यह प्रयोग भी अत्यनن sup a
तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार पूर्ण सिद्धि प्रagaप्त करने के लिये स्वयं दुर्वासा ने प प्रयोग को सिदgon. जब दशरथ का कैकय नरेश से युद्ध हुआ, तो उसके कुलगुरू वशिष्ठ ने इस प्रयोग को सम्पन्न कर उन्हें विजय दिलाई, वाल्मीकि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि ने जब लव-कुश को तंत्र साधना सिखाने का उपक्रम किया, तो सबसे पहले इसी साधना को सिखाया था जिससे कि वे हनुम siguez
द्वापर युग में भी जब महाभारत युद्ध प्रारम्भ हो् सो् थिति में था, इधर मात्र पांच पाण्डव ही थे और उधर कौ कौ विशाल सेना थी, ऐसे समय में पूर्ण विजय प्राल्ति कॿ गवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गुफा में ले जाकर सस ास ास सम्पन्न करवाया और उसके बाद ही महाभारत का युद्ध प्रारम्भ, ॅज ्वयं आगे चल कर कहते हैं, कि मैंने और मेरे भाईयऋं जय प्राप्त की, पर युद्ध में मैं देख रहा था, कि महाली आगे बढ़कर शत्रुओं का संहार कर रही हैं और हमे विज पथ की ओर अग्रसर कर रही है।
वर्तमान में भी इस साधना रहस्य की प्रशंसा शंकराचार्य ने तो कही ही है, उन्होंने एक स्थान पर उल्लेख किया है, कि मेरे पास जितने भी तांत्रिक रहस्य है, उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध महाचण्डी दिव्य अनुष्ठान प्रयोग है, जिसके माध्यम से जीवन में असंभव कार्यों को भी संभव किया जा सकता है। गुरू गोरखनाथ तो इस साधना के बाद ही गुरू शब्द से विभूषित हुये और विश्व में प्रसिद्धि प्रagaप की की।।।।।।।।।।। वर्तमान में भी स्वामी अरविन्द, कपाली बाdos
दुर्गा साधना के सम्बन्ध में कई ग्रंथ प्रकाशित हो हैं हैं, लेकिन विशेष बात यह है कि चण्डी प्रचण्ड तंत्र सर्व महत्वपूpir. पूज्य गुरूदेव के शिष्यों में दुर्गा महाकाली के साधक विशेष रूप से हैं।।।।।।।।।
जब तक साधक साधना में लीन नहीं हो जाdos अनुभूतियां इतनी क्षीण होती है कि साधक शंक mí
भगवती दुर्गा को साधना में समर्पण भाव और जिस रूप से अनुष्ठान सम्पन्न करना है ूप रूप में होना आवश्यक है, मंत्lex शुद्धि सभी् razón जो साधक साधना में सिद्धि हेतु शॉटर्कट मार्ग चाहता है, वह कभी भी सफलता प्रagaप्त नहीं कर सकता। जीवन की कुछ विशेष भौतिक बाधाये, ग्रहों का दोष, दरिद्रता, मुकदमा, विवाह में रूकावट, रोजगार, कारोबार में बाधा इत्यादि जीवन को कष्टमाय बना देते हैं और मेरी यह बात निश्चित मान लीजिये कि जीवन में बाधाओं को हटाने के लिए महादुर्गा का अनुष्ठान व साधना करने के अलावा निश्चित कोई उपाय नहीं है। दुर्गा तो बाधाहारिणी, शक्ति प्रदायक है और जहाँ शक्ति है वहां जान लीजिये सब सब है।।।।।।।।।।।।।।
कितनी भी दरिद्रता हो, कैसा ही दुर्भाग haba
इस प्रयोग से लक्ष्मी आबद्ध होकर कई-कई पीढि़यों के लिये लकutar.
व्यापार वृद्धि के लिये वह अपने आप में श्रेष्ठतम् प्रयोग है, यदि इस मंत्र को भोज पत्र पर लिख उसे किसी फ् razón में मढ़व मढ़वί दुक दुक स स स स क क दें दें दें दें दें।। ।ella.
रोग शान्ति के लिये यह संसार, ह प्रयोग सिद्ध करने के बाद पानी का गिलास भर कत उस उस ंत्र पढ़ कर, फूंक देकर, यह पानी रोगी को पिला द।, च् जनक रूप से उसका स्वास्थ्य लाभ होने लगता
यदि इस मंत्र के द्वाisiones
यदि पानी के गिलास पर यह मंत्र पढ़ कर उस जल को घर में छिड़क तो तो घर का कलह नित्य होने वाले उपद्عL.
