शenas के आरोग्यार्थ यह रस इतना अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है कि विदेशी जीव वैज्ञानिकों ने इसे 'हenas लहू' (Sangre verde) कहकर सम्मानित किया है। डॉ- एन- विगमोर नामक एक विदेशी महिला ने गेहूँ के कोमल ज्वाisiones उपरोक्त ज्वाisiones जीव-वनस्पति शास्त्र में यह प्रयोग बहुत मूल्यईााा
गेहूँ के ज्वाisiones शरीर के लिये यह एक शक्तिशाली टॉनिक है। इसमें प्रagaकृतिक रूप से कार्बोहाईड्रेट आदि सभी विटामिन, क्षार एवं श्रेष्ठ प्रोटीन उपस्थित हैं। इसके सेवन से असंख्य लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिली है।।।।।।।
उदाहरणा sirथ: (1) मूत्रशय की पथरी, (2) हृदयरोग, (3) डायबिटिज, (4) पायरिया एवं दांत के अन्य रोग, (5) पीलिया, ((6) लकवा, (7) दमा, (8) दुखन दुखन va ((9) 10) पाचन क्रिया की दुर्बलता, अपच, गैस, (11) विटामिन ए, बी आदि के अभावोत्पन्न रोग, (12) त्वचendr. 13) आखों का दौर्बल्य, (14) केशों का श्वेत होकर झड़ जाना, (15) चोट लगे घाव तथा जली त्वचा सम्बन्धी सभी ोग।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
हजारों रोगियों एवं निरोगियों ने भी अपनी दैनिक खुराकों में बिना किसी प्रकार के हेर-फेर किये के के ज्वारों के रस से बहुत थोड़े समय में में चमत्क Dav no no liso वे अपना अनुभव बताते हैं कि ज्वाisiones कब्जी मिट जाती है, अत्यधिक कार्यशक्ति आती है और थकान नहीं होती।।।।।।।।
método de cultivo de trigo sorgo
मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिल्कुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ।। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूenas की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें।
इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए दिन नौव नौवguna कुंडा बोयें।।।।।।।।।।।। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडें में उगे गेहूँ काट कर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते हुए चक्र चलाते जाएं। इस प्रक demás में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें।
प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिये सदैव के उपयोगाisiones प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या तीन अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रagaतः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को खें।।।।।।।।।।।।।।।।।।। को को को को को को को को को को को को को को को को को को. सामान्यतया आठ दस दिन में गेहूँ के ज्वाisiones ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यों-ज्यों ज्वाisiones अतः उनका पूरा-पूर marca ल लेने लिये लिये सात इंच से अधिक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिये।
ज्वाisiones खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू
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जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारें काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही कपड़े से उसे छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूटकर ¢ निक sigue. चटनी बनाने अथव sigue. रस के निकालने के बाद विलम्ब किये बिन mí किसी सशक्त अनिव marca कija के अतिरिक्त एक कutar खाली पेट में प्रातः काल यह रस पीने से अधिक लाभ हो
दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिये। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उल्टी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है।।।।। परन्तु इससे घबराना न चाहिये। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक demás इसकी निशानी है।।।।।।। सenas, दस्त अथवा उल्टी होने से शरीर में एकत्रित हुए विष विष निकल जायेंगे।।।।।।।
ज्वारों क sigue. इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीगथय विशेषता यह ब siguez
रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते।।।।।।।।।।।।। इससे दाँत-मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुû आती आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है।।।।।।।।।।।।।।।। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये।
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अमेenas में जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। है है है है।।।।। जीवन की आश mí ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा?
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ज्वारों का रस दूध, दही से अनेक गुना अधिक गुणकारै दूध में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस मे इसके बावजूद दूध, दही से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ फिर से प्रagaप demás कर सकता है।।।।।।।।।।।।।। गरीबों के लिये यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, आब sigue. नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है।
ज्वाisiones इसी कारण से शरीर में जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वाisiones इसके द्वारículo प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्रagaणव, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविजς में में बताये गये कोषों जीवित जीवित के के लिए्यक सभी तत तत तत विज प प favor डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले चुके चुके शरीर को म Davर तीन सप्ताहों में त ताजा, स्फूरenos superm.
ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं। आरोग्यता के लिए भाँति-भाँति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना बंद करें। इस सस्ते, सुलभ तथ siguez
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