गणेश उपनिषद् का यह एक महत्वपूर्ण श्लोक है। सभी साधकों के लिए इस श्लोक में उन प्रश्नों को उठाया है, जो प्रश्न हृदय में उठ हैं।।।।।।।।।।।।। इन श्लोक में उन प्रश्नों के उत्तर दिए हैं, जो आपके लिये जरूरी हैं।
प्रश्न है- हमारे जीवन में हम किन कारणों से तनावमय, दुःखमय, चिंतामय रहते हैं?— और यदि भारतवर्ष में देवी-देवता हैं, प्रत्यक्ष देवता हैं, यहां राम और कृष्ण ने जन्म लिया है तो फिर हम इतने परेशान और दुःखी क्यों हैं? इग्लैण्ड और अमेरिका में, जहां देवताओं ने जन्म लिया ही नहीं, वहां लोग सुखी क्यों हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं क्या कारण है, कि हम दुःखी है और वे सुखी हैं, उनके पास धन है, इसका मूल कारण क्या है?
यह आप लोगों की एक शंका है, कि वे ज्यादा सुखी हैं और आप दुःखी हैं और भाendr यह प् Est. यदि यहां गणपति हैं, यहां शिव हैं, लक्ष्मी हैं, साधनायें हैं, मंत्रजप हैं, गुरू हैं तो ये सब होते हुए भी क्यों हमाendr.
हमारी परेशानियां क्यों नहीं मिटती हैं और हमारे जीवन में अभाव क्यों है है है आप क क सोचना है आप दुःखी हैं हैं, इसलिये आप ने ने वह वह क क जीवन ही नहीं है है है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। वे सब यहां आते है तो बहुत अच्छे कपड़े पहन कर आते हैं, च sigue
24 घण्टे वे काम में लगे रहते हैं, चाहे पति हो, चाहे पत्नी हो, चाहे बेटा हो या बेटी, सात दिनों में वे एक दूस दूसरे से ही नहीं प प।।।।।।।।।।।। यहां जो पारिवारिक वातावरण आपको मिलता है, उनको नहीं मिलता। मैं उनके घर में रहok हूं और कई बार रहok हूं, एक बार नहीं बीस बार। मैंने देखा है उनको तनाव में, दुःख में। जितना दुःख उनको है, आपको नहीं। 22 años 6 años XNUMX puntos XNUMX puntos ऐसा क्यों हो रहा है? इसलिये कि उनके जीवन में धरorar आपके जीवन में जितना धन है, उतना ही वहां है। यह केवल आपकी कल्पना है, कि वे वहां पर सुखी हैं। जब वे यहां आते हैं तो अच्छे कपड़े पहने होते हैं, अच्छी घड़ी होती है, अच्छा बैग होता है, लेकिन उनके बैग से उनके जीवन जीवन को नही आंक सकते सकते, उनके मूल मूल को नहीं आंक सकते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। वे आपसे ज्यादा परेशान, दुःखी और संतप्त हैं। सुबह उठते हैं तो पति अपनी चाय बनाकर पीता है, पत्नी अपनी चाय बनाकर दौड़ती हैं, आपस में मिलते नहीं, सात दिनों में एक बार मिलते।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं।।।।। eléctrica रात को ग्यारह बजे आते हैं तो होटल में ख sigue. हमारी केवल कल्पना है कि वे सुखी हैं। जब हम अपने जीवन में ईश्वuestos इसका मतलब यह नहीं है कि हम परेशान नहीं है है— मगर उसका समाधान है।
समाधान तभी होगा जब आस्था हो, विश्वास हो। जब विश्वास डगमगा जाता है, तब जीवन में धû ध नहीं रह पाता, आस्था नहीं रह पाती, पुण्य नहीं रह पाता, जीवन प कि हो से औ समृद समृद समृद समृद समृद समृद समृद समृद समृद ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण. भी कुछ ही समय में। ऐसा नहीं है कि मंत्र जप आज करें और बीस साल बाद फल मिले, उस फल की कोई महत demás नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।। दुःख आपको आज हैं, धन की परेशानी आज है और मैं तुम्हें मंत्ág.
