मन की दुर्बलताओं के कारण ही व्यक्ति आज इतना अधिक परेशान हो गया है।।।।। मन में दृढ़ता न होने के कारण ही व्यक्ति किसी भी संकल्प को तो तो लेता है परन्तु बीच ही ही घबरा जाता है है है है है है है है है है है है है है है यदि वह मन से बली है तो परिस्थितियों को झुकाकर ही दम लेता है और विजय हासिल करके रहता है।।।।।।।। स्वभाव में क्रोध, चिड़चिड़ापन, खीझ, निर marca, भय, असहायपन, लक्ष्यहीनता, उच्चाटन- ये सब मन की निर्बलता ही।।।।।।।।।।।।।।।।।। हर क sigue, आप पर हावी हो जाता है, घर के वातावरण एवं काisiones
जीवन में भौतिक रूप से उतार-चढ़ाव आते ही है है, उथल-पुथल होती ही हैं, लड़ाई-झगड़े होते ही है, लाभ-ह होती ही हैं, अमीरी-गरीबी होती है, परन tercadero मनुष वही वही है है जो जो स स में सम सम सम सम है है प, मनुष मनुष मनुष वही है है है जो स स में में सम सम सम सम सम सम सम सम सम , प्रसन्न रह सके, आनन्दित रह सके और इसके लिये आवशutar
भगवान श्रीर marca ने रावण पर विजय प्रagaप्त करने हेतु देवी अपराजिता की उपासना सम्पन्न की, जिसमें उन्हें पूर्ण ूप से सफलत सफलतgonya प्त हुई।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। electrónico. अपराजिता अर्थात कभी पराजित नहीं होना, अतः देवी अपराजिता की कृपा से ही व्यक्ति के जटिल-से-जटिल कार्य पूर्ण रूप से सम्पन्न कर पाता है और यह दैवीक कृपा आत्मसात करने के लिये भगवान श्रीराम समान व्यक्तित्व होना अति आवश्यक है, क्योंकि सत्य तो यह है कि जिस व्यक्ति में जितना अधिक श्रद्धा, परोपकार, क्षमा, सहनशीलता, दया भाव होगा, वह की कृप कृपा पा प fubar बन पाता है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है.
चैत्र नवरात्रि की चेतन mí देवी अपराजिता की आराधना से व्यक्ति अपनी निर्बलता को समाप्त कर मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की तेजस्विता से युक्त सभी कर्त्तव्यों को हर्ष-उल्लास, प्रसन्नता व आनन्द से पूर्ण करने में सफल होता है और साथ ही विपरित परिस्थितियों को अनुकूल निर्मित कर पाता है। भगवान श्रीराम की भांति व्यक्ति सहनशील व धैर्यवान, अलौकिक स्वभाव, धर्म प्रियता, परोपकारी, विनम्रता, अद्वितीय वीरता, मित्रता आदि कgon. मन को पूर्ण चैतन्यता दृढ़ता और अडिगता प्रदान करने की ही यह दीक्षा है जो आज के युग प्रतر व व्यक्ति के अनिव अनिव Davर।।।।।।।।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है
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