अर्थात् अन्न कोई मात्र पेट भरने वाली वस्तु नहीं है, अपितु व्यक्ति के समस्त संस्काisiones यदि अन्न पवित्र होगा, शुद्ध होग mí
शास्त्रों में - 'अन्नं ब्रह्मं' अर्थात् अनutar आरorar. भोजन में भी प demás क हैं- तामसिक, राजसिक और सात्विक- इसी के अनुसाtern
भक्ष्य-अभक्य में भेद करने वालों की बुद्धि भी वैसी ही हो जाती है, जबकि स साधक हैं हैं इस ब को को ज ज हैं वे क मन मन से कितन कितन कितन स सenda ज। स स स स-स स स स-स स स स-स औ औ औ-औ ग ग ग औ औ औ औ औ।।।। औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग N N ग औ ग ग. औ औ ग. औ औ ग ग Y N ग N N N N ग ग N J J N XNUMXla.
अन्न के तामसिक या सात्विक होने पर ही इतिश्री नहीं हो जाती, अपितु यह भोजन को निर्माण कû वendr गुरू नानक एक बार सैदपुर पहुँचे। वहां के एक उच्च अधिकारी मलिक भागो के घर पितecer उसने गुरू नानक को भी भोज में आमंत्रित किया, परन्तु नानकदेव ने भोजन करने से इंकार कर दिया। मलिक भागो ने क्रोध में पूछा- 'मेरे यहां भोजन करने में आपको क्यों आपत्ति है?'
'क्योंकि तुम्हाisiones
'
'दूध था?' मलिक विस्मय और क्रोध के मिले स्वर में पूछा।
'हां, लालो का भोजन कठोर परिश्रम की कमाई है, इसलिये उसमें दूध है।।।।।।'
'¿और मेरा भोजन?'
'असहाय और निर्धन लोगों की बेगार है, इसलिये उसमइू हेू नानक बोले
'¿इसका कोई प्रमाण?'
'प्रमाण तो कोई नहीं है, परन्तु सत्य को प्रमाणित किया जा सकता है।' और ऐसा बोलकर न siguez फिर दोनों को निचोड़ा। ऐसा करने पर ल siguez
यह देखकर मलिक ने नानक के चरणों में गिरकर आजीवन परिश्रम से आजीविका कमाने का प्रण किया। अर्थात किस तरह अन्न उपाisiones
अन्नपूर्णा जीवन में अन्न, धान्य एवं सकल भोज्य पदार्थों को प्ág. आज भी भारत में कई ऐसे योगी हैं, जिन्हें अन्नपूर्णा सिद्धि प्राप्त है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-1- स्वामी महेशानन्द जी, उत्तरकाशी, 2- स्वामी रामेश्वरानन्द जी, गंगोत्री, 3- लाल बाबा, गंगोत्री मार्ग, 4- बहिन सुप्रिया , केदारनाथ, 5- स्वामी विद्यानन्द, शेषनाग, कश्मीर, 6- हीरजokभ tomarán जिन्हें अन्नपूर्णा सिद्ध थी
गढ़वाल का एक महत्वपूर्ण शहर है 'टिहरी' और इससे थोड़ी ही दूर पर एक महतutar. इस आश SOWS सौ वर्ष से भी काफी अधिक आयु होने पर भी पह mí लगभग सौं सौं व sig से से वे विविध विविध साधन razuar.
