शिष्य को च siguez
व्यवस्था और कार्य की जटिलता को धयान में रखते हुये गुरू कई बार किसी कारorar. गुरूदेव तो समान रूप से अपने प्रत्येक शिष्य में स्थापित होते हैं।।।।।।। क्या मां अपने बड़े पुत्र को अधिक प्यार करती है, और नन्हें शिशु को नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं सच्चाई तो ये है कि माता को अपने नन्हें शिशु की ओर भी अधिाक धयान देना पड़ता है, क्योंकि वह स्वयं अपना धयान नही ख पाता है।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है objetivo गुरूदेव का प्यार भी सभी के लिये समान ही होता है।
शिष्य के लिये गुरू ही सर्वस्व होता है। यदि किसी वutar. इसलिये श्रेष्ठ शिष्य वह है जो अपने मन के तारो को गुरू से ही जोड़ता है।।।।।।
शिष्य यदि सच्चे हृदय से पुकार करे, तो ऐसा होता ही नहीं कि उसका स्वuestos उसकी आवाज गुरू तक पहुंचती ही है, इसमें कभी सन्देह नहीं कenas चाहिये।
शिष्य को चाहिये, कि वह जब भी गुरू शब्द का उच्चाisiones
शिष्य वह है, जो समय के मूल्य को पहचाने और जीवन म ें निरन्तर साधानारत बना रहे।
गुरू चरणों के अतिरिक्त शिष्य के लिये कोई तीû नहीं नहीं होता, उसी भाव से वह गुरू चरणोदक को अमृत समझकर पान करता है।।।।।।।।।।।।।
गुरू चरणों में उपस्थित होकर विनम्र भाव से शरणागत होना ही शिष्यता है, क्योंकि विनम्र हृदय ही ही ज्ञान का संचoque होता है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।.
निरन्तर शिष्य को गुरू मूर्ति का चिन्तन करना चाहिये और नियमित रूप से नित्य गुरू मंत्र का जप करना चाहिये।।।।।।
Es obligatorio obtener Gurú Diksha del venerado Gurudev antes de realizar cualquier Sadhana o tomar cualquier otra Diksha. Por favor contactar Kailash Siddhashram, Jodhpur a Correo electrónico , Whatsapp, Teléfono or Enviar para obtener material de Sadhana consagrado, energizado y santificado por mantra, y orientación adicional,
Compartir vía: