अन्नपूर्णा मात्र अन्न व खाद्य पदारorar अन्नपूenas ण को जिस जिस प्रकार अन्न की देवी माना जाता है, उसी अन्न के ग्रहण करने से हमारे शरीर में ऊर्जा का संचguna संच razón होतरी azul.
अन्नपूर्णा देवी की कृपा-दृष्टि के अभाव में व्यक्ति का जीवन कुस्थितियों व कुसंस्कारों से घिर marca हत va है, परिवार में निरनículo क्लेश अशaños ऐसी स्थिति में मनुष्य सभी प्रयास करने के पश्चात् भी कोई सुधार ना होने पर परेशान होकर अपने अपनेरgon. क क क में।।। असम असम असम असम। है है है है है है है है है है है है है है में में में में में है है होत होत होत प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत.
अतः अपने जीवन में नारकीय सutar इस चैतन्य कवच को धारण करने वाला व्यक्ति तीनों लोकों में वैभव का अधिकारी होता है।।।।।।
उसके जीवन में सुस्थितियों व सुसंस्काisiones जिससे वह अपने जीवन में निरन्तर क्रियाशील रहते हुये अपने कर्तव्यों का पूर्ण endr इस दिव्य कवच को जो भी व्यक्ति धारण करता है वह निरन्तर ऊर्जावान, बलवान, सुसंस्कारी, बुद्धिमान, कर्मशील रहता है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। va
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