गढ़वाल में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति बचा होगा, जिसने शिवानन्द आश्रम की यात्रaga नहीं होगी और भोजन नहीं किया होगा।।।। सभी शिष्य अत्यन्त ही नम्र, विनीत और आग्रह करके भोजन करते हैं, जबकि पूरे आश hubte जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण की रट लगाये रहते हैं, उनके इस इस आश्रम का द्वार सदैव खुला है, वे जाकर अपनी बुद्धि आजमा सकते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica
स्वामी शिवाननutar उनके द्वाisiones गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था करनी है एवं साथ ही आध्यात्मिक चेतना भी जाग्रत करनी है। आज से लगभग 35-36 वरorar प्रणिपात हो गये।
इस अवसर पर सद्गुuestos बाहर भोज हो रहok था, उस कुटिया में शिष्य आते, जमीन पर हाथ रखते और जिस पदारorar. इसी सिद ternधि के आधाocar पर स्वामी शिवानन्द जी ने नेाहाबाद के एक कुम्भ मेले के अवसर पर प दस हजार साधुओं को भोजन क sirtan था। va
अन्नपूर्णा साधना आज भी साधकों के पास सुरक्षित है और साधना द्वारuerzo सिद्ध की जा सकती है, परन्तु इसके लिये साधक का सत्संकलorar जो व्यक्ति सिद्धि प्रagaप्त हो जाने पर स्वारorar जो प्रदर्शन के चक्कuestos
इस साधना के सिद्ध होने पर साधक को कभी भी अन्न, धान्य की कमी नहीं।।।।।।।।।।।।।। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में देवी अन्नपूisiones कभी भी घर से कोई भूख mí
विश्वामित्र प्रणीत 'तंत्र सार' में अन्नपूर्णा साधना के निम्न लाभ बताये हैं-
1 इस साधना के सिद्ध करने के बाद व्यक्ति सिद्ध योगी बन जाता है, उसे महादेवियों के दर्शन प्रagaप होने होने हैं हैं, जिससे उसक साधन Dav स्मक स razón नि sigue
2 अन्नपूenas ण साधना सिद्ध होने पर कई सिद्धियां तो साधक को ही ही अपने आप प्रagaप demás हो जाती है।।।।।।।।
3 साधक जहां भी रहता है, उसे मनोवांछित भोज्य पदार्थ उपलब्ध होता है, कितने ही लोग क्यों न, वह सबको आतिथ्य सत्क Chr.
4 अन्नपूर्णा साधना को सम्पन्न करने के बाद साधक द्व♣ ग्रहण किया अन्न उसके शरीर, बुद्धि और मन की शुद्धि कर उसे योग पथरentas आरूढ़ ender
5 एक बार भी यदि इस साधना को सम्पन्न कर लिया जाये, तो साधना के बाद घर में जो भी अन्न पकता है, इस अन्न को ग्रहण करने से भोजन करने वाले सभी सदस्यों के अन्दर सद्विचारों का, सुसंस्कारों का, पवित्र भावनाओं का, आपसी प्रेम आदि सद्गुणों का जागरण होता है। घर स्वर्ग तुल्य हो जाता है, क्लेश समाप्त हो जाते हैं, सभी के अन्दर परिवर्तन होता है और सन्तान संन्मرerm.
6 अन्नपूर्णा साधना सिद्ध करने के बाद साधक के लिये सिद्धाश्रम के ¢ endr.
7 यह म sigue. क्योंकि भगवती अन्नपूर्णा की कृपा से साधक के घर का अन्न मात्र फिर अनutar
यह साधना अन्नपूर्णा जयन्ती के अवसर पर या किसी पुष्य नक्षत्र से प्रagaaga quedó साधक रेशमी धोती धारण कर बैठें, घी का दीपक व अगरबत्ती लगा लें। किसी प sigue.
इसके दाईं ओर 'मयूर शिखा' तथा यंत्र के बाईं ओर 'शतपुष्या' को स्थापित करें। इसके बाद सात ज siguez
अब दाहिने हाथ में -
ऊँ Este es el Sri Annapurna Mahadevi Hridaya Stotra Maha Mantra
Sri Mahakala Bhairava Rishi Ushnik Chanda Mahashodha
स्वरूपिणी महाकाल सिद्धा श्री,
ह्रीं बीजं, हूं शक्ति, क्रीं कीलकं, श्री अन्नप६्ाम
प्रसादात समस्त पदार्थ प्रagaप्त्यba मंत्र जपे विनियोग।।।।।।।।
जल को भूमि पर छोड़ दें तथा पूरे शरीर के अंगों को दाहिने हाथ से स्परorar
श्रीमहाकाल भैरव ऋषये नमः शिरसि
उष्णिक् छन्दसे नमः मुखे
Mahashodha Swaroopini Mahakala Siddhi
श्री अन्नपूर्णा अम्ब देवतायै नमः हृदि
ह्रीं बीजाय नमः लिंगे
ह्रीं शक्तये नमः नाभौ
क्रीं कीलकाय नमः पादयो
mantra para conseguir todas las cosas
जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे
इसके बाद अन्नपूisiones
स sigue "
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