दालचीनी वृक्ष की 'छाल' को ही 'द siguez जब इसका वृक्ष तीन साल का हो जाता है तो इसकी छाल को निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है और लंबी-लंबी जूडि़यां बांध दी जाती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico eléctrica
दालचीनी -
canela china- इसकी छाल चीन से यह siguez
तज- तज दालचीनी के वृक्ष भारत में अधिक होते हैं, इसकी छाल बहुत मोटी है है, इसका प्रयोग सिर्फ औषधि के रूप में होता है है है है है है है है है
Canela de la isla cingalesa- यह लंका से आती है, यह दालचीनी पीली, लाल और भूरे रंग की तेज सुगंध वाली होती है है, इससे तेल निकाला जाता है औ और औषधि क • में ली ज ज।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. आजकल बाजार में मिलने वाली पतली छाल की जो दालचीनी होती है वह ज्यादा सुगंध वाली, तेज और उत्तम होती है, इसी दालचीनी का उपयोग मसाले या औषधि के ूप में कgunag.
दालचीनी को संस्कृत में दा rodendrCorteza de canela) () () () () ()canela Jilenicus) Es.
मोटी दालचीनी कटु, मधुर, तिक्त, उष्णवीisiones यह कफ, वायु, खुजली, आम (अपक्व रस) तथा अरूचि का नाश करने व sigue
पतली दालचीनी मधुर, कड़वी, तीखी, सुगंधित, वीर्यवरorarY शende शरी के रंग को निखारने वाली एवं वायु-पित्त, मुखशोष और प्यास को मिटाने वाली होती होती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
दालचीनी के वृक्ष की छाल, पत्ते और जड़ से तेल निकाला जाता है। इसमें से दालचीनी की छाल का तेल उत् तम इसके तेल को सिनेमन (Aceite de canela) कहते हैं। इसका तेल नय mí यह गरिष्ठ और पानी में डालने से डूब जाता है।
दालचीनी का तेल वेदन sigue. औषधि के रूप में इसका उपयोग होता है। यह ग्राही, अग्रिमांद्य, वात, आध्मान (पेट की गैस) वमन, उत्क्लेश और दांत का दर्द आदि endr
चिकित्सा वैज्ञानिकों का मानना है कि दालचीनी अत्यंत उपयोगी सुगंधित औषधि है। यह उष्ण, दीपन, पाचन, वातहर, स्तंभन, गर्भ vaशय-उत्तेजक, गर्भाशय संकोचक, रक्त में स्थित श्वेत कण बढ़ाने वाली और शरीacer में उत उत uto पैद sigue यह जंतुनाशक है तथ mí यह हृदय उत्तेजक, हृदय को पुष्ट करने वाली तथा निद demás लाने वाली है।।।।।।।।
बहुत हितकारी है दालचीनी का तेल दालचीनी का तेल खाने से आमाशय की श्लेष्म त्वचा को उत्तेजना मिलती है, जिससे भूख बढ़ती है और पेट के अन्दर उष्णवीर्य होने के कारण यह पेट के अन्दर वायु पैदा नहीं करती और पूर्व संचित वायु को निकाल कर बाहर करती है । इसलिए आमाशय के रोगों में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। पेट फूलना, मरोड़ और उल्टी को रोकने के लिये इसका तेल दिय mí
अतिसार, जीर्णातिसार औecer दवा के रूप में इसे देने से दस्त की मात demás कम हो जाती है और पाचन-नलिका की शक्ति बढ़ती है।।।।।।।।।।।। दालचीनी के क्वाथ से आंत के रोगों में अच्छा लाताह क्षय और क्षयजनن isiones फुफ्फुस या गर्भाशय द्वाisiones कीड़ों द्वार marca ख द razor
दालचीनी के तेल को तिल के साथ मिलाकर हैजे में या अन्य प्रकendr
दो से तीन तीन बूंद द mí.
दालचीनी का तेल या अर्क लेने से पेट का दर्द दूर हो
दालचीनी का तेल य mí
सिरदर्द होने पर दालचीनी का तेल या अर्क लगाने से दर्द दूर होता है और सर्दी भी भी ¢ र है।।।।।।।।।।।।।।।।।।
वातरोग में दालचीनी के तेल की म siguez
Diarrea - 4 ग्रagaम दालचीनी और 4 ग्रagaम कत्था दोनों को एक साथ पीसकर 250 ग्रagaम गर्म पानी में डालकर ढंक।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। दो घण्टे बाद इसको छ sigue.
Estreñimiento -सोंठ, दालचीनी और छोटी इलायची के बीज का आधा-आधा ग्रagaम चूर्ण लेकर एक साथ मिलाकuestos
Frío - दालचीनी, काली मिरorar
Amatisar - दालचीनी डेढ़ ग्राम, बेल फल का गर्भ 3 ग्रagaम और राल डेढ़ ग्रagaम लेकर चूर्ण बनाइये। यह चूर्ण गुड़ और दही के साथ मिलाकर लेने से दर्दयुक्त आमातिसार में शीघ्र लाभ होता है।।।।।।।।
influenza - दालचीनी 4 ग्रagaम, लौंग आधा ग्रagaम, सोंठ डेढ़ ग्रagaम लेकर इनको एक लीटर पानी में काढ़ा बनाये, जब चौथाई जल जल ह जाये उत उताellas कर छ sigue इसी तरह दिन में तीन बार पीये, इसमें इंफ्लूएंजा में बहुत लाभ होता है।।
Tos - दालचीनी 4 ग्रagaम, सौंफ 2 ग्रagaम, मुलेठी 2 ग्रagaम, बीज रहित मुनक्का 4 ग्रaga, मीठी बादाद मगज 10 ग्र sigue इन सबको पीसकर 4-4 ¢ त की गोलियां बना लें, इन गोलियों को चूसने से खांसी शांत होती।।।।।।।।।।
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