आप ट्यूब ल siguez बटन दबाते ही लाइट होनी चाहिये तो वह लाइट सही है। मंत्र को करते ही आपको लाभ होना ही चाहिये। यदि ऐसा है, तो गुरू सही हैं अन्यथा गुरू फ्रॉड हैं, फिर छल है, झूठ है, वह गुरू बनने काबिल नहीं।।।।।।।।।।।।।।।। मगर आवश्यकता इस बात की है कि ट्यूब लाइट सही ोतही मैं यहां बटन दब sigue. यदि आपमें आस्था है ही नहीं, न गणपति में है, न गुरू में आस्था है, न देवताओं में आस्था है मैं कितने ही बटन दबाऊं, आपको ल बेक हो सकत सकत razón लाइट लगाई है पर जलती नहीं है। है। तो लाइट जल ही नहीं सकती तीस साल तक बटन दबाते रहें तो ल gas ल जल सकती।।।।।।।।।।।।।।।।। आवश्यकता इस बात की है कि आप इस बात को समझें और आपको अनुकूलता प्रagaप हो।।।।।।
हमारे मन में विश्वास नहीं रहok देवताओं के प्रति, अपने आप पर भी विश्वास नहीं रहा। मेरे कहने के बावजूद भी विश्वास नहीं रहेगा। मैं कहता हूं, तुम्हें मंत्र जप करना है, तुम्हें सफलता मिलेगी तो अनमने मन से।।।।।।।।।।। आप मंत्र जप भले ही करेंगे परन्तु एक जो गहराई होनी चाहिये, वह आप में नहीं।।।।।।।।।।।।। ऊपर से आप मुझे गुरू भले ही कहेंगे, मगर मन में जो अटैचमैंट बनना चाहिये वह बन बन पाता और अटैचमैंट बन बन प • तो मैं ज ज अपनी प्य क अंश अंश अंश एंगे एंगे एंगे औ औ एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे एंगे.
लेने और देने में, दोनों में एक समरूपता होनी चाथहॿ जहां मैं खड़ा हूं वहाँ आपको खड़ा होना पड़ेगा, तब दे दे प mí. फिर मंत्र जप करने से कुछ नहीं हो पाएगा, मंत्र देने से भी कुछ नहीं हो पाएगा, आवश्यकता है कि दूं दूं और आप पूatar मैं जो दूं उसे आप क siguez
भोजन मैं आपको दूं और आप भोजन करें तो पूरा खून बनना चाहिये और पूरे शरीर में घूमना चाहिये। मैं भोजन दूं, और आप उसे पचा नहीं पाएं उसका खून नहीं बन सकता, ताकत नहीं सकती।।।।।।।।।।।।।। ताकत मिलने के लिए जरूरी है कि इंतजार करें कि ख६न इधर आपने खाना खाया और उधर खून बन जाये, यह संभथ ऀह॥ एक मिनट में खून नहीं बन सकता। दो दिन तक आपको वेट करना ही पड़ेगा।
इतना विश्वास करना ही पड़ेगा, कि जो भोजन किया है उसका खून बनेगा ही, इतना विश्वास करना पड़ेगा कि भोजन किया है, उसका लाभ मिलेग va।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मंत्र की स्थिति यही है। मैं आपको मंत्र दूं तो उसके प्रति आस्था बननी चाहिये आपकी, आध्यात quir मंत्र दिया है, तो चेतना बनेगी ही बनेगी। यह हो ही नहीं सकत mí यह हो सकता है कि आपसे कम मिल पाऊं, हो सकता है कि केवल एक मिनट मिलें। इससे आपके विश्वास में अन्तर नहीं आना चाहिये। जिसको एक बार शिष्य कहा, वह मेरा शिष्य है ही। मगर आवश्यकता इस बात की है कि शिष्य बुलाये और गतुर बिना बुलाये तो न गुरू आ सकता है, न गुरू का चिंतन बन सकत mí संसार में सभी लोगों के जीवन में तनाव है। दूसरों के जीवन में लगता है कि उसमें कम तनाव है, परन्तु यदि हम उसको अंदर से कुरेदेंगे तो पता लगेगा, उनकी जिन्दगी खोलकर देखें तो म म। कि हमसे ज ज razón —और श्लोक में यही बताया गया है कि पीड़ा है, बाधा है, अड़चन है, कठिनाइयां हैं तो पहले उस उस रास्ते पर चलना है, जहां एक दूसरे पर विश्व बने बने बने बने बने। बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने बने eléctrico eléctrica तुम्हारे, पति-पत्नी के बीच विश्वास नहीं होगा, तो भी आप बीस साल एक छत के नीचे ominoso तो भी न आप पत्नी का लाभ उठा सकते औ और न पत पत आपक ल उठ उठ timo सकती।।।।। उठ सकते औ औ न न पत आपक आपक ल उठ Nder तनाव में जीवन कट जायेगा, पूरे बीस साल कट जाएंगे। यह नहीं कि आप मर जाएंगे, मगर जो जीवन का आनन्द होना चाहिये वह नहीं होगा।
आप बीस साल मेरे साथ रहें और अगर विश्वास नहीं होगा तो जो मंत्र और साधना दूंगा उनका लाभ आप उठ उठा पाएंगे प पija. दीक्षा के बाद, केवल यह नहीं है कि मंत्र आपको दइय྾ य྾ ऐसी दीक्षा मैं आपको देना भी नहीं चाहता और ऐसी दीक्षा से लाभ भी नहीं।। तुम्हार marca पैस भी मुझे नहीं चाहिये, ना rod " मैं चाहता हूं कि मैं दूं और आप पूरी तरह से ग्रसण इ आपने दो पैसे खर्च किये, तो आपको लाभ होना ही चाहिये यदि मैं आपको दीक्षा दूं तो उनका मंत्र आपके हृदय में उतरना ही चाहिए, उतरे, और आप उसका लाभ उठा सकें, आप अनुभव कर सकें कि आपको एक तृप्ति मिली है सुख मिला है, मन में एक शांति मिली है और आपके हृदय में एक ऐसा विश्वास पैदा होना चाहिये कि मंत्ág.
