ऐसे अद्वितीय स्वरूप का पांचवे दिन साधक विशुद्ध चक्र में ध्यान करता है। विशुद्ध चक्र के वाहन शक्ति मदमस्त ऐर gaste ललिताम्बा स्कंधमाता के आराधना से षडरीपू का शह२
सन्तान के लिये व sigue. इसी प्रक marca श्री विद्या स्कंधमाता शक्ति स्वरूपा ललिताम्बा की उपासना करने से साधक को कुछ कुछ प्रने प्रने प्रने प्रellas Árूखे सुखे जीवन में भी भी स स sig mary, मधु sigत, लालित्यता, सुन्दरतί marca, आनन्द, प्عecer. सुआचरण, सुव्यवहार, सुसंस्कार की प्राप्ति होती ।
भगवती ललिताम्बा परा विद्या होने के कारण भक्त के अविद्यारूपी छल, कपट, घृणा, कुंठा, विकृत कामदोष ; ति, दूसरे के प्रति जलन-ईर्ष्या और शुत्रता बैरता द्वेष के भाव समाप्त होते है।
पुराणों में वर्णन है कि भगवान सदाशिव कामदेव को भस्म करने के उपरांत उसकी ¢ को को श्रीगणेशजी ने मुर posterir वही स्वरूप निन्दित कुत्सित घृणित कर्म करने वाले, सर्वथा काम क्रोध, लोभ से युक्त होने वाले भण्डासुर के नाम से कुख्यात हुआ हुआ हुआ
उसी भण्डासुर के प्रकोप से त्रिलोक में हाहाचगर जब शिव ने तीसरी आंख की अग्नि से काम को भस्म किया, उससे काम का केवल ¢ endr. Ver más कहने का तात demás है कि काम जो अहंकार का भी बीज है, उससे घृणा अथवा क्रोध करने से समाप्त नहीं सकता।।।।।।।। सकत सकत सकत सकत सकत dos ऐसा करने पर वह दब जायेगा। लेकिन कालान्तर में फिर प्रकट हो सकता है। इसी कारण काम भस hubte जिससे वह महान अनर्थकारी होता है।
भण्डासुर तो सभी प्रकार के विकार, विकृत इच्छायें, छल, झूठ, विश्वासघात, कपट, घृणा, क्रोध, दुर्बुद्धि, दुरbar, मांस-मदिर marca सेवन, कुसंस्काocupe पराविद्या स्कंधमाता पंचमी शक्ति का ललिताम्बा स्वरूप इन्हीं नकारात्मक शक्ति को परिवर्तित कर साधक को लालित्यता, कोमलता, सौम्यता, माधुर्यता, स्निग्धता, वात्सल्यता, स्नेह, करूणा, प्रेम, आनन्द, सौन्दर्य, सात्विक काम शक्ति, ओज, तेज, आकर्षण, सम्मोहन, धन , अर्थात् सभी आनन्दमय प्रवृत्ति को सात्विक गुणों से युक्त कर देती।।।।।।।।।।।।।।। जिससे साधक सभी सुखों को भोगत mí
इस साधना को सम्पन्न करने हेतु 10 अक्टूबर 2021, रविवार को प्रaga स्नान आदि के बाद लाल-पीला साफ वस्त्र धारण कर उतículo supriba दिशा कीर मुंहatar क। बैंठे बैंठे बैंठे बैंठे वस् razón सामग्री- श्री लक्ष्मी ललिताम्बा यंत्र, पंचमी शक्ति माला, eccionarse लकड़ी के बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर तांबे या स्टील के थाली में पुष्प पंखुडी फैलाकर, बीच में श्री लक्ष्मी ललिताम्बा यंत्र रखें और पंचमी शक्ति माला को यंत्र के ऊपर गोलाकार में रखें फिर उसके बीच में रसराज गुटिका स्थापित करें। एक दीपक को यंत्र के सामने और अन्य चारों को चार दिशा में चावल की ढेरी के ऊपecer अब पवित्रीकरण करें-
ऊँ अपवित्रः पवित्रे वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यान्तचः शुःु
हाथ में पुष्प् लेकर निम्न मंत्र का पाठ करके बी -
OM GAM GANAPATIYE GAM NAMAH. OM BHAM BHAIRAVAYA BHAM NAMAH.
संक्षिप्त में गुरू पूजन करे, गुरू यंत्र और गुरू चित्ág.
आनन्दमानन्दकरं प्रसन्नं ज्ञानस्वरूपं निजब।१
योगीन्द्ηorar
1 XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX XNUMX
ऊँ ह्रीं श्री गुरो दक्षिणामूर्ते भक्तानुग्तहकृृाकृ
Oh Señor Lalitamba concédeme permiso para adorarte
Aplique cinco puntos de azafrán kumkum en el yantra.
चन्दन, पुष्प, अक्षत, मिष्ठान फल, पांच आचमन्य जल अर्पित करें। फिर पंचमी शक्ति माला को हाथ में लेकर ऊँ ह्रीं श्रीं अक्ष्य मालाये नमः मंत्र से चन्दन, कुंकुंमatar
उसके बाद 5 माला 9 % प्रतिपदा से 9 दिन तक या पंचमी से 9 दिन तक जप करें, जप के पश्चात् प्रति दिन दुर्गा आरती और गुरू आरती सम्न करें, फिर हículo में अक अक पguna कر कguna. प्रसाद ग्रहण करें। 9 दिन ब siguez बाद में विजयदशमी पर्व पर रावण दहन की अग्नि में गुटिका को विसर्जन करें।
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