त्रिपुर भैरवी की साधना करने से साधक समस्त शत्रु पर विजय प्रagaप्त करता है चाहे वह शत्रुओं अधिदैविक हों, अधिभौतिक हों अथव अथवgon आध्य्मिक हों।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica। हों electrónico eléccar उसके जीवन में आ रही हर प्रकार की बाधाओं का शमन हो तंत्र बाधाओं के निर्वाण के लिए इस साधना का विशेष महत्व है।
शत्रुओं और बाधाओं का संहार करने के स mí दस मह sigue. इनकी साधना से साधक को समाज में यश, सम्मान, समाज में प्रतिष्ठा तथा वर्चस्व प्रagaप sup. होता है है है है है त्रिपुर भैरवी को भगवती आद्या काली का ही स्वरूप मanzas गया है।।।।।।।।।
पुराणों में प्रसंग आता है, कि जब प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, तो उसमें अपनी पुत्री सती एवं उनके पति भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, इस कारण सती को क्रोध आया और वह बिना आमंत्रण ही यज्ञ में जाने को उद्यत हो गई क्रोध से उनका स्वisiones दक्षिण दिशा में रोकने वाली देवी भगवती त्ع lado वे शत्रुओं का दमन करने वाली सर्व दुःख तारिणी तथा षट demás
पंचमी विद्या भगवती छिन्नमस्ता का सम्बन्ध 'महाप्रलय' से है, जबकि त्रिपुर भैरवी का सम्बन्ध 'नित्य प्रलय' से।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है है है है है से से से से से से eléctrica प्रत्येक पदार्थ प्रतिक्षण नष्ट होता रहता है। नष्ट करने का कार्य रूद्र का है और उन्हीं की शक्ति का नाम त्रिपुर भैरवी है। राजरículo पदरी भुवनेश्वisiones
भगवती त्रिपुर भैरवी स्वरूप भैरवी यामल तंत्र में भगवती त्रिपुर भैरवी के स्वरूप को निम्न प्रक Davendr
उद्यद्भानु सहस्त्र कान्तिमरूण क्षौमां शिरोलााा
रक्तालिप्त पयोधरां जप पटीं विद्यामभीति वरम् ।
हसutar.
देवीं बद्ध हिमांशु रत्न मुकुटां वन्दे समन्ततथ्ாாா
भगवती त्रिपुर भैरवी की देह क sigue. वे रक्त वर्ण के रेशमी वस्त्र धारण किये हुए हैं। उनके गले में मुण्ड माला तथा दोनों स्तन रक्त से लिप्त हैं। वे अपने हाथों से जप-माला, पुस्तक, अभय मुद्रaga, तथा वecer रक्त-कमल जैसी शोभा वाले उनके तीन नेत्र हैं। उनके मस्तक पर ¢ जटित मुकुट तथा मुख पर मन्द मुस्कान है।
वराही तंत्र में लिखा है, कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि त्रिदेवों ने आदि काल में एक समय देवी की पूजा की थी, इसलिए इनको त त् razón न न भी ज ज ज। favoría त्रिपुर भैरवी साधना के सन्दर्भ में मुझे सन् 2012 की वह घटना याद आती है मेatar. एक दिन अचानक ही ऑफिस में मेरे सीने में तेज दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगा तो मेरे साथी (काम करने वालों) ने मुझे तुरन Dav. हॉस्पिटल तक पहुंचते-पहुंचते मैं लगभग बेहोश हऋ ाो ाो मेरे साथी समझ ही नहीं पाये कि ये अचानक क्या हो गया, इससे पहले तो ऐसा कभी नहीं।।।।।।।।।।।।।।। लगभग चार घण्टे हॉस्पिटल में इलाज लेने के बाद मुझे घर भेज दिया और साथ में कुछ दवा आदि भी दे दी।।।।।।।।।।।। मैं नियमित रूप से दवा लेता रहok, परन्तु डॉक्टरों को मेरा रोग समझ में नहीं आया था। इसलिए उन्होंने मुझे चैकअप करवाने के लिए दुबारा आने को कहकर डिस्चार्ज कर दिया।
लगभग पांच-छः दिन ही गुजरे थे कि अच mí. उसे भी तुरन्त हॉस्पिटल ले ज mí. डॉक्टरों ने भी भी मेरा वाला इलाज देकर छुट्टी कर दी और चैकअप करवाने की सलाह दे दी।।।।।।।।।।।।।।
पन्द्रह दिनों के अन्दर ही हम दोनों पति-पत्नी ने अपन mí इसके बाद प्रagaयः कभी मुझे तथा कभी मेरी पत्नी का एक बार बेहोश हो जाना आरम्भ हो गया। ¿Está bien?
