सूर्य रश्मियों में सात प्रमुख रंगों (बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल) का एक संतुलित समिश्रण होता है, इसलिये सृष्टि का निर्माण करने वाले पाँचो तत्व अर्थात् जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी को सूर्य अपने ही रंग में समेटे हुये है, इसमें तनिक भी संदेह नह।ै ॹ सूर्य रश्मियों में विचित्र कीटाणुनाशक क्षमता ै
इसीलिये जिस घर में सूर्य के प्रकाश का प्रवेश ¢ हत, उस घर के सभी मनुष्य सर्वथा स्वस्थ रहते हैं।।।।।।।।।।। इसके विपरीत ऐसे कमरों में रहने वाले, जहां सूर्य का समुचित प्रकाश नहीं पहुँच पाता है, अस्वस्थ तो रहते ही हैं, स ही है बुद बुद बल में भी प पguna प प प य य favoría दृष दृष होती होती बुद बुद बुद में में में दृष दृष razón
हम यह भी देखते हैं, कि छाया में पडने वाले खेत अच्छी फसल नहीं दे पाते और सूर्य के प्रकाश के अभाव में कोई भी पौधा पनप सकत सकत va।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत. इसी प्रकार जिस जलाशय में धूप की पर्याप्त पहुँच नहीं होती, उसमें कीड़े पड़ जाते हैं और इसके विपरीत सूर्य का प्रकाश प्राप्त करने वाले जलाशयों का जल स्वच्छ तथा कीटाणुमुक्त तो होता ही है, इसके साथ ही साथ वह शक्ति का संचार करने वाला भी होता है ।
इस प्रकार सूर्य के प्रकाश से समस्त सृष्टि लाभान्वित होती।।।।।।।।।।।।। जड़-चेतन सभी पर इसका समरूप प्रभाव पड़ता है। एक भारतीय महात्मा 'स्वामी विशुद्धानन्द' ने तो सूर्य-correspondiente सूर्य के इन्हीं विशिष्ट गुणों के कारण भारतीय ऋषि-मुनियों और वेदाचार्यों ने सूenas को देवता कहा है।।।।।।।। सूर्य-नमस्कार, संध्योपासना, सूर्य जल अर्पण आदि क्रियाओं के सम्पन्न करने के पीछे भी यह रहस्य था, कि सूatar
हमारे पूर्वजों को सौर ¢ श की सहायता से अनेक औषधियों के निर्माण की जानकारी थी।।।।।।।।। ऐसी ही कुछ अति सरलता से निर्मित की जाने वाली 'सूर्य औषधियों' का वर्णन है-
बाजार में जायफल आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। बाजार से कुल इक्कीस 'जायफल' लाकर उनमें से सात जायफल 'नीले ¢ की बोतल में' तथा सात जायफल 'हरे रंग की में में' सू: सू सेर सूecer. इन चौदह जायफल को शेष स siguez
लगभग सौ ग्रagaम 'अरंडी के तेल' को 'लाल रंग की बोतल' में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक धूप में रखा रहने दें।। दें लाल ominó की बोतल बोतल ब mí. इस अरंडी के तेल में कपड़े से छाना गया अत्यन्त महीन 'बेसन' मिलाकर इससे बने उबटन को नियमित कुछ देर तकatar आवश्यकता हो, तो रात्रि पर्यन्त इस मिश्रण को चेहरे पर लगाये रहनok चाहिये और सुबह-सुबह उसे धो लेना चाहिये।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।.
इसके लिये सौ ग्रagaम 'सरसों का शुद्ध तेल' लें, इस तेल में एक तोला 'काली मिर्च' का कपड़े सहायता से छाना गया चूर्ण मिलावें।।। मिल मिलija।। मिल मिलija इसी प्रकार दस ग्रagaम 'भांग' का चूर्ण भी इसमें मिलाकर इस सम्पूर्ण मिश्रण को मिनट मिनट तक उबालें। ठंडा होने पर इस तेल को छानकर एक 'सफेद बोतल' में भरकर उसके चारों ओर एक लाल पन्नी लपेट कर सूर्योदय से सूर्यास्त तक सूर्य के प्रकाश में रखें इस तेल की मालिश लकवे वाले भाग में करने से सम्बन्धित भाग में रक्त का प्रवाह चालू हो जाता है।
कुछ लोगों को मलत्याग के समय थोड़ी या अधिक आंत्र बाहर निकल आती है, इसे कांच निकलना कहते।।।।।।।।।।।।।।। इसके लिये थोड़ी सी 'फिटकरी' एक 'नीली बोतल' में भरकर उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक में में रखें। इस बोतल को सहेज कर रख लें। नियमित शौच के जल में इस फिटकरी की थोड़ी सी मात्र घोलकर उस जल से गुदा प्रक्षालन करने से कांच निकलना बंद ज जाता है।।।।।।।।।।।
सफेद दाग अथवा फूलबहरी या ल्यूकोडisiones रात्रि में इसे घर के अंदर रखें। इस तेल को फूल बहरी पर लगाने से वह ठीक अधिक प्रसारित दागों पर यह उपचार काफी समय लेता है
लगभग दो सौ मिलीलीटर उपयोग किया हुआ 'घासलेट' लें (ऐस mí को 'लाल पन्नी युक्त बोतल' में भरकर सूर्योदय से सूर्यास्त तक दस दिन तक में में रखें। रात्रि में इसे चांदनी में न रखें। दस दिन बाद इस मिश्रण में दस मिलीलीटर 'मिथाइल सेलीसिलेट' मिला दें (प्रagaचीन काल में इसके स्थान पर 'बाम का पौधा' मिलाया जाता था)।।। थ va) इस तेल की समय-समय पर घुटनों तथ mí
'नीम के तेल' की वांछित मात्र 'हरी बोतल में भरक¢ त्वचा रोगों में विशेष रूप से फोड़े-फुंसी तथा खुजली, एक्जीमा आदि में यह तेल काफी ¢ देता है, इसे सम्बन्धित स्थान पर लगाया जाता है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ucto।।.
एक सामाdos umar इसे समूचा ही उखाड़ लेवे घर लाकर इसे पानी से भली प्रकार से धोकर एक बड़े बर्तन में रखकर उसमें इतना पानी ड़ालें, कि पौधा आधा डूब जाय।।।।। ज जija ज ज ज जija ज ज जija. अब इसे उबालें, जब पानी आधा या इससे कुछ कम रह जाय, तो इसे उतार कर छान लें।।।।।।।।। इस छानन को एक 'सफेद बोतल' में भरकर लगभग दो घंटे धूप दिखायें। इस छानन से गरारे करने पर बढ़े हुये टॉन्सिल तुरंत बैठ जाते हैं।
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