धि सिद्धि से जीवन युक्त होता है।।।।।।।।।।।।।।।।।
इस साधना को सम्पन्न करने से लक्ष्मी का आगमन स्थायी रूप से साधक के जीवन में होता ही है।।।।।।।।।।।।।।। इस साधना के प्रभाव से शीघ्र ही धनागमन के नये-नये स्त्रोत खुलते है है है वgon. य में वृद होने है।।।।।।।।।।।।।।।।।। लक्ष्मी शक्ति नवदुर्गा साधना से व्यक्ति के जीवन के समस्त पूर्व जन्मकृत पाप दोषों का नाश होकर व्यक्ति सौभoque होक से युक favor
método de meditación
नवरात्रि के किसी भी दिवस पर रात्रिकाल में स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध धुले हुये लाल वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह कर लाल आसन पर बैठ जाये, अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर तांबे की थाली रख कर उस पर कुंकुंम से स्वस्तिक बनाकर नवदुर्गा शक्ति यंत्र और जीवट को स्थापित करे। पू sig मनोभ uto से से संकल Sलेकecer पूजन पूजन सम uto समervन करे व व लक ender लक माला से से निम ender मंत्र क½ 9 म míija मंत posterior जप सम सम a.
साधना समापutar साधना सामग्री को नवरात्रि के पूर्णता पर लाल कपडे़ ब बija कर किसी मन्दिर या गुरू चरणों में अर्पित करे।।। में में में अरículos
जीवन की gres जिसे भाग्य कहा गया है, जब ज्ञान, कर्म और भाग्य का संयोग होता है तो व्यक्ति निश्चय ही अपने जीवन में में बाओं सेguna प प प icio प प प प icio प प प icio प प प प प. जीवन तो सभी व्यक्ति जीते है लेकिन भाग्य का संयोग सभी के स sigue.
जीवन में अनेक पक्ष होते है, प्रत्येक पक्ष को साध लेना सरल कार्य नहीं होता है।।।।।। एक स्थिति में सफलता मिलने के बाद दूसरी स्थिति में सफलता पाने की चुनौती सामने आती है है, जिसकी पूर्ति करना कोई दोष युक्त कoque भी नही।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। नही नही नही नही नही नही नही नही eléctrica eléctrica जीवन में धन प्रagaप्ति, स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख सुख, शत्रु बाधा निवारण, राज्य सम्मान, विदेश विदेश य योग प सुख सभी है है N N N N. जिसे सरorar
इस साधना की मूलशक्ति माँ गौरी लक्ष्मी हैं, क्योंकि उन्हें सौभाग्य शक्ति दायिनी कहा गया हैर और सौभाग्य के ज ज सकpir. इस साधना में माता गौरी को आधार बनाकर सर्व दुर्गति नाशिनी की क्रियendr. जो अपने वरदायिनी स्वरूप में जीवन को धन, ऐश्वर्य, सुख-सम्पन्नता, संतान सुख, कार्य-व्यापriba वृद्धिमय चेतना से आप्लावित करती है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है एक प्रकार से यह साधना महा लक्ष्मी स्वरूप में अपने एक हजार आठ वर्णित सutar
नवरात्रि की रात्रि स्नानादि से निवृत होकर साधना में प्रवृत हो, सामने पीले आसन पर सर्व दुर्गती नाशक कात्यायनी यंत्र और गुटिका स्थापित कर घी का बड़ा दीपक प्रज्ज्वलित करे और फिर यंत्र, गुटिका का कुंकुम, अक्षत, पुष्प एवं नैवेद्य से पूजन सम्पन्न कर निम्न मंत्र 5 XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX
मंत्र जप उपरान्त दुर्गा आरती सम्पन्न साधना समाप्ति के ब mí जीवन की दुर्गतियों के विनाश और सर्व सौभाग्य प्रagaप demás की यह साधना विशिष्ट फल प्रदायक है।।।।।।
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