—और ऐसा होगा, तो जो मैंने मंत्र दिया है, वह भी साहथााथ्ााथा वह चाहे गुरू का मंत्र हो, लक्ष्मी का मंत्र हो, चाहे गणपति का मंत्र हो।।।।।।। हरिद्वार में तो कम से कम डेढ़ लाख लोग रहते हैं। हम जाते हैं और गंगा में स्नान करते हैं तो बहुत शांति अनुभव करते हैं कि आज गंगा में स्नान किया, जीवनthय हो हो गय हीरिद Davículo में में व मेंguna है। न न न न न नr. उनकी आस्था ही नहीं है हरिद्वार में। उनको गंगा में आस्था है ही नहीं। उनके लिए वह सिenas नदी है और हम जाते हैं तो पवित्रता अनुभव होती है।।।।।।।। ऐसा क्यों है? इसलिये कि हमारे मन में गंगा के प्रति अटैचमैंट है, एक भ mí. जो बहुत आस siguez यदि गुरू आसानी से मिल जाएंगे तो उनके प्रति वैसा भाव ¢ ही नहीं।।।।।।।।।।
तुम्हारे, मेरे मन में भावना है गंगा के प्रति, तो शीतलता अनुभव होगी।। यह तो आत्म विश्वास की बात है, आत्मचिन्तन की बात ह इसलिये जब आप स्नान करते हैं तो इतनी पवित्रता अनुभव करते है, सिágamientos आत्मा को आनन्द मिलता है, जीवन की पूर्णता मिलती है, जीवन को चेतना मिलती औ औ compañía —और जब मैं दीक्षा देता हूं आपको, तो उस दीक्षा के माध्यम से ही ही चेतना पैदा होनी चाहिये, मंत्र को धा rodendr दीक्षा का तात्पisiones
गुरू ने अगर दिया है मंत्र, तो लाभ होगा ही उससे, गुरू ने अगर उपाय किया है ठीक ठीक होग mí आप केवल कान से मंत्र ग्रहण करते हैं। कान से मंत्र ग्रहण करना और पूरे शरीर से मंत्र ग्रहण करने में अंतecer. और वह कान बन जाता है दीक्षा के माध्यम से। मैं आपको दीक्षा दूं और आप उसका लाभ उठा सकें, मैं आपको दीकgon.
इस श्लोक में एक अत्यंत तेजस्वी ऋषि विश्वामित्र ने उच्चकोटि की बात कही और विश्वामित haber विश्वामित्र ने ही ¢ और लक्ष्मण को धनुर्विद्या की दीक्षा दी।।।।।।। वे ही विश्वामित्omin con । —जरूर उन मंत्रें में और तंत्र में एक ताकत थी जो विश्वामित्र ने ¢ र को दी, इस प्रकार अद्भुत शक्तियां प्रदान की जिनके म म से से जीवन जीवन।। ।guna सके flor. यद्यपि रघुकुल के गुरू तो वशिष्ठ थे, मगर दशरथ ने राम-लक्ष्मण को स्वयं विश्व Chrriba के हाथों में हुए कह कहguna कि आप जैस जैसा उच्चकोटि का तंत्र ज tercenda कोई नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। जैस जैस क favor cual इस प्रकार का अद्भुत तेजस्वी व्यक्तित्व पृथ्वी पर कोई नहीं है।।।।।।।।।
इसीलिये मैं अपने दोनों पुत्रें को तंत्र शास्त्र ज्ञान हेतु वशिष्ठ को नहीं सौंप करके आपको सौंप रहा हूं।।।।।।।।।।। इसलिए कि ये जीवन में अद्वितीय व्यक्तित्व प्रagaप्त कर सकें और उस भatar तुलसीदास तो बहुत बाद में पैदा हुए, वाल्मीकि तो उस समय थे ही ही, क्योंकि जिस समय सीता को राम ने निष्कासित किया, उस समय सीता वाल Dav.
वाल्मीकि रामायण में आता है कि दशरथ ने कहा, मैं अपने दोनों पुत्रें को अद्वितीय बनाना चाहता हूं, ऐसा बनाना न हूं कि सguna में¯. शास्त्र में, राज्य में, वैभव में और सम्मान में। तब विश्वामित्र एक ही पंक्ति में उत्तर देते हैं कि दशरथ- योगीय मेव भवता वरेण्यं दीक्षां वदेम्यं भवतां वरिथं।
मैं तुम्हारे पुत्रें को अद्वितीय बना तो दूंगा, अद्वितीय का मतलब कि उनके मुकाबले पृथ्वी पर कोई हो ही नहीं, ये राजा की संतान नहीं कहलाएंगे, ये भगवान कहलायेंगे, रघुवंश में ऐसा कोई बालक नहीं हुआ, ऐसा बालक मैं इनको बना दूंगा, मगर ये केवल मुझे ही गुरू मानें तो। इतना की मुझसे सम्बन्ध जुड़ जाये इनका। ये मुझे अपने आप में पूर्णता के साथ में ग्रहण कर लें तो मैं अपनी समस्त सिद्धियां इन्हें दे सकता हूं।।।।।।।। मैं इनको सिद्धियां तभी दे सकूंग mí मुझे पूर्ण रूप से स्वीका así चौथाई मंत्र स्वीका así.
मंत्र में, तीर्थ में, देवताओं में, ब्रagaह्मण में और गुरू में आपकी भावना जितनी जुड़ेगी उतना ही मिलेग मिलेगा। गंगा के प्रति आपकी भावना जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही आप पवित्रता अनुभव करेंगे। गुरू के प्रति जितनी भावना होगी, उतना ही आप लाभ उठा पाएंगे। यदि आप दूर से ही प्रणाम करेंगे और गुरू में कोई अटैचमैंट नहीं होगा तो गुरू देगा भी आशीर्वाद, तो वह ही लौट ज जा।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।.
दो स्थितियां बनती हैं जीवन में। एक श्रद्धा होती है, एक बुद्धि होती है। आदमी दो तरीकों में जीवन व्यतीत करता है, श्रद्धा के माध्यम से और बुद्धि के माध्यम से।।।।। जो बुद ender के माध्यम से प्रellas वे हर समय तनाव में रहते हैं। वे समझते हैं हैं, हम बहुत चालाक हैं, बहुत होशियार हैं, हमने जीवन में इसको धोखा दे दिया, इसको मूर्ख बना दिया, इसको कुछ भी कर दिया और हम ज ज दacho सफलता पίvertacho हर क्षण उनके जीवन में तनाव होता है और जीवन में आननutar बुद्धि तो कहेगी कि यह शिवलिंग है ही नहीं, एक पत्थर है, और पत्थर के माध्यम से तुम्हें सफलता नहीं सकती।।।।।।।।।।।।।।। बुद्धि तो यह भी कहती है कि पत्नी है तो क्या हुआ, मैं शादी कर के लाया हूं, इसकी ड्यूटी है कि सेवा करे, मैं इसको ोटिय ोटिय vaं दे हूं हूं।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica वह पति अपनी पत्नी को सुख नहीं दे सकता।
तुम्हाisiones देवताओं के प्रति, मंत्र के प्रति, तीर्थ के प्रति और गुरू के प्रति श्रद demás से जुड़ोगे जुड़ोगे फल मिलेगा।।।।।।।।।। uto यह आपके हाथ में है कि आप बुद्धि से जुड़ते हैं, कि श्रद demás से जुड़ते हैं।।।।।।।।।।।।। अगर मेरे प्रति श्रद demás नहीं है तो कोई लाभ नहीं दे पाऊंगा आपको। यदि आपक mí विश्वास तो कenas पड़ेगा ऐसी कौन सी चीज है जीवन में, कि आपने कहा, और हुआ।।।।।।। ये तो आपके जीवन के भोग हैं, और आपके जीवन में केवल तनाव है, आपके जीवन में झूठ है, आपके जीवन छल है है, कपट, आपने जीवन के इतने इतने स स छल औ कपट व व किये औ आप च हैं गु गु स जी सब सब सब सब कपट में व व औ आप च च कि कि जी जी जी सब सब सब सब सब ठीक कर लें,— तो ऐसा गुरूजी नहीं कर सकते। दो मिनट में भी ठीक हो सकत mí
एक पूenas अनजान लड़की, 19 साल की लड़की जिसने अभी जीवन देखा ही नहीं उससे हम शादी करते हैं।।।।।।।।। मैं अगर करोड़पति हूं और उस लड़की को देखा नहीं जिन्दगी में, तो श mí पति अपनी तिजोरी की चाबी दे देता है कि यह तिजोरी की चाबी है ले ले इसमें हीरे हैं, जवाहर gaso हैं।।।।।।।।।।।।। ¡Adelante! यह विश्वास हो जाता है कि यह लड़की मुझे धोखा नऀऀू ऀू यह मुझसे जुड़ी रहेगी। यह एक अनजान व्यक्ति से किस प्रकार से एकदम पांच मिनट में विश्वास कायम हो सकतguna? यदि आपका विश्वास गणपति पर या लक्ष्मी पर होगा, तो ही फल मिल सकता है, यदि आपका विश्वास गणपतिर यर य Dav लक्ष प razón इसलिये विश्वास आपके अन्दर आवश्यक है।— तो विश्वास कैसे बने? विश्वास तो करना ही पड़ेगा।
देवताओं ने आपको जन्म दिया है, शरीर दिया है, भाisiones हम हर समय कोसते रहते हैं देवताओं को और अपने आपको तो उससे जीवन में पूर्णता नहीं सकती।।।।।।।।।।। अगर मैं अपने जीवन में श्रद्धा के माध्यम से सब कुछ प्रagaप demás कर सकता हूं तो आपको भी दे सकत सकत हूं।।।।।।।।।।।।।।।। अगर मैं 19 साल हिम siguez मैं कोई बिना पढ़ा लिखा मनुष्य नहीं हूं। मैंने भी पढ़ाई, लिखाई की है। एम-ए- किया है, पी-एच-डी- की है यूनिवरorar. में ताकत है, क्षमता है और उनके माध्यम से, मैं एक अकिंचन ब्रagaह demás अगर समस्त सिद्धियों को प्रagaप sup. मैंने अपना ही उदाहरण लिया।
यह एक बीज था, छोटा सा बीज एक बीज की कोई हिम्मत नहो इतना सा अगर बीज है, हम मुट्ठी में बंद करें तो मुट्ठी में हो हो जायेगा। मगर वह बीज जब जमीन में गाड़ते हैं और उसे खाद पानी देते तो तो चार प tomar. बड का पेड़ बन जाता है और उसके नीचे 5 सौ व्यक्ति बैठ हैं हैं। उस बीज में इतनी ताकत थी, कि एक पेड़ बन जाये। मैं भी एक बीज था, जमीन में गड़ा, ख siguez आज मैं वह वृक्ष बना और मेरे सैकड़ों हजारों स sigue. मैं बीज से पेड़ बना, तो आप भी बन सकते हैं।
मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि अगर एक व्यक्ति इस रास्ते पर चलकर सफलता प्रagaप्त कर सकता है तो तुम भी कर सकते हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो सकते सकते सकते eléctrico मगर मुझे विश्वास था उस खाद पर, पानी पर, जमीन प debe अगर मैंने संन्यासी-जीवन लिय mí मैं हिला ही नहीं, विचलित नहीं हुआ, डगमगाया नहीं। मैं भी नौकरी में था, प्रोफेसर था, अच्छी तनख्वाह ले ivamente था उस समय भी 10000 मिल जाते थे।।।।।।।। आज से पच्चीस तीस साल पहले, दस हजार की बहुत कीमऀ थो मगर मैंने ठोकर मारी उसको कि यह जिन्दगी नहीं ही स ऐसे प्रोफेसर तो पूरे भारत में एक लाख होंगे। इससे जिन्दगी पार नहीं हो सकती। मुझे कुछ हट कर करना पड़ेगा या तो मिट जाऊंगा या जं जं
यदि मैं ऐसा बन सकता हूं, तो तुम्हें सलाह देने क mí यदि मैं नहीं बनत mí इस रास्ते पर चलकर यह हक प्रagaप्त कर सकता हूँ, यदि मैं सिद्धियों के माध्यम से असंभव संभव संभवर सकता हूं तो तुम तुम्हें सलाह दे सकत • हूं तुम भी क सकते हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो तुम तुम सल सल सकत सकत हूं तुम भी क सकते सकते हो हो हो हो हो हो. मेरा विश्वास है, आपको विश्वास नहीं है, मेरी गुरू के प्रति असीम श्रद्धा है।।।।।।।। यदि गुरू मुझे कह दें कि सब छोड़ कर चले आओ तो मैं पत्नी से मिलूंगा ही नहीं। सीधा यहीं से रवाना हो जाऊंगा, क्योंकि मेरी आसॾाथह