शत्रु नाश के लिये यह अमोघ कवच है, जो साधक इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद इस मंत्र को भोजthर पर लिख कर उसे त में razón कर कς कर त त favor
चाहे मुकदमा कितना ही विपरित हो रहok हो, मंत्र उच्चारण कर यदि कोर्ट कचहरी जाता है तो वह तुर vendaje सफलता और बदलते हुए व वellas
चाहे कितनी ही कठिन राज्य ब mí. में राज्य बाधा समाप्त होती है और स्थिति अनुकूल अनुभव होने लगती है।।।।।। है है
इस प्रयोग के द्वाisiones
यदि किसी चित्र के सामने संकल्प लेकर इस मंत्र का जप सम्पन्न करें, तो चित्र वाला व्यक्ति या स्त DavervOी तुरन्ण होते्त जículo जر है uto है विदella
चण्डी साधना जो साधक सम्पन्न करता है, उस साधक का स्वरूप ही बदल जाता है, उसकी विचguna शकgon. सक सकाellas चण्डी साधना का यह विशेष अनुष्ठान किसी भी पक्ष की अष्टमी के अतिरिक्त जब भी रवि पुष्य हो, नवरात्रि हो, ग्रहण योग हो दीप दीपaños इस साधना का विशेष ध्यान है और उसे उसी ¢ में में सम्पन्न करना चाहिये, मूल प्रयोग 11 दिन का है, कुछ पुस्तकों में इसे बढ़ बढ़ा कर 21 तथा 41 दिन कnas साधना में मूल मंत्र के अलावा ग्यारह दिन प्रतिदिन, साधना के दौरान संयमित जीवन सात्विक भोजन और भूमि शयन निश्चित endr
चण्डी साधना अनुष्ठान में विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह कि कि स mí.
इस साधना में नवारorar
साधक को जो प्रतिदिन नवीन यंत्र बनाना है, उसका र्रय ा हुआ है जो ताम्र पत्र पर अंकित चण्डी यंत्र स्तथथ स्तथा ह तो मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त स्थापह। मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठायुक्त है लेकिन साधअप े बनाये गये यन्त्रें की नित्य प्राण प्रतिष्ठा करना आवश्यक है।
इसके स स ही ही जलप जलपellas, गंग sigue, धूप, दीप, दूध, घी, घी, पुष ender, शहद, चन।, अक अक अकella, मिष ender प प utoega स, सुप, फल
अपने सामने एक लड़की का बाजोट बिछा कecerg एक थाली में ताम्रपात्र अंकित प्रagaण प्रतिष्ठा युक्त चण्डी यंत्र स्थापित कर यंत्र के उसी उसी थguna में में गणपति चक्र और शक्ति चक्र स्थ कर दें।।।।। में गणपति चक् razón धूप दीप जला दें तथा दूसरी थाली में एक कागज पecer
अपना बायां हाथ हृदय पर ominó
औं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम प्रagaण इह प्र sigue
ओं आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं सर्व इन्द्रियाणि इह मम मम मम मम मम मम मम मम
ओं आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽह मम वाक्-मन-चक्षु-शgonender
घ्राण प्राणा इहागत्य सुख चिरं तिष्ठन्तु स्वाह
इसके बाद सर्वप्agaथम गणपति पूजन एवं गुरू पूजन सम्पन्न करें, गणपति पूजा स्थापित किये गये गणपति चक्र से करें तथा गुरू चित Davidamente स्थ Davपित करू गु पूजन सम्पन कenda।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। चित्थ सuela.
अब सामने दोनों थ siguez
Ofrezco el pie, ofrezco la mitad
Ofrezco aachamana, ofrezco agua de Ganga
Ofrezco leche, ofrezco mantequilla
Ofrezco flores de árboles, ofrezco hojas de caña de azúcar
Ofrezco los cinco néctares, ofrezco la fragancia
Ofrezco akshata, ofrezco guirnaldas de flores
Ofrezco dulces, ofrezco cosas
Ofrezco incienso, ofrezco lámparas
Ofrezco el fruto del poongi, ofrezco el fruto
Ofrezco limosna al Chandi Yantra
इन मंत्रों में जिन-जिन वस्तुओं का नाम आया है, वे वस hubte तत्पश्चात् दोनों यंत्रें पर पुष्प चढ़ाये।
अब साधना का सबसे मूल क्रम प्रagaaga qued a
Después de eso canta un rosario de Navarna Mantra.
इसके पश्चात् एक माला चण्डी अनुष्ठान मंत्र का जप कप
प्रत्येक दिन के पूजा किये हुए यंत्र को ल siguez ग्याisiones बाकी यंत्र अपने परिवार के सदस्यों में अथवा जनहितoque जनहित किसी पीडि़त व्यक्तियों को दें।।।।।।।।।
ताम्रपत्र पर अंकित यंत्र को अपने पूजा स्थान में प्रमुख स्थान पर रखें और नित्य प्रतिदिन की पूजा में नमस्क Davaga करते हुए अगरबत्ती, दीपक्य जल जल।।
यह विशेष त sigue. जीवन में कभी भी कोई संकट उपस्थित हो तो उस समय भी स mí व sigue.
Es obligatorio obtener Gurú Diksha del venerado Gurudev antes de realizar cualquier Sadhana o tomar cualquier otra Diksha. Por favor contactar Kailash Siddhashram, Jodhpur a Correo electrónico , Whatsapp, Teléfono or Enviar para obtener material de Sadhana consagrado, energizado y santificado por mantra, y orientación adicional,
Compartir vía: