संस्कार, आस्था एवं परम्पराओं से नारी का अटूट नारी चाहे कितनी ही क्यों ना पढ़-लिख जाये, ऊँचे पदों पर कारtern. पाश्चात Est a अन्तर्मन में ममता, स्नेह, त्याग, करूणा एवं सहयोग के भावों को समेटे नारी जीवन में पग-पग पर संघर्ष का सामना करना पड़ता है।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है utosro फिर भी वह मुस्कुर marca हर कठिनाईयों में जूझती हुई अपने परिवार की सुख-समृद्धि, खुशहाली की कामना करती है।
नारी के दिन की शुरूआत ही पूजा-पाठ, सूenas देव को अatar. पर्व, व्रत, उपवास, आर marca, पूजा नारी के जीवन से जुड़े हैं हैं, जो उसे परिवार एवं समाज के साथ जोड़ते हुये आपसी आपसी िश िश त त va एवं मजबूत बन हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं. नारियों को त्योहार, उत्सव, पर्व का बेसब्री से इंतजा rodendr आज भी महिल siguez
करवा चौथ सुहागिनों का सबसे प्रिय व्रत है। जब वे अपने पति के स्वास्थ्य, दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं करवा चौथ का व्रत पूर्ण रूप से पति-पत्नी के प्रेम और उनके गृहस्थ जीवन को ही समenas है है।।।।।।। आenas संस्कृति में पति को परमेश्वर का स्वरूप कहा ही नहीं अपितु उसकी पूजा भी परमेश्वर स्वरूप में है।।।।।।।।।।।।।।।।।। पौराणिक कथाओं के अनुसार पत्नी का संसार पति की सेवा में अनुरक्त रहनok है। इसी को पतिव्रता पत्नी कहा गया है।
नारद ने जब यह कहा कि सत्यवान की आयु बस एक वû की की है तो सावित्री ने निष्ठा तथा आत्मविश्वासपूर्वक कहा जो कुछ को थ था सो हो ।guna।।।। favoría हृदय तो बस एक ही बार चढ़ाया जाता है। ¿Está bien? सती बस एक ही बार अपना हृदय अपने प्रagaणधन के चरणों में चढ़ाती है।।।।।।।
वह दिन आ पहुँच पहुँच जिस सत्यवान् के प्रellas सावित्री ने कहा मै भी साथ चलूंगी। वह साथ जाती है। सत्यवान् लकड़ी काटने ऊपर चढ़ता है, सिर में चक्कर आने लगता है और कुल hubte सावित्री पति का सिर अपनी गोद में रखकर पृथ्वी बै बै
तभी यमû ने ने करूणाभर शब्दों में कहा- तुम पतिव्रता और तपस्विनी हो और मैं यमराज हूँ।।।।।। सत्यवान की आयु पूágamientos पतिव्रता सावित्री भी उसी दिशा को जाने लगती है। यमराज ने मना किया परन्तु सावित्री बोली जहां मेरे पति स्वयं जा रहे हैं या दूसरा कोई उन्हें ले जा रहok हो- वहीं मैं भी जाऊंगी यही यही धellas यम मना करते रहें और सावित्री पीछे-पीछे चलती गयीीी उनकी इस दृढ़ निष्ठा और अटल पतिव्रता ने यम को पिघला दिया और यमराज ने एक-एक करके वर ूप में स सgunaando कहा। सावित्री gres और कहा- मैं पति के बिन mí उन्होंने सत्यवान के सूक्ष्म शरीर को पाश मुक्त करके सावित्री को लौटा दिया।
यमराज को जीतकर पति के मृत देह को जीवित कर लौटा लाना, भारतीय पतिव्रता धर terminarul इन तथ्यों से यह अनुम sigue अपने पतिव्रत धर्म से ब्रह्माणutar
सदियों पुरानी इसी परम्परículo को आज भी भारतीय नारी सौभाग्य चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत, साधना, आर marca, पूजा कर बड़ेरender करवा चौथ पर महिलायें हाथों में मेंहदी रचाती ंैंैंैं नृत्य, गायन, श्रृंगार के साथ सबसे महत्वपूर्ण जो है वह पति के दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं।।।।।।।।।।
समय के अनुरूप आज की नारी में भी परिवर्तन हुआ है॥ आज की भारतीय नारी पढ़ी-लिखी तो है ही, पर फिर भी उसके संस्कार ऐसे हैं कि वो अपने परिवार की श्रेष demás के लिये लिये, घर-परिवार िव की समृद समृद razón. सामाजिक, बौद्धिक, पाisiones यही वह आवश्यक तत्व है जिससे गृहस्थ जीवन सुचारू रूप से चल सकता है। एक-दूसरे के लिये त्याग, प्रेम, श्रेष्ठ विचार, वाणी, संयम से ही गृहस्थ जीवन की मजबूत नींव रखी जा सकती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। अन्यथा आज जिस प्रकार पति-पत्नी के मध्य मतभेद, तनाव, शंकाओं, आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है।।।।।।। वह तो बहुत घृणित, पाप-दोषों से युक्त, पशु तुल्य ही कहा जा सकता है। ये किसी भी दृष्टि से भारतीय संस्कृति का भाग नहीह आर्य संस्कृति में इसका कहीं भी वर्णन नहीं मिगते।
सहानुभूति गृहस्थ के लिये आवश्यक भी है और सहज भी॥ पति-पत्नी एक-दूसरे के सुख, दुःख के सहज संगी है। सहनशीलता भी गृहस्थ के लिये आवश्यक है। यदि किसी ने कुछ अपशब्द कह दिय mí उस समय उसको सह लेना ही श्रेयस्कर है। बाद में अनुकूल अवसर पाकर शांति से समझा देना चाहिये कि अपशब्द या अनर्गल कार्य व क्रोध से जीवन में सुख -शFंति आती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica सौहार्दपूáramar सहनशीलता में अहिंसा, अक्रोध, शांति, धृति तथ mí धैenas पूर्वक शांति का वातावरण बनाये रखनok ही गृहस्थी का मूल मंत्र है।।।।।।।
गृहस्थ को सutar. आसुरी पथ तो यहां अधिकाधिक मात्र में हैं। उनसे जीवन को सुरक्षित और संयमित कर उन्हीं मार्गों पर बढ़ना होगा जिन माisiones वहीं पर श्रेष demás, दिव्यता, प्रेम, माधुर्य, करूणा, सुखमय गृहस्थ जीवन का निर्माण हो सकता है।।।।।।।।
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