जिस प्रकार शरीर की शुद्धि के लिये, उसे नित्य स्वच्छ करना आवश्यक है, उसी प्रकाár. जब तक मन नकार marca विच विचija से भरा है, तब तक वह एक लक्ष्य की ओर ध्यान नहीं कर सकता है।।।।।।।।।।।।
हर शिष्य का रक्त लाल है और हर शिष्य के आंसू खाहै ै हर शिष्य को ऐसा मार्ग अवश्य ही खोजना चाहिये, जिससे उसके सम्मान की रक्षा और अनन्त सम्भावनाओं की पूर्ण प्र हो।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। सके।।।।।।। सके सके।।।। सके सके objetivo
वास्तविकता को केवल शब्दों के माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता। आम का स्वाद, उसे चख कर ही जाना जा सकता है। साधना द्वार marca
अतीत का पीछा न करो और भविष्य के भ्रम जाल में न सोथसूथ अतीत व्यतीत हो गया है और भविष्य अभी अनागत है। यहां अभी इस क्षण जीवन जैसा है, उसी की धारणा करो। साधनाभ्यासी शिष्य स्थिरता और मुक्त भाव से जीता ै
जीवन में चार सत्य हैं- दुख की स्थिति, दुःख क mí इन पर निरन्तर विचार करते ही रहना चाहिये।
शिष्य धरorar.
El discípulo es el poder base.
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