माता मातंगी के शिव “मतंग 'हैं, भगवती मातंगी तेजस्वी, नीलकमल की कान्ति जैसी श्याम वर्ण की हैं।।।।।।।।।।। श्याम वर्ण का तात्पर्य ही सभी सुखद रंग समाहित हे उच्छिष्ट च sigue. मातंगी शब्द जीवन के प्रत्येक पक्ष को जाग्रत करने की क्रियendr
कार्तिक मास महालक्ष्मी का मास हैं और इस मास की पूर्णता दिव्यतम चन्द्रग्रहण से युक्त होने से ऐसे सुयोगों से निर्मित महापर्व पर सौन्दर्य अनंग शक्ति सम्मोहन मातंगी दीक्षा ग्रहण करने से जीवन में स्थायी रूप से भोग विलास युक्त मधुरता, सुख-भोग पूर्ण स्थितियां प्राप्त होती है साथ ही कार्य व्यापार में वृद्धि व अटूट लक्ष्मी का आगम बना रहतok हैं।।।।।
जब ऐसे विशेष ग्रहणकाल में live रूप में उक्त समय पर सदगुरूदेव कैलाश श्रीमendr तब ही निश्चित रूप से रस, यौवन, विलास, ऐश्वर्य, गृहस्थ सुख, आनन्द, भोग को प्रदान करने वाली मातंगी शक्ति में जीवन कं प प्ender. साथ ही व्यक्ति यौवन रूपी ऊर्जा से युक्त होत mí इसी से पौरूषता में वृद्धि की प्राप्ति जबकि स्त्रियां रूप, लावण्य, सौन्दenas व व कोमलता से परिपूर्ण होती हैं जिससे निatarir तब ही इस शक्ति की साधना से जहां स्वास्थ्य, आयु, धन, कुल कुटुंब सुख, संतान, भू-सुख सुख, भgon वृद वृदguna में गति गति का भाव तीव्ηaga से से क uto िय होत होत।।।। solo है।।। uto.
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