मनुष्य को ध्यान की क्रिया प्रारम्भ करने हेतु मन को एकाग्र करना आवश्यक है और मन का संचालक चन्द्रमा है। वेदों में कहा गय mí चन्द्र ग्रहण के मुहूर्त में जो व्यकorar. जब व्यक्ति ध्यान के सम्बन्ध में विचार करता है, तो सर्वप्रथम गौतम बुद्ध का स्मरण होता है क्योंकि बुद्ध ने अपनी ध्यान सिद्धि के माध्यम से अहम् ब्रह्मास्मि की स्थिति प्राप्त की तथा ध्यान सिद्धि के ज्ञान को पूरे विश्व में विस्तार किया।
अतः व्यक्ति अपने जीवन की व्यथाओं, परेशानियों ा बा बा ब के निवारण हेतु अपने इष्ट रूपी गुरू से चन्द्र गत९् त बुद्ध पूर्णमा के चेतन्य दिवस पर चन्द्र सौमततया௨ सिद्धि अहम् ब्रह्मास्मि चेतना दीक्षा, व्यक्ति चन्द्रमा की सौम्यता को आत्मसात कर अपतने को समाप्त करने में सक्षम होता है, जिससे उसकी मनत शकम विस्तार होना प्रारम्भ होता है और ध्यान सिद्धथ उसके लिये सरल हो जाती है तथा वह अह्म ब्रह्मासऀमथइ ना से जीवन में पूर्णता प्राप्त कर पाता है।
इस हेतु सद्गुisiones यह दीक्षा ग्रहण करने के बाद साधक के मस्तिषorar उसके चेहरे का तेज तो दीक्षा लेने के बाद ही बिल्कुल बढ़ जाता है, क्योंकि जब आंतरिक परिवर्तन होता है, तो उसका प्रभ बाहृय देह पर प पड़त ही है है है है है है है है है है है है है है है है है है है।।।। है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है।।।।।।।।।।।। है है।।।।।। है है है है।।।। है है।।।।।।।।।।।। objetivo इस दीक्षा को प्रagaप demás करना अपने जीवन में आनन्द और परमानन्द को स्थापित कर लेने जैसा ही।।।।।।।।।।।
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