अंगूर से अनेक आयुर्वेदिक योगों का निर्माण किया जाता है, जिनमें प्रमुख योग हैं- द्रagaक्षारिष haba
अंगूर को संस्कृत में द्रagaक्ष (जो मन को प्रिय हो) मृद्वीका (जो शरीर को मृदु-स्निग्ध करे) तथा मधुरसा कहते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हिन्दी में दाख, मुनक्का, अंगूर, बंगाली में- द्रagaक hablo द्रijaषे, फारसी में- अंगूर, रजबाग, अरबी में- एनव जबीब, हवुस जबीब और अंग्रेजी में- ग्रेप (uva)। अंगूर रेचक, शीतल, नेत्रें के लिए हितकारी तथा शरीर के लिए पौष्टिक है, इसके से सदा यौवन बना रहतok है और बुढ़ापा दूर भागता है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है यह अनेक रोगों में पथ्य तथा अचूक औषधि है। -
अंगूर गुण मे स्निग्ध व मृदु है, यह रस में मधुर, विपाक में मधुर और वीर्य में शीत।।।।।।।।।।।।। इसको खाने से गला साफ होता है तथा आवाज मूत्रल कब्जनाशक तथा पेट की गैस को दूर यह खाने में स्वादिष्ट, रतिशक्ति को बढ़ाने व sigue.
यह स्निग्ध व मुधर होने से वात क mí किन्तु कफ कारक है। ज्वर, श्वास, उल्टी, वात balteador अंगूर, शुक्र-दौ¢ एवं एवं गर्भाशय की कमजोरी में अंगूर का सेवन करने से लाभ होता है।।।।।।।।।
कच्चे अंगूर पके की अपेक्षा कम गुण वाले और पचने में गरिष्ठ होते हैं।।।।।।।। खट्टे अंगूर रक्त पित्तवद्धर्क होते हैं, अतः इनका सेवन नहीं कenas चाहिये मुनक्का विशेष रूप से संभोग शक्ति को बढ़ sigue. जिनकी संभोग शक्ति क्षीण हो गई हो, जो पुरुषत्वहीन हों उन्हें नियमित endr
शरीर के भीतरी कोष-संघटन मांसपेशियां तथा तंतुओ को चुस्त, क्रियाशील तथा विकासमान ¢ के लिए जिन जिन रासायनिक तत्वों की आवश्यकता होती वे प प्रículoयः सभी अंगू अंगू uto में प ये ज होती हैं वे प प्रículo. नाड़ी मंडल को पुष्ट रखने के लिए ऑक्सीजन, ग्लूकोज, पोटैशियम और शर्कर marca आहार की जरूरत होती है।।।।।।।।।।।।। इन सभी की पूर्ति अंगूर से हो जाती है, मधुर फलों में सर्वाधिक ग्लूकोज अंगूर में होता है।।।।।।
यद्यपि अंगूर में लौह तत्त्व की मात्र कम होती है, फिर भी रक्त की कमी के कारण उत्पन्न पांडूरोग में यह उपयोगी।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। अंगूर का रस खून की कमी को रोकता है। इसके सेवन से लौह तत्व की कमी तथ mí अधिकांश बीमारियां पोषण की कमी, विटामिनों व क्षारों की कमी से उत्पन्न होती।।।। अंगूर इन कमियों को दूर करने में काफी कारगर होथहै
अंगूर में ¢ ¢ एवं एवं त्वचा सम्बन्धी सभी रोगों को दूर करने का अद्भुत गुण है, ominal की ख खर sigue. अंगूर फल को उसके मूल रूप में खाया जा सकता है, परंतु रोग मुक्ति के लिए उसका रस निकालकर पीना विशेष लाभकारी होता है।।।।।।।।।।।।।।।। अतः किसी रोग से छुटकाisiones पाने के लिए रस रूप में ही इसका पर्याप्त मात्र में सेवन करना चाहिए।।।।।
अंगूर का प्रतिदिन सेवन करने से कब्ज दूर होती है, अर्शरोग (बवासीर) में इसका सेवन लाभप्रद होता है।।।।।।।।।।।।।।। इसको खाने से पेट की जलन व पित्त प्रकोप का शमन हྥथ शenas दुर्बल हो, कमजोरी महसूस होती हो, आँखों में धुंधलापन लगता हो और जलन होती हो तो अंगूर खाइये, निश्चित ही लाभ होगा। होग होग ।ija
अंगूर मानसिक विकार, श्वास आदि रोगों से रक्षा करता है, अंगूर में उत्तेजना और ताजगी देने का गुण है, अंगूर से आयुû आसव अya औ suponio
सफेद अंगूर लेकर नींबू के रस में पीसकर उसमें पानी मिलाकर छान लें, फिर आधा किलो अनार का रस एवं किलो किलो्कर मिलाकर धीमी प¶ पक जब क razón यह अंगूर शरorar
सोंठ, क siguez पाचक अग्नि तेज होती है तथा अरूचि, कब्ज, पेटदर्द, गैस आदि उदर दूर हो जाते हैं।।।।।।।।
छोटे बच्चों को कब्ज की शिकायत होने पर प्रतिदिन सुबह 8-10 अंगूecer
पचास काला अंगूर र gaste
अंगूर और अमलत siguez
अंगूर, पित्तपापड़ा और धनिया, इन तीनों को पानी में भिगो दें, फिर इनutar
अंगूर खांसी में भी लाभकारी है है, इसके बीजरहित मुनक्का 15 ग्रagaम, बादामगिरी 15 ग्र sigue 15-3 बार चूसे, ऐसा करने से खांसी ठीक हो जाती है।
मुनक्का, आंवला, पीपर और काली मिर्च लेकर चूर्ण बन sigue.
मूत्र रोगों में 50 ग्रagaम अंगूर को ¢ र को ठंडे पानी में भिगो दीजिए, सुबह उसे मसलकर छान लें, फिर उसमें थोड़ स स जी razón
किसमिस और छोटी इलायची के दाने लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इन्हें आधा लीटर पानी में घोलकर छान लें और शकutar तथा मूत्र त्याग खुलकर होता है।
20-25 ग्रagaम अंगूर खाकर ऊपर से दूध पीने से शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है तथा शक्ति में वृद्धि होती।।।।।।।।।
इसके अतिरिक्त अंगूर और भी कई रोगों को दूर करतै ॹ
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि अंगूर के सेवन से कैंसर जैसे असाध्य रोगों से बचाव होता है।।।।।।।।। अंगूर शरीर में से विष बाहर निकालने का, शरीर को शुद्ध करने का तथा मांस पेशियों व कोषों को शक्ति प्रदान करने का काम करता है, अतः जो लोग आजीवन स्वस्थ रहना चाहते हैं, उन्हें हर वर्ष अंगूर के मौसम में इसका सेवन नियमित रूप से अवश्य करना चाहिये।
Es obligatorio obtener Gurú Diksha del venerado Gurudev antes de realizar cualquier Sadhana o tomar cualquier otra Diksha. Por favor contactar Kailash Siddhashram, Jodhpur a Correo electrónico , Whatsapp, Teléfono or Enviar para obtener material de Sadhana consagrado, energizado y santificado por mantra, y orientación adicional,
Compartir vía: