सृष्टि और जीवन का पूरा स्वरूप दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।।।।। प्रथम पुरूष स्वuestos इन्हीं दो तत्वों के मिलन से जीवन की रचना होती हैैैहैै जहाँ भी एक पकutar
शिव और शक्ति मिल कर ही पूर्ण बनते हैं। शक्ति 'इक marca की द्योतक है, इसलिये शिव में से से' इकार 'अर्थात शक्ति हटा दी जाय तो पीछे' शव 'ही रहतendr भगवान शिव के स्वरूप शिवलिंग में भी लिंग और योनि का मिलन है, जो कि सृष्टि के पूरे स्वरूप को दर posterir श।।।।।।।।।।।।।।।। पुरूष स्वisiones भगवान शिव को ही सृष्टि का प्रथम पुरूष माना गया ॹ जिन्होंने अपने साथ हर समय शक्ति को संयुक्त रखा॥ शिव के बिना शक्ति अधूरी है और शक्ति के बिन mí जिस प्रकार वृक्ष में तना पुरूष स्वरूप है, पत्ते और उसमें स्थित जल तत्व स्त्री स्वरूप है, उसी उसी प् razón क मनुष में ऊप।।। हैं हैं प प प को को को को को को को को को में में में में में में।। को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को ट ट ट ट ट ट ट को.
जहां जीवन में गृहस्थी है तो उसके साथ बाधाये तो आयेंगी ही लेकिन शिव गौरी भाग्य लक्ष्मी दीक्षा से जीवन को मधुû endr जीवन में नित्य प्रति आनन्द रस की वर्षा होती रहे, ऐसा अनुभव कि हatar
इस दीक्षा के प्रभाव से सुसौभाग्य की प्रagaप्ति संभव प पाती है।।।।। जिससे जीवन शिव-लक्ष्मीमय आनन्द युक्त बनत mí इसी को शिव गौरी सौभाग्य लक्ष्मी दीक्षा
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