मैंने जिस समय संन्यास लिया, उस समय शादी हुये बस 5 महीने हुए थे। पांच महीनों में मैं छोड़ कर चला गया। पत्नी की क्या हालत हुई होगी, आप कल्पना कर सकते हो मगर मैंने कहा, ऐसे तो जिन्दगी नहीं चलेगी। ठोकर तो लगानी पड़ेगी य mí हिमालय में जाऊंगा तो या तो समाप्त हो जाऊंगा या कुछ प्रagaप कर लूंगा।
आप, पंडित, पुरोहित औecer मैंने जो कुछ जीवन में सीखा है, वह उपदेश दे रहा हूँ, मैं आँखों देखी बात करहा हूँ, पोथियों की बात नहीं कर रहा हूँ।।।।।।।।।।।। पोथियों में सही लिखा है या गलत लिखा है, वह अलग ब।ा हो सकता है उनमें गलत भी लिखा हो हो सकता मगर मैं देखना चाहता था छानकर? मैं केवल सत्य तुम्हारे सामने रखना चाहता हूँ,, क्योंकि तुम मेरे शिष्य हो और मैं तुम्हें शिष्य बना रहा हूँ और दीक्षा दे रहा हूँ और दीक्षा देने के बाद भी मेरा अधिकार समाप्त नहीं हो जाता कि दीक्षा दी और आप अपने घर, मैं अपने घर । तुम्हारी डयूटी है कि तुम मुझसे जुड़ोगे। तुम्हारी शिक siguez कोई जरूरी नहीं कि पांच दिनों में मिल जाऊं आपको आपको, ऐसा कोई ठेका नहीं ले रखok है।।।।। मैं आपको अभी कह ivamente हूं, ऐसा नहीं है कि आप आये और मैं दरवाजा खोल कर, सब छोड़कatar छोड़क तुमसे मिल लूं।।।।।।।।।।। यह जरूरी नहीं है कि जो आये उससे मिलूं, मुझे भी अपने घर का कामकाज देखना पड़ेगा, घर में मेहमान आयेंगे उनको भी देखना पड़ेगा।
ऐसा नहीं है कि आपके प्रति अश्रद्धा है। आपके प्रति प hubte मगर आप आलोचना करने लग जाये कि गुरूजी पांच घंटे मिले ही नहीं, तो कोई जरूरी नहीं है कि मिलूं मिलूं।।।।।।।।।।।। आप कहें कि गुरू जी के पास गया, पांच रूपये भेंट किये मेरी लड़की की शादी हुई नहीं।।।।।।।।।।।।।। अब पांच रूपये हनुमान जी को चढ़ा दें, हनुमान जी मेरी लॉटरी निकाल दें, हनुमान जी नहीं निकाल सकते तुम्हारी लॉटरी। 25 años XNUMX años हनुमान जी इसलिये नहीं बैठे कि तुमने पांच रूपये का सिन्दूर चढ़ाया और तुम्ह Chr. यह तुम्हारी गलतफहमी है कि हनुमान जी बैठे-बैठे यह करते रहेंगे। ऐसा संभव नहीं होता। ¡Ayuda!, ¡Ayuda! मेरी लड़की की शादी नहीं हो रही है।
अब मैं तो यही कहूंगा कि हो जाएगी, चिंता मत कर। ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ प्रश्न पैसे का नहीं है। तुम्हाisiones ¡Adelante! आलोचना करने से जीवन में पूर्णता नहीं प्राप्त सो आलोचना तो कोई भी, किसी की भी कर सकता है। मैं तुम्हाisiones ये ही आपके गुण भी हो सकते हैं, परंतु जिसे आलोचना करनी है, वह आलोचना ही करेगा।
मैं तुम्हाisiones जीवन में मैं तलवार की धार पर चला हूं और आगे भी गतू न मैं कभी झुका हूं और न कभी झुक सकता हूं। क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारे गुरूजी बिल्कुल लुंज पुंज बेकार से, ढीले ढाले हों और हरेक के सामने झुकें! क्यों झुकें? यदि मैंने व्यर्थ में कोई काम किया है, व्यर्थ में कोई चापलूसी की है, व्यर्थ में पैस पैसा लिया है, तो झुकूंग झुकूंगा। मैं अगर तेज धार पर रहतok हूं, तो तुम्हें भी यही सलाह देता हूं कि शिष्य होकर अपनी मर्यादा में तेज धार में हो।।।।।।।।।।।।।। संसार में तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता, तुम्हें डर ही नहीं किसी का।
