सांसारिक जीवन की क्ηaga में यकायक विषम स्थितियां या दुष्क्रियाओं के फलस्वरूप जीवन नारकीय हो जातानक है और व्ति समझ ही नहीं तंगी तंगी में में में में प वृद प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प — पूर्व जन्मों के दोषों, अनास्था के चिंतन स्वरूप अर्नगल क्रियendr. इसके सम sigue " लक्ष्मी तो पुरूषार्थ के द्वारा ही साधक के पातस थआ सॆ लक्ष्मी भौतिक जीवन को संवारने के लिये बाध्य हो जो यह ऐसी ही दीक्षा है जिसके द्वाisiones लक्ष्मी को पूर्ण आबद्ध कर घर में स्थायित्व दिया जा सकता है।।।।।।।।।।।।।।।।। जिससे धन, वैभव लक्ष्मी से ही गृहस्थ जीवन सम्पन्नमय बन सकेगा। इस अद्वितीय अमृतमय कारorar. सहस्त्र श्री लक्ष्मी वशीकरण युक्त लॉकेट के साथ शक्ति दीक्षा आत्मसात कर सकेंगे।।।।।
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