हर इंसान को जीवन में कहीं न कहीं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। उस समय आदमी को कुछ समझ में नहीं आत mí हर समय दुविधा में विचार करता है। कि यह कार्य मुझसे होगा या नहीं होगा। ऐसी परिस्थिति में म siguez
हमारे मन में असीम शक्तियां छुपी हुयी है आवश्यकता है, मन को एकाग demás करने की।।।। किसी भी व्यक्ति का वास्तविक बल उसके एकाग demás त भाव, सोच-समझ की शक्ति से ही पता चल जाती है।।।।।।।।।।।।।।। जिनका अवचेतन मन कुछ क्षण मात्र में ही चैतन्य हो जाता है ऐसे व्यक्ति समाज में कुछ कर दिखाने की क्षमता रखते है और वे व्यक्ति मानसिक तौर पर संबल होते है, और जीवन की हर परिस्थिति का सामना करते हुये अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है ।
ऐसे व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी दूसरों का मार्गदenas करने में सक्षम होते।।।।।।।।।।।।। हमारे प्राचीन ऋषियों-मुनियों ने अनेक-अनेक साधनाओं का प्रचलन किया है, इसके माध्यम से मन और शरीर पर शीघ Davaga के स सguna बन प प uto पella
दुःख और सुख जीवन के दो पहिये होते है केवल दुःख से या सुख से जीवन चल नहीं सकता। अगर हम सुख की कामना करते है तो दुःख भोगना ही पडताथथा अगर हम आज दुःखी है तो अपने परिश्रम के फलस्वरूप कल सुख के भागीदार भी ज जायेंगे। अगर हम आज दुःखी है तो सुख भी निश्चित रूप से प्राप्त होगा ही।
और इस हेतु मानसिक तौर पर मजबूत व्यक्ति कभी कुछ समस्या हो जाने पर अपनी परिस्थितियों से घबराता नहीं है वरन द्विगुण उत्साह और शक्ति के साथ परिस्थितियों का मुकाबला करते है और अपनी जिम्मेदारी से भागने के बजाय उसे अच्छे से समझता है और उसे निभाने की कोशिश करता है। वो जानता है कि जिंदगी हमेशा एक जैसी नहू कभी-कभी ऐसे डाउनफॉल आते ही है। ऐसी परिस्थितियों से हमें सीख मिलती है। हम मानसिक रूप से भी परिपक्व हो जाते है।
मानसिक शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति विशेष रूप से अपनी स्वतंत्रता हर परिस्थिति में बनाये रखते है।।।। क्योंकि परतंत्रता के रूप में वह व्यक्ति रहता हू हू किसी भी परिस्थिति में ऐसे व्यक्ति किसी को दोषी नहीं मानते है। कenas को स्वीकार करते हुये हर परिस्थिति के लिये स्वयं को जिम्मेदार मानते है।।।।।। क्योंकि हम जो भी कर्म किये है उसी का फल हमे भोगना पड़ता है। सारे ब्रह्माण haba ऐसे म म शक uto सम SOYS
एक बात तो हर कोई ज mí. मानसिक क्षमता संबन्ध व्यक्ति इस बात को पालन ही की की की इस दुनिया में अधिक siguez सब कुछ होते हुये भी हमेशा मन में एक अपूर्णता, अभाव, दरिद tercaga का भाव लिये हुये जीते रहते है।।।।।।।।।।।।।।। ऐसे व्यक्ति अपनी सभी मनोक sigue.
