तंत्र विज्ञान कहता है कि वह विशेष क्रिया जिससे अपने शरीर, मन के अनुसार क्रिया सम्पन्न कर प्रकृति को अपने अनुकूल बनायाये।।।।।। ज जacho. जब प्रकृति मन रूपी यंत्र के अनुकूल हो जाती है, तो सारे कoque है हो जाते है है यही साधना है।।।।।।।।।।।।।।।। है।।।।। eléctrica स sigue "
होली, दीपावली, नवर marcautoega, महाशिवर marcaacho त तो अपने आप में साधना सिद्धि और शow. लेकिन उनके साथ ही स siguez इस समय पृथ्वी और पृथ्वी पर ominó ऐसे समय समय में यदि कोई भी भी साधना, मंत्र जप, हवन, दीक्षा आदि की क्रिया सम्पन्न कर ली जाये तो उसक उसकgon. सद्ículo जी ने अपने अपने प्रवचनों में इस बात को विशेष ूप ominal से स्पष्ट किया और पgon.
चन्द्रग्रहण के समय साधना सम्पन्न करने से व्यक्ति अपनी बाधाओं, समस्याओं और परेशानियों से हमेशा के लिये छूटकारा पा सकता है, क्योंकि समय का अपने-आप में विशेष महत्व होता है और इस दिन का भलीभांति उपयोग कर हम अपने लिये सफलता के द्वार खोल लेते है ।
प्रत्येक व्यक्ति को चाहिये कि वह ग्रहण के समय का दुरूपयोग न करते हुये पूजा प mí क्योंकि किसी भी प्रकार की समस्या से मुक्ति पाने के लिये इससे अच्छा व श्रेष्ठ समय और कोई नहीं होता। इस विशिष्ट समय में किये गये पूज mí
बड़े-बड़े तांत्रिक व मांत्रिक भी ऐसे ही क्षणों की प्रतीक्षा में टकटकी लगाये बैठे रहते हैं, क्योंकि उन्हें उसके द्विगुणित फल प्राप्ति का ज्ञान पहले से ही होता है और साधारण मानव इस बात से अपरिचित रह जाने के कारण ऐसे विशेष क्षणों को व्यर्थ ही गंवा बैठता है। सामान qu "
जिस कारणवश वह हर क्षण दुःखी व तनावग्रस्त ही दिखायी देता है, वे वgon. इस दृष्टि से सामokन गृहस्थ व्यक्तियों के लिये ग्रहण वरदान स्वरूप होता है।।।।।।।।।
वैसे तो चन्द् razón के समय कोई भी साधना सम्पन्न की जा सकती है किनgon.
विश्वकuestos म की दो पुत् Estó विवाह उपर sigueo ऋद्धि-सिद्धि साधना करने से भूमि-लाभ, शीघ्र भवन निर्माण तथा परिवार में पूर्ण सुख-शान्ति प्र sigue जिस प¢ िव में गणपति गणपति के साथ ऋद्धि-सिद्धि की पूजा होती है, वह घर ही मंगलमय आनन्दप्रद बन जाता है।।।।।।। लक्ष्मी की निरन्तर कृपा बनी रहती है, कर्ज के बोझ से मुक्ति मिलती।।।।।।।।।।
वहीं स sigue " अखण्ड सौभाग्य के स sigue. उस घर में निर्विघ्न रूप से सम्पनता आती है।
चन्द्रग्रहण या किसी भी बुधवार को सामने बाजोट पर पीला आसन बिछाकर थाली रखें, थाली के मध्य स्वास्तिक बनावें और च चguna त razón. इसके बाद गणपति ऋद्धि सिदutar तीन घी क mí फिर निम्न मंत्र का 'चन्द्omin
जप समाप्ति के पश्चात् ललिताम्बा यंत्र को पूजा स्थान में स्थापित करें व अन्य सामग्री को किसी पवित्र जलाशय में विसरbar कर दें दें दें।।। दें।।।।।।।। दें दें।। दें दें।।