मैं तुम्हें दीक्षा देता हूं तो इसका अर्थ यह नहीं कि तुमutar. अगर तुम मेरे शिष्य हो, तो तुम्हें मजबूती के साथ खड़ा होना पड़ेगा समाज में।।।।। कायरता से और आलोचना से जिन्दगी नहीं जी जाती। तुम्हाisiones कोई कुछ बिगाड़ सकता ही नहीं है, बिगाड़ेगा तो मैं तुम्हारे साथ में खड़ा हूं, कहीं कोई तकलीफ होगी तो जिम जिम्मेदार हूं।।।।।।।।।।।।।।। आप एक बार मुझे परख करके देखें! आप आये यहां मेरे प siguez मैं आपसे नहीं मिलूं, आपका काम नहीं करूं, तो मेरी जिम्मेदारी है।
मगर तुम्हें विश्वास बनाना पड़ेगा, श्रद्धा रखथॼथीपॼ शादी होने के दस साल बाद भी पत्नी से लड़ mí विश्वास टूटने से काम नहीं चल सकता। इसलिये देवताओं के प्रति एक बार विश्वास पैदा करें, एक बार मंत्र जप करें और आप मंत्र जप करेंगे तो सफलता मिलेगी।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica मैने आपको मंत्र दिया लक्ष्मी का और आप घर गये और मंत्र जप किया 5 दिन और कहने लगे कि सोने की वivamente कह ष हुई ही नहीं, यह मंतguna तो झूठ है, गुरूजी ने पgunaza
ऐसा नहीं हो सकता। ऐसा हो भी सकता है, परन्तु श्रद्धा चाहिये, विश्वास चाहिये, धैर्य चाहिये। विश्वामित्र इतना तेजस्वी बालक था, उसके बावजूद भी उसके घर में लक्ष्मी थी ही नहीं, दरिद्र था, तुम से ज्यादा दरिद्र, अनाथ।।।।।।।।।। अन अन अन अन अन अन अन dos उसके बाद उसने कहा कि मेरे मंत्रें में अगर ताकत है तो लक्ष्मी को अपने घर में लाकर खड़ा करूंगा ही, हर हालत में खड़ा करूंगा ूंग va ऐसा हो ही नहीं सकता कि मैं मंत्र जप करूं और लक्ष्मी नहीं आये! एक अटूट विश्वास था। अपने आप पर विश्वास थ sigue. मैं अगर कित siguez पहले आप पहली क्लास में पढ़ेंगे, फिर दूसरी पढ़ेंगे, फिर तीसरी पढ़ेंगे, फिecer अब साधना में तुम पहली क्लास में हो और वह साधना एम-ए- लैवल की है।।।।।।।।।।।।। उसके लिए 16 años de edad
पहली क्लास का बच्चा ए, बी, सी, डी तो प्ढ़ लेगा किन्तु उससे मिल्टन की किताब तो पढ़ी पढ़ी जायेगी। अगर 16 साल मेहनत करने से साधना सिद्ध होती है तो एक दिन में कहां से ज जायेगी? तुम कहोगे, लक्ष्मी ने आकर घुंघरू बजाये ही नहीं, पांच दिन हो गये लक्ष्मी आई नहीं।।।।।।।।।।।। गुरूजी ने कहा कि आयेगी? और फिर तुम कहोगे, गुरूजी झूठे और मंत्र झूठा, लक्ष्मी झूठी, तीनों झूठे हो गये और तुम सत्य हो।।।।।।।।।।।।।।।। एक बार आवाज दोगे, तो पत्नी भी नहीं आयेगी, - तो लक्ष्मी कहां से आएगी? मेरे कहने का तात्पर्य है कि धैर्य चाहिये। एक बार साधना करो, नहीं सफलता मिलेगी तो दूसरी बार करो, पांच बार करो। कभी तो सफलता मिलेगी ही, क्योंकि मंत्र सही है। इस मंत्र के माध्यम से जब मैंने सफलता पाई है औecer
—पर एक विश्वास कायम रखनok पड़ेगा और जीवन में इन मंत्रें से सब सब कुछ प्रagaप hablo तुम चाहते हो एकदम से रेडिमेड फूड आया, खाया और रवाना हो गये।।।।।। ऐसा नहीं है। तुम बाजार में ज sigue. दीक्षा का तात्पisiones तुम सफलता पाओगे, धैर्य के साथ करने पर विश्वास के साथ करने पर।—और तुममें धैर्य है?-मैं यह भी कह कह ह हूं हैं धै धै धै की कमी है है तुम तुमguna ह आस प के। हैं धै धै धै की की है है है है है आस आस प हैं हैं धै धै धै धै धै धै के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के. वे तुम्हें गलत गाइड करते हैं। ¿?
