जो गुरू कहे वह करें, जो गुरू करे उस ओर ध्यान न दें, क्योंकि वे क्षण क्या करते हैं यह अगर शिष्य समझ ही ज ज तो वह स स गु razón
शिष्य के लिये गुरू ही माता, पिता, बंधु और सखा होते हैं, अतएव अपनी अपनी समस hubte
शिष्य वह है जो नित्य गुरू मंत्र का जप उठते, बैठते, सोते, जागते करता रहतok है।।।।।।।
शिष्य को गुरू के सोने के बाद ही सोना चाहिये और गुरू के से से पहले ही शया का त्याग कर देना चाहिये। चाहे कितना ही कठिन एवं असम्भव काम क्यों न सौंप mí
गुरू शिष्य की ब sigue "
शिष्य का मoque एक ही लक्ष्य होता है और वह है अपने हृदय में स्थायी रूप से गुरू को स्थापित करना।
जब होठों से गुरू शब्द उच्चाisiones
जब 24 घंटे गुरू का एहसास हो, खाना खाते, उठते, बैठते, हँसते, गाते, अन्य क्रियokकल navlar
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