प्रagaacho जीवन के के 25 वर्ष ब् porte -
¿? सुख sigue, को विद्या और विद्यार्थी को सुख छोड़ देना चाहिये। सुख और विद्या दोनों एक साथ सम्भव नहीं। जो विद्यारorar.
Kakacheshta- कौआ की तरह प्रयत्नशील रहना। कौआ अपने खाद्य पदार्थ को प्रagaप्त करने के लिये लगातार प्रयत्नशील ivamente हत है और उसकी चेष्टा विलक्षण होती है।।। है।।।।।।।।। है है है है है। है। है जब तक वह अपने लक्ष्य को प्रagaप्त नहीं कर लेता है, तब तक वह कोशिश करता ही ivamente हत है।।।।।।।।।।।। छात्रें के लिये शिक्षा है कि वे भी जब तक अपना लक्ष्य प्रagaप्त न कर लें, तब तक सतत प्रयत्नशील हें।।।।।।।।।।
Bako Dhyan - बगुले की तरह ध्यान लगाना। बगुला पूरे मनोयोग से ध्यान लगा कर अपना लक्ष्य प्रagaप demás करता है।।।।।। श sigue. ध्यान केन्द्रित कर अध्ययन करना ही पूर्णरूपेण सा¢ होता है।।।।।।।।।।। पढ़ाई के कमरे में टी- वी- या म्युजिक सुन रहे है और हाथ में पुस्तक है। इस तरह अध्ययन नहीं हो सकता। मन की एकाग demás के लिये एकान्त-शzos मन लग mí
sueño del perro कुत्ता सदैव सावधान रहते हुये निद्रा लेता है। थोड़ी सी आहट पाकर वह सक्रिय हो जाता है। विद्यारorar शenas में आलस्य रहे, निंद्रaga अधिक प्रिय हो तो विद्यार्जन सम्भव नहीं।।।।।।।।।
bajo en grasa भोजन और निंद्रा का गहरा सम्बन्ध है। अधिक भोजन कर लेने पर निंद्रा व आलस्य अधिक रहतै ॹ विद्यार्थी के लिये पौष्टिक अल्पाहार ही उचित है यथा समय गाय दुग्ध का सेवन करना चाहिये। जिससे शरीर सही रूप से क्रियाशील रहता है। अतः भोजन और निंद्रा के समय का पालन भी आवश्यक है॥
recluso- त sigue. विद्यारorar
विद्यार्थीयो के अष्ट -
आलस्य, मद, नशा, मोह, चंचलता, व्यरorar. इस श्लोक क mí
यद्यपि विद्या प्रagaप्त करना अथवा ज्ञानाometría करना जीवन पर्यन चलता ¢ हत, म म जीवन च चा razón
विद्यारorar. त sigue. इस जीवन में प्रijaत किया हुआ ज्ञान एवं संस्कार जीवन को सार्थक बनाते हैं।।।। वही जीवन में कुछ कर सकने में सफल हो पाता है, जिसने विद्याisiones
Se Devoto अपने माता-पिता एवं गुरू के प्रति सदैव श्रद्धतताााााााााा यह विद्यार्थी के लिये प्रथम बात है। श्रद्धावान विद्यार्थी ही ज्ञान प्राप्त करने में सफल रहता है श्रद्धा के अनन्तर ही निष्ठा होती है और निष्ठा ही रूचि जगाती है, रूचि के अनन्तर तद्विषयक आसक्ति होती है, अनुराग उत्पन्न होता है और फिर अधीन विषय यथावत् रूप में ग्रहण का यही क्रम बताया गया है – 'श्रद्धावान लभते ज्ञानं।' (गीता)। -
माता-पिता और गुरू तीनों ही हमारे प्रत्यक्ष दहइव व अतः सभी प्रकार से उनका सम्मान और श्रद्धा करनत๚ा
सतत्अध्ययनशील रहे- यह युग प्रतियोगिता प्रतिस्पर्धा का युग हैं, इसलिये आज वे ही विद्य Chr. अतएव सतत् अध्ययनशील रहने की आवश्यकता है। कठोर परिश्रम करने की आवश्यकता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। अतः हाथ में जो समय है उसका सदुपयोग कर लेना चाहइ९ आगे के लिये कार्य को टालने का मतलब है लक्ष्य से दूर हो जाना। विद्य mí
समय का सदुपयोग - समय अमूल्य है। जीवन में समय सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है बीता हुआ समय वापस नहीं मिलता। समय देने से धन मिल सकता है, लेकिन धन देने से समय नहीं मिल सकता। बुद्धिमानी यही है कि समय के एक-एक कutar दिन-adaत के 24 घण्टों का इस प्रकार उपयोग करें कि एक क्षण भी बर्बाद न।।।।।।।।।।।।
वाल्मीकि रामायण - नदी का प siguez यही जीवन का नियम है। यदि आप खाली (बिना कार्य) के बैठ कर समय बर्बाद करेंगे तो निठल्ले मित्र भी आपके सendr अध्ययन कभी निष्फल नहीं जाता और विद्याisiones
अनुशासन का सदैव - विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन की शिक्षा मिलहै अनुशासन में रहकर ही वह जो सीखता या अर्जित करता है, वही जीवन में काम आता है विद्यालय में रहकर आदेशों का पालन करना गुरूजनों की आज्ञा को शिरोधार्य करना, शिष्टाचार का पालन करना, विनम्रता का व्यवहार आदि सभी नियमों और आदर्शों का पालन करते हुये एक आदर्श न sigue. '' विद्यया लभते सर्वं विद्य mí.
nidhi shrimali
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