निगम श sigue. सौरमण्डल आग्नेय है, अतः हिरण्यमय कहलाता है। हिरणechar- इस प्रकार विश्वाधिष्ठाता हिरण्यगर्भ पुरूष की शक्ति तारा कही गयी है।।।।।।।।।।।।
आगम श sigue.
ओंकार (प्रणव) को 'तारक' कहा गया है और प्रणवस्वरूपा होने के कारण ही भगवती 'त sigue, है।।।।।।।।।।।।।।। 'तारा' इस प्रकार दैहिक, दैविक और भौतिक- इन तीनों प्रकार के तापों के कारण ही भगवती 'तार marca' कही है।।।।।।।।।
पतंजलि ने कहा है- 1 अविद्या, 2 द्वेष, 3 अस्मिता, 4 राग तथा 5 अभिनिवेश- इन पांच प्रकार के कलेशों से भगवती तoque अपने स सguna की की की क क razón
त sigue, के प्रमुख तीन स्वरूपों की साधना इनके आराधकों द्वारा की जाती है-
साधकों को कठिन दुःख से मुक्त करके भव सागर से पार उतारने वाली हैं।।।।। ये साधक को उग्र आपत्ति रूपी भव-बन्धन से मुक्त कû वाली हैं।।।।।।
Otorga Kaivalya a su buscador.
ये अपने साधक को ज्ञान, विद्या और बुद्धि प्रदान करने वाली हैं।।।।।
भगवती तारा के इन तीनों रूपों की साधना करना अत्यधिक फलदायी है, अतः वर्तमान समय में अपने जीवन को परिपूर्ण बनाये रखने के लिये, जीवन को प्रत्येक विपत्तियों से सुरक्षित रखने के लिये तथा घर में सम्पन्नता बनाये रखने के लिये, इन तीनों तत्वों की प्राप्ति के लिये जो जीवन के लिये अत्यधिक आवश्यक एवं महत्वपूenas हैं हैं, भगवती तार marca
त sigue, साधना कोई भी साधक सम्पन्न कर सकता है, इस साधना में पुरूष या स्त्री का भेद-भाव नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इस साधना को किसी भी जाति और वर्ण का व्यक्तित्व सम्पन्न कर सकता है, साथ ही इस साधना को सम्पन्न करने के लिये उम्र भी बाधक नहीं है, अतः चाहे बालक हो, चाहे युवक हो अथवा वृद्ध हो, कोई भी इस साधना को सम्पन्न कर सकता है। पूर्ण विधान से स mí va
दस महाविद्याओं में से यह प्रमुख महाविद्या तथा संसार की अद्वितीय धनदायक देवी है, हजारों वर्षों से ऋषि मुनि व हमारे पूर्वज तारा साधना सम्पन्न करते आये हैं, क्योंकि निष्ठापूर्वक की गई इस साधना में सफलता प्राप्त होती है और मनोवांछित वरदान प्राप्त होता है। इसके साथ ही इस साधना को सम्पन्न करने पर महाविद्या सिद्ध हो जाती है और भौतिक दृष्टि से जीवन वह वह जो कुछ भी भी चाहता है, उसे उसे पbarendoप्त ज ज S।।।।।।।।।।
इस सtan स को दिनांक 10 अप्रैल 2022 य sigue किसी भी म mí म के रविवendr स्नान आदि कर लाल धोती पहन कर लाल आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें। सामने लकड़ी के बाजोट पर ल sigue. फिर अपने सामने अष्टगंध या गुलाल की 7 acer दीपक के स siguez
सर्वप्रथम जल से यंत्र को धोकर रख दें, अक्षत चढ़ा दें, फिर 'तार marca किसी भोजपत्र अथवा कागज पर माचिस की शलाका या किसी भी शलाका से के के द्वाisiones
इसके बाद दीपक व अगरबत्ती जल mí यह साधना रात्रि में सम्पन्न की जा सकती है। जब छठे दिन भगवती तार marca के प्रत्यक्ष दर्शन हों, तो उन्हें हाथ जोड़कर प्र् -uto -थन कÉte कि वह भौतिक जीवन सम्बन सभी इच्छ पू razón करे और नित sup. इसके बाद तार marca यंत्र को पूजा स्थान में रख दें और 'तार marca इस प्रकार करने से यह साधना सिद्ध हो जाती है तथा जीवन वह सब सब कुछ प्रagaप्त होता है जो साधक की इच्छा होती।।।।।।।।।।।।।।।। है है है है है।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica
वस्तुतः यह साधना अपने आप में चमत्कार ही है और जो इसे सिद्ध कर लेता है, उसके जीवन किसी प प enderega क क अभ अभ नहीं नहीं हत अवशσत स स पनellas
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