इस हेतु मानसिक शक्ति से परिपूर्ण व्यक्ति ऐसे व्यक्तियों की खुशी के लिये कुछ विशेष करने की आवश्यकता समझते है।।।।।।।।।।।।।।।। वरन जिसको जरूरी है उसके लिये जीवन में कुछ करना उसी नियम को सही मानते हुये कर्म कû endr
bienvenido el cambio
प्रकृति में क्षण-क्षण परिवर्तन आता ही endramente इस हेतु प्रकृतिदत्त यह शरीर भी हमेशा गतिशील रहतok है और शरीर मन में भी अनेक-अनेक परिवर vendheतन समय अनुसार होते रहते है है है है है है है है है है है है है है है है है है है अगर हम अकर्मण्यता भाव के साथ बैठ ज mí इस हेतु समीक्षा में पाया गया है कि अवकाश के समय में ज्यादा तर चोरी, डकैती, झगड़ा, हंगामा, हत्या आदि समाज में ज्य Davidamente घटित होत है।।।।।।।।।।।।।।।।।।
इस हेतु प्रकृति के स siguez मानसिक दृष्टि से परीपुष्ट व्यक्ति दुनिय mí वो कभी परिवर्तन से नहीं डरते, बल्कि वो तो हमेशा सकार marca बदल बदलाव के तैय तैयार ¢ है।।।।।।।।।।।।।।। उन्हें पता होता है कि परिवर्तन हमेशा कुछ नया लथ྾
आज कोई व्यक्ति नकारात्मक कार्य कर omin " पाप के लिये प्रagaयश demás है, प्रagaयश्चित करने से पाप से मुक्ति हो जाती है।।।।।।।।।।। परन्तु जीवन में भूल नहीं करना चाहिये किसी भी कारorar इस हेतु मानसिक तौर पर मजबूत व demás कभी गलती कatar किसी कारण वश अगर गलती हो भी जाती है तो दुबारा ऐसा करने की सोच भी नहीं रखते। उनके व्यवहार में एक गंभीरता होती है है, वे अपनी हर पिछली गलती से सबक लेते है और उस गलती को जिंदगी में दोबारा कभी नहीं दोहराते। वो गलतियों से दूर हो कर आगे के भविष्य के बारे में सोचते हैं।
aprende el arte de encontrar la felicidad en el dolor
परमात hablo जब व्यक्ति सद्करorar सुख और दुःख जीवन के दो पहलू है जीवन में दुःख में से सुख निकालने की कला सिखनी चाहिये। जैसे कमल कीचड़ में पैदा होता है। वैसे ही सुख भी दुःख के कीचड़ में पैदा होता है।
व्यक्ति कर्म सिद्धान्त को मानता है फिर भी बुरे कर्म करता है। हमप्रत्येक घटना को धर्म से जोड़ते है। जबकि कर्म के परिणाम में द्रव्य, क्षेत्र, काल निमित कार्य करता है।।।। एक हाथ से ले और हजारों हाथों से यह यह सिद्धान्त जिसने अपना लिया वह कभी कष्ट नहीं पाता। वह व्यक्ति ब sigue.
la confianza es el mayor activo
वह व्यक्ति शांति से जीवन जी सकता है जिसमें शक्ति होती है। शक्ति क mí हमारी कठिनाई यह है कि जितना भरोसा हमे दूसरों पर है उतना स्वयं पर नहीं इसीलिये हमेशा कान भरे जायेंगे की दूसरा तुम्हारे ब fl.
दूसरा जो कहता है वह कहता है पर तुम्हारी आत्मा तुम्हारे बारे में क्या कहती तुम अपने आप से क्या कहते हो दूसरे की अच इच छ है तुम एक न हो हो हो razón सबका अलग-अलग चिन्तन की इतनी स्वतंत्रता और विविधता है कि कही किसी को बांधा नहीं जा सकता अगर दूसरे के चिन्तन के आधाendr. का जीवन में होना बहुत जरूरी है। जिस व्यक्ति में शक्ति नहीं है। जो व्यक्ति मानसिक कमजोर है वह शांति से जीवन जी नहीं सकता। वह दूसरों की बात से स्वयं को बचा सके यह संभव नहऀै शक्तिशाली वही होता है जिसे स्वयं पर भरोसा हो।
para aumentar nuestra confianza
निरन्तर प्रयास करते रहनok चाहिये उपरोक्त सिद्धान्तों को जीवन में अपनाकर, महापुरूषों के जीवन से प्रेár. योग, प्रagaणायाम, मंत्र जप साधनायें आदि मानसिक बल को बढ़ाने में अत्यधिक सहायक होते।।।।।।।।।।।।।।
nidhi shrimali
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