अब मेरा ऑफिस में काम करने का दिल नहीं करता था एक सी सी कमजोरी हर समय महसूस होती रहती। मैं कुछ चिड़चिड़ा सा भी हो गया था। बात-बात में झगड़ा, गाली-गलौज करना, घर का समान उठाकर फेंक देना, ये सब मेरी आम जिन्दगी में शामिल हो चुका था। •
मेरे बेटे का कारोबार भी दिन-प्रतिदिन गिरता हत जा ाा उसकी हर कोशिश के बाद भी आर्थिक स्थिति दिनों दिन न्यून होने से उदास तो था ही गुस गुस्से में और चिड़चिड़ेपन में भी रहने लगा। हमाisiones हंसता-खेलता परिवार देखते-देखते ही उदास और हर समय नीरस रहने वाले परिवार में गय गया। धीरे-धीरे मेरे मित्र भी मुझसे कटने लगे।
यों ही एक दिन मैं जा रहok था कि एक बस स्टैण्ड पर मुझे गुरूदेव के शिविर के पोस्टर ने आकृष्ट किया, पोस्टर का शीर terminar यों तो मैं साधना, मंत्र-यंत्र में विश्वास नहीं करता था, परन्तु पता नहीं किस प्रेár ण मैं उस पोस्टर को देखकर साधना शिविर में भ भ लिय razón शिविर में पत्रिका प्रagaप्त की और पूज्य गुरूदेव जी से मिला और मैंने सारी समस्या गुरूदेवजी को ज्यों की त्यों बयान की और अपने घर की ह ह क razón उनके अलौकिक व्यक्तित्व को देखकर ही मेरा रोम-corresponde सच कह दूं तो मुझे लग रहा था कि अब मुझे किसी इलाज की आवश्यकता नहीं है है मैं तो उनके दर्शन मात्र से ठीक हो गया।।।।।।।।।।।।।।। uto तभी पूज्य गुरूदेव की गम्भीuestos ठीक किया जो तू यहां चला आया, अब सब ठीक हो जाएगा। तेरे मित hubte
गुरूदेव की बात सुनते ही ही मेरी आंख से से आंसू बहने लगे और साथ ही मुझे मुझे मिलί debe. मेरे मुंह से अनायास ही निकल पड़ा गुरूदेव अब मेरा कोई भी नहीं नहीं बिगाड़ सकता। तब गुरूदेव ने मुझे साधना की गोपनीय विधि देते हुए एक यंत्र व माला भी दी दी जिसे प्रagaप्त कर जैसे मैं निहाल हो गया। आज मेरी स्थिति पहले से कई गुना अच्छी है और पूज्य गुरूदेव मेरे पूरे परिवार के गुरू हैं।।।।। मंत्र-तंत्र तो जैसे अब हमारे लिये प्रagaण बन चुके हैं अब इसकी आलोचना करना तो दूर, सुनना भी मुश्किल है।।।।।।।।।।।।। पाठकों के लाभ के लिये मैं वही साधना विधि यह siguez ये साधना वास्तव में तीनों लोकों के शत्रुओं का संहार करने में सक्षम है तथा बड़े से बड़ा तंत्र प्रयोग इसके माध्यम से दूर हो ही जाता है, ये मेरा अनुभव है, मेरे लिए तो ये साधना पूज्य गुरूदेवजी का प्रदान किया हुआ वरदान ही है।
Tripura Bhairavi Sadhana Vidhan
इस साधना में आवश्यक सामग्री त्रिपुár. यह साधना आप किसी भी समय कर सकते हैं, प्रagaतः काल की ये साधना विशेष फलदायी है।।।।।।।।
स siguez पीली धोती, पीला वस्त्र धारण करें। गुरू पीताम्बर अवश्य ओढ़ लें और अपने सामने चौकी पर पीला वस्त्र बिछा लें, उस पर त्रिपुर भैरवी यंत्र और त्रिशक्ति गुटिका स्थापित कर, यंत्र पर कुंकुम की तीन बिन्दियां लगाएं संक्षिप्त गुरू/गणेश पूजन कर फिर धूप व दीप लगायें, दीप घी का ही होना चाहिए।
apropiación
अस्य त्रिपुर भैरवी मंत्रस्य दक्षिणा मूर्ति िषिःि
छन्दः त्रिपुर भैरवी देवता ऐं बीज ह्रीं शक्तिऍ थथक
कीलकं महा अभीष्ट सिद्धिये विनियोगः।
Karanyás
हसरां अंगुष्ठाभ haba
मध्यमाभ्यां नमः।, हसरै अनामिकाभ्यां नमः।, हसथंर
Nombre de usuario
Hridayadi Shandganyas
Hasran Hridayay Namah, Hasanri Shirse Namah.,
Hasnru Shikhaye Vashat. Husrai Kavachay Hu, Husnrau Netrayay
Vausht., Hasnr: Astray Phat.
Meditación
निम्न ध्यान मंत्र -
उद्यद्भानु सहस्त्रकान्मिरूण क्षौमां शिरोमततथ
रक्तालिप्त पयोधरां जप पटीं विद्यामभीति वरम् ।
हस्ताब्जैर्दधतीं त्रिनेत्र विलस्द्क्क्त्acho
देवीं बद्ध हिमांशु रत्न मुकुटां वन्दं समन्ततथ्ாாா
ध्यान के पश्चात् त्रिपुár.
जप समाप्ति के बाद दूध से बना भोग लगाये। अगले दिन यंत्र माला और गुटिका को किसी नदी में सथििि कर दें
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