भगवन विष्णु के ऐसा कहने पecer अमृत कुंभ के निकलते ही देवत siguez इसके बाद दैतutar तत्पश्चात् अमृत कलश पर अधिकार जमाने के लिए देव-दानवों में बारह दिन का घोर युद्ध हुआ।।।।।।
इस युद्ध के फ़लस्वरूप अमृत कलश से पृथ्वी के चार स्थानों पर अमृत बूंदे गिरी जहां सदीयों अमृत कुंभ महोत्सव आयोजित होता है। है है है है है है है है है है है है है है ये प्रमुख चार पवित्र स्थान इलाहबाद, हरिद tercadero, नासिक और उज्जैन है।।।।।।।। कलह शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत बांट कर पिलाया। इस प्रकार देव-दानवों के युद्ध का अंत किया गया।
Ujjain- इस नगर को उज्जयिनी या अवन्तिका भी कहते इस स्थान को पृथ्वी का नाभिदेश भी कहा गया द्वादश ज्योतिisiones यहा सती का कूर्पर (केहुनी) गिरा था। ' द्वापर में श्रीकृष्ण ने यही महर्षि सान्दीपन के आश्रम में अध्ययन किया और योगेश्वर बनने की कgonenda से युक युक्त दीक्ष Dav. महाराज विक्रमokदित के समय उज्जयिनी भारत की बहुत वैभवशाली राजधानी थी।।।।।
विक्रमादित्य के बडे़ भ siguez भारतीय ज्योतिषशास्त्र में देशान्तर की शून्यरेखा उज्जयिनी से प्रpir यह सात पुरीयों में एक पुरी है। यहां बारह वर्ष में कुंभ लगता है। कुंभ से छः वर्ष के बाद अर्द्ध कुंभ मेला होता है। महानदी शिप hubte जो कि विष्णु के शरीर से निकली है, जो प्रवाहमान है।।।।।। इसी तट पर ही मह sigue. कुंभ के समय में यह siguez
Nashik- द्वादश ज्योतिर्लिंग में त्रयम्बकेश्वर आी गणना था जो कि नासिक में स्थित है। यहीं पंचवटी में भगव sigue गोदावरी नदी का उद्गम भी यहीं से है। इसी प्रकार नासिक क्षेत्र अपने आप में एक महत्वपूर्ण तीर्थ क्षेत्र माना जाता है।।।।।।। यहां पंचवटी, देव मंदिर, नील कण्ठेश्वर, राम मंदिर, सुन्दर नारायण मंदिर, उमा महेश्वर मंदिर, नील कण्ठेश्वár, पंचरत्नेशर, भद्रकाली मंदि razón प्रति ब sigue. बृहस्पति के सिंह ¢ शिस होने पर पूरे वर्ष भर यहां गोदावरी स्नान महा पुण्यप्रद माना जाता है।।।।। यह मुख्यतः शिव क्षेत्र होने के करण अघोड़ साधु सन्यासियों का आगमन का भाव निरंतर बना रहता है और अलभ्य स्नान, साधना संपन्न करते हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं संपन favor.
Allahabad (Prayag) - इसको तीर्थ राज कहते हैं। यह समस्त तीर्थों का अधिपति है। सातपुरीयां इनकी रानी कही गई है। यह चार स्थलों में से एक पवित्र स्थान माना जाता है और शुभ माना जाता है।।।।।।।।। इलाहबाद भारत के सबसे पवित्र शहर में से एक है। जिसमें शुद्धता, चेतना, श्रद demás और विश्वास से यह दिव्यतम स्थान पूर्ण आपुरित है।।।।।।। सृष्टि निर्माता ब्रह demás इस जगह पर अपने प्रथम बलिदान की पेशकश में निहित।।।।।।।।।।।।।। गंगा यमुना के धारा ने पूरे प्रयाग क्षेत्र को तीन भाग में बांट दिया है।।।।।। यह तीन भाग अग्नि रूप में यज्ञवेदी माने जाते हैंे
इन में गंगtan यमुन mí के मध्य का भाग गार्हपतternija, गंगापeccion sigue इन भागों में पवित्र हो कर एक-एक रात्रि निवास से इन अग्नियों की उपाdos प्रयाग में प्रति माघ में मेला होता है। इसे कल्प वास कहते हैं। यहां प्रति बारह वर्ष पर जब बृहस्पति वृष ¢ र में और सूर्य मकर राशि में होते हैं समय समय प्रयendr. प्रयाग के माहत्म्य का वर्णन वेद में, पुराण में, देखने को मिलता है।।।।।। यहां त्रिवेणी स्नान मुख्य होता है। इसी त्रिवेणी स्थान पर गंगा यमुना और सरस्वती का संगम स्थित हैं। उसी जगह कुंभ मेला के अवसर पecer
Haridwar- सात पुरीयों में से मायापुरी हरिद्वार एक है। उसको हरि के द्वाisiones भगवान शिव की जट mí मायापुरी, कलख्ल, हरिद्वार, ज्वालापुर और भमगोड़ा यह पांच पुरीयों को हरिद्वार कहा जाता है।।।।।।।।।
हरिद्वार में हर की पेड़ी (ब्रह्मकुण्ड) जहां सभी देवी-देवता निवास करते हैं, भगवान शिव ने्ति स्वरूपा गौरी को Davidamente नya क गंग नि no razón
इसके अलावा गोघाट, कुश sigue. प्रति बारह वर्ष में जब सूर्य और चंद्र मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ ¢ में में स्थित होते हैं तब यहां कुंभ का मेला लगता हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं. उसके छठे वर्ष अर्द्ध कुंभ होता है। कुंभ मेला के समय में देश के सभी प्रagaन्तों से साधु, सन्त, सन्यासी लाखों की संख्या में यहां आकर साधना और तपस्य कguna पूजन पूजन।। लम स स favor
nidhi shrimali
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