पूर्ण पुरूषत्व का तात्पर्य है- पौरूष सम्बन्धी किसी अक्षमता से पीडि़त न हो, पूर्ण सुख का अनुभव कर पाता हो अथवा अद्वितीय पराक्रम एवं प्रखरता इस कला से पूर्ण व्यक्तित्व कहीं भी, किसी भी क्षेत्र में अपने प्रतिद्वन्द्वियों से भयभीत नहीं होता, वह सदैव निडर एवं बलशाली बना रहता है। जितने भी संसार में उदात्त गुण होते है, सभी कुछ उस व्यक्ति में समाहित होते हैं हैं, जैसे-दया, दृढ़ता, प्रगाढ़ता, ओज, बल, तेजस्वित Chrriba।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ।dos इन्हीं गुणों के कारण वह सारे समाज में श्रेष्ठतम व अद्वितीय मoque जाता है।।।।।।।
मनुष्य जीवन के दो पहलू हैं- भौतिक और आध्यात्मिक और जब व्यक्ति इन दोनों क्षेत्रों में इस पूर्ण पौरूष साधना को सिद्ध कर पूर्णता प्राप्त कर लेता है, तब वह जीवन की जो श्रेष्ठता है, पूर्णता है, सर्वोच्चता है, उसकी प्राप्ति के साथ जीवन के सभी आयामों को स्पर्श कर उसे पूर्ण पौरूष बना दै।ह वह जो चाहे, जब चाहे, जहां चाहे अपने मनोनुकूल कारorar
30 नवम्बर कार्तिक पूर्णिमा चन्द्रग्रहण पर या किसी भी सोमवार को ग्रहण काल में शुद्ध पीले वस्त्र धारण कर पीले चावल की ढे़री पर 'हिडिम्बा यंत्र' व सद्गुरूदेव का संक्षिप्त पूजन संपन्न कर निम्न मंत्र का 5 माला पुरूषोत्तम माला से 4 दिन तक जाप करें।
साधना समाप्ति के उपरांत सभी सामग्री को किसी पवित्र जलाशय या नदी में गुरू मंत्र का जप करते हुये विसर्जित कर दें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। दें दें दें
सम्मोहन तो अपने आप में एक विशिष्ट शैली और कला है, जो जीवन में त mí. इसके द्वारículo आकर्षण, चुम्बकत्व, सम्मोहन जैसे गुण तो आते ही हैं, साथ ही यह आन्तरिक ऊर्ज ज जguna, उत्ह और शीतलत क आन एक हैं timo सम्मोहन साधना मनः शक्ति को नियन्त्रित करने की प्रagaचीन तथा शास्त्र सम्मत विधि।।।।।।।।।।।।।। सृजनात्मक विचारों के द्वाisiones जिसका इस समाज में सर्वथा अभाव दिखायी देता है।
सर्वप्रथम 10 मिनट धutar.
साधक के लिए प hubte इसके पश्चात् 'सम्मोहन माला' से चन्द्omin
साधना समाप्ति के पश्चात् सम्मोहन गुटिका को गले में धारण कर लें औecer
जीवन में यदि पूरorar , जीवन में केवल वर्षों की संख्या से आयु का निर्धारण नहीं किया जा सकता। जीवन क mí
ग्रहण काल में या किसी भी गुरूवार को अपने सामने ताबीज रूप में 'आयुष्य लक्ष्मी यंत्र' स्थापित कर लें।।।।।।।।। प्रथम दिन साधना के बाद इस ताबीज को गले में धारण कर पांच दिन तक 'आयु वृद्धि माला' से 3 माला जप करें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
प्रथम दिन जिस समय साधना प्रagaendoginar पांच दिन बाद पांच छोटी कन्याओं को सम्मान पूर्वक भोजन आदि कराकर उन्हें भगवती महालक्ष्मी का ही स्वरूप म fl. यदि किसी की आयु कम हो या हाथ में जीवन ivamente ेख कटी हो, तो इस प्रयोग के कुछ दिन के भीतivamente ही वह रेखा पुनः स्पष्ट और सीधी दिखाई देती।।।।।।।।।।।।।।।। है।। है। है है है है है है देती है देती है देती है देती देती देती देती देती देती eléctrica eléctrica eléctrica
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