जब व्यक्ति अपने इष्ट रूपी गुरू की उपासना किसी विशिष्ट दिवस या मुहूर्त पर सम्पन्न क demás है तो उसकी पूजा, साधना, मंत्र जप का सुफल शीघ् razón ही प °ellas होत होत है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है।।।।। है। है है है।। है। है। है है।। है है है है है है है है है है है है है है है है। है है है। है है. प्रija ग्रंथो के अनुसार कुछ ऐसे विशेष काल व दिवस है, जो चेतन्य व पूर्ण फलदायक होते हैं, सूर्य ग्रहण ऐसे ही विशेष दिवसों में एक।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। एक एक एक एक एक एक एक एक से एक एक eléctrico जो व्यकorar
सांसारिक मनुष्य को यह ज्ञात है कि समय बलवान होता है, इसीलिये वह शुभ काisiones अतः सूर्य ग् porta ऐसे विशिष्ट दिवसों पर अपने सद्गुरूदेव से सूर्यग्agaanda तेजस्विता सद्गुरूदेव शिष्याभिषेक दीक्षा ग्रहण करना सर्वश्रेष्ठ मoque गया है है। है। है है है है है है है है है है है है। है है। है है है है है है है है। है। है है.
इस दीक्षा के अन्तisiones जो बिना गुरू के शुभाशीर्वाद के अत्यन्त दुर्लह इस दीक्ष mí जिससे अपने भौतिक व आध्यात्मिक जीवन में निरन्तर गतिशील रहते हुये उन्नति प्रagaप demás कenas है।।।।।।।।। साथ ही इस दीक्षा को आत्मसात करने वाला व्यक्ति अपने में में ब्रह्म तत्व को कatar कर पाता है।।
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