सत्य यह है कि अधिकतर लोग अपने जीवन में जो करना चाहते हैं, उसका एक अंश भी प्र sigue. अपने परिश्रम के फलस्वरूप जो प्राप्त होना चाहिये, जो कार्य सम्पन्न होना चाहिये, जो लाभ मिलना चाहिये, वह लाभ मिल नहीं पाता है, तो फिर अपने भाग्य को दोष देते हैं। ऐसी स्थिति बार-बार बनने पर जीवन जीने की चाह समाप्त हो जाती है, कanzas
मनुष्य का स्वभाव ही है कि वह हमेशा दूसरों के स mí जब आप देखते हैं, कि थोड़े प्रयास करने पर ही दूसरा व्यकن sup las Quis इन सारे प्रश्नों पecer व्यक्ति अपने जनutar व balteado तम में किये किये गये कारorar. प्रयत्न यही रहता है कि व्यर्थ में हमारे हाथ से दूसरों को पीड़ा न पहुँचे, कोई ऐसा कार्य न हो, जिसका दोष।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। शुभ और पवित्र कार्य हो, जिससे जीवन सार्थक हो सके, लेकिन पूर्व जन्म के किये गये कार्यों पर नियंत्रण कैसे सम्भव है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है उसकी तो जानकारी नही के बराबर है।
ध्रुव सत्य तो मानना ही पड़ेगा यह तो निश्चित है कि हम जो कार्य करते हैं, उसका परिणाम अवश्य होता है।।।।।।।।। सौभ sigue. जिस प्रकार पूर्व जन्म ध्रुव सत्य है, उसी प्रकार यह ध ध्रुव सत्य है कि पूर्व जन्म के तथ तथा दोष जन जन्म पर अपन पbar निश निश uto निश ूप से ड ही। प प अपन अपनbar -Est.
कुछ विशेष विशेष तथ्य जिनके माध्यम से आप जान सकते हैं हैं, कि पूर्व जन्म के दोष आपको प् sig.
हर समय स्वास्थ्य बाधा बनी ही रहती है, इलाज करने पर भी उचित परिणाम नहीं प्रagaप demás होत है।।।।।।।
व्य sigue razón
जिन व्यक्तियों पर आप विश्वास करते हैं, वे ही आपको धोखा देते हैं, अपनों से ही हानि प्रagaप्त होती है, तो समझ लीजिये लीजिये कि दोष पू ezas
गृहस्थ जीवन में में अनुकूलत mí नहीं हती हती, पति-पत्नी में मतभेद बने बने balte हैं, जिस जिस प्ίellas से घर का वातावरण आप चाहते हैं, वैस sigue
आप अपने प्रयत्नों से शत्रुओं पर हावी ¢ हते हैं, लेकिन एक शत्रु शान्त होता है तो नये शत शत्रु उत्पन्न हैं हैं, कुछ कुछ कुचक्र आप वि विatar.
भाइयों से सहयोग प्रagaप्त नहीं होता, बचपन में जिन से प्रेम था, उन्हीं भाइयों से शुत्रता बन जाये और मतभेद रहे, तो दोष पू पूरículos जन्म कículo ही।।।।।।।।।।।।।।
संतान का स्वास्थ्य हर समय गड़बड़ रहतok हो, संतान आज्ञाकारी न हो और आपकी अपेक्षा के अनुसार कारgon.
पुत्र संतान का न होन mí
कभी-कभी आकसutar
लक्ष्मी अर्थात् धन का अभाव हर समय बना रहतok है, आय की अपेक्षा व्यय अधिक होता है और इस कारण कû की स स ज ज है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। objetivo
जो यश आपको मिलना चाहिये, जो सम्मान आपको प्रagaप्त होना चाहिये, वह प्रagaप्त नहीं हो पाता, कारgon.
उपरोक्त स्थितियां जीवन में आने पर साधक को इसके निवारण के उपाय समय-समय पर कecer पूenas कृत कृत दोष को पूर्ण रूप से शान्त करने हेतु साधना के दो भाग हैं।।।।।।।। पहले भाग में गुरू पूजन एक विशेष विधान से सम्पन्न किया जाता है, इसके पश्चात् दूसरा भाग प्रaga podinar
यह साधना गुरूवार को सम्पन्न की जाती है और आठ गुरूवार तक यह साधना सम्पन्न होती है।।।।।।।।। गुरूवार के दिन स siguez सामने पूज्य गुरूदेव का अत्यन्त आकर्षक और सुन्दर चित्ág. उनकी भक्तिभाव से पूजा करें, उन्हें नैवेद्य समर्पित करें, सुगन्धित acer
साधक तीन बार दाहिने हाथ में जल लेकर पी लें और उसके बाद हाथ धोकर प्र sigue. फिर दाहिने ह siguez
ऊँ विष्णु र्विष्णु र्विष्णु देशकाल संकीर्तॗथय त्रस्य अमुक शर्माऽहम् ममोपरि इह जन्म गत जन्म स् कृत-कारित क्रियमाण कारयिष्यमाण भूत-प्रेत ितता ्व जन्मकृत दोष त्रेटकादि-जन्य सकल दोष बाधा नःतथ्ર - सिद्धि यर्थ शम साधना करिष्ये।
ऐसा कह कर हाथ में लिया हुआ जल सामने रखे हुये पoque में में छोड़ दें और गले में हुई हुई 'गुरू रक्षा माला' से गु गुरू मंत्र जप क sirt।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
अब एक म mí.
ऊँ योमे पूर्वगत इह गत पाप्मा पाकेनेह कर्मणा अगutar
अब पूर्व दिशा की ओर मुख किये ही अपने गले में पहनी 'गुरू रक्षendr. , वायव्य, पश्चिम, ईशान तथा अनन्त (आकाश) की ओecer पूजन का प्रम्भिक विधान तो यही रहेगok, लेकिन प्रत्येक दिशा की ओर जप हेतु गुरू मंत्र अलग-अलग है, उन्हीं के अनुसाendr जप करें, मंत Daváguestos
अब साधक दसों दिशाओं से सम्बन्धित साधना सम्पन्न कर पुनः मूल गुरू मंत्र की एक म mí.
इस प्रकार एक गुरूवार को अनुष्ठान का प्रथम भाग पूरा होता है, फिर लगातार आठ गुरूवारों को यह साधना सम Davavor
ऊपर दी गई साधना शान्ति साधना है। इसके साथ -सFथ ivamente यह तंत्र साधना, जिस गुरूवा sig को उपरोक्त शान्ति साधना सम्पन्न की जाती है, उसी रículoत demás को सम्पन्न करनी चाहिये।।।। ।ija।।। ।ija।।। ।ija रात्रि को 10 बजे के पश्चात् शुदutar सामने तीन तेल के दीपक जलायें औecer
दूसरे दिन प्रagaतः इस तान्त्रेक्त नारियल को पश्चिम दिशा की ओर फेंक दें तथा पूजा में प्रयोग आये तीन मिट्टी के दीपक किसी भी चौ चौर marca के केर फोड़ दें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
इस प्रकार यह साधना भी आठ गुरूवार को सम्पन्न होॗॗॗॗ जिस प्रकार वस्त् Prod.
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