तुम कहोगे- लक्ष्मी का मंत्र लाया। तुम करोगे लक्ष्मी मंत्र पांच दिन और लक्ष्मी आयेगी नहीं, तो वो कहेंगे- ले, अब क्या हुआ? हम तो पहले ही कह रहे थे कि सब झूठ है और तुम्हारा माइंड खराब हो जायेगा। तुम्हारा विश्वास खत्म हो जायेगा। किसी के घर का सत्यानाश करना हो तो एक मूल मंत्र बता देता हूं किसी के घर जाइये और कहिये- कल भाभी जी कहां जा रहीं थीं, चुप-चाप एक गली में घुसी थीं, फिर आधे घंटे में एक घर से निकली थी। चलो जाने दो जाने दो, कुछ नहीं। अब उस पति के माइंड में घूमता रहेगा। वह पूछेगा पत्नी से, कहां गई थी और वह कहेगी कहीं नहीं गई थी। बस वो कितना ही समझाये पति के दिमाग से कीड़ा निकलेगा ही नहीं। वो कहीं भी जायेगी, वह पीछे-पीछे जायेगा। बस पूरा जीवन उनका तबाह हो जायेगा। ¿Está bien? और तुम्हारा माइंड खराब हो गया। अब चार दिन तुम्हाisiones तुम खराब नहीं हो, वे आस-पास के लोग खराब हैं वे न तो खुद कुछ करते हैं और न तुमको करने देंगे।।।।।।।। उनका काम ही है है, आलोचना करना, चाहे तुम्हारे चाचा हों या ताऊ हों, या सम्बन्धी ही।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। जो जिन्दगी भर कुएं में रहे वे तुम्हें मानसरोवर के आनन्द में देखना नहीं चाहते।
तुम्हारे अपने अन्दर ताकत है, तो तुम सफलता पाओगेेे मेरे साथ भी यही घटना घटी। ¿Está bien? क्या फायदा है? सब ने सलाह दी- यहीं रूको, क्यों दस हजार की नौकरी को ठोकर मार रहे हो, तुम्हारे जैसा मूर्ख दुनिया में नहीं होगा।
मैंने कहा, कोई बात नहीं, मूर्ख हूं तो मूर्ख ही स।ॹ भले ही समुद्र में डूब करके मर जायेंगे, लेकिन कूद कर तो देखेंगे। पर पांव तुम्हारा मजबूत रहेगा तो तुम सफलता पाओथे तुम्हारे पांव कमजोर हैं, तुम औरों की बातों पर विश्वास करके चलोगे तो तुम्हाisiones आप कमजोर हैं तो आप इस रास्ते पर चलिये ही मत, यह आपका रास्ता है नहीं।।।।।।।।।।।। आप अपनी पैंट पहनिये और नौकरी पर जाइये, चुपचाप आँख नीची करके घर आइये, पत्नी थैला देकर कहे की सबutar यह रास्ता सीधा है, इसमें खतरा कम है। —और मैं जो रास्ता बता रहा हूँ, उसमें खतरा बहुत है॥ यह बहुत तेज तलवार की धार की बात है, हिम्मत की बात है और उच्चता, श्रेष demás, सफलता की बात है।।।।।।।।।।।।।। तुम्हारे जैसे लोग और नहीं होंगे। तुम अद्वितीय बनोगे। तुम अपना जीवन मुझे सौंपो, मैं तुम्हें अद्वितीय बना दूंगा, ऐसा पृथ्वी पर कोई नहीं होगा। विश्वामित्र ने ऐसा कहा दशरथ को, पर स mí दशरथ तुमसे मिलने भी नहीं आये, न तुम मिलने जाओगे और दशरथ ने कहा- मैं इनसे मिलने नहीं आऊंगा और न घ घर का, इन्हें मिलने आयेगा। ये मेरे घर तब तक वापस नहीं आयेंगे जब तक तुम पूरा संस्कार नहीं कर लोगे।— मगर आप इन्हें अद्वितीय बनाये और मैं इन्हें मिलने आऊंग चा, च बहुत्रिय र हैं प eda N है च च बहुत बहुत प लक लकella. और ऐसा ही दशरथ ने किया। मैं भी वही बात तुमutar तुम्हारे मेरे बीच वचनबद्धता है। गारंटी के साथ बनाऊंगा, यह मेरा विश्वास है।
आप कल्पना कीजिये, ¢ दश siguee राजा के महलों में रहने वाला र gaste velomía, जंगल खाक छाने और विश्वमित्र जैसे क्रोधी व्यक्ति के साथ में।।।।।।।।।।। दशरथ को विश्वास था कि यहां रहने पर तो केवल एक राजकुमार बनकर ज sigue.
भगवान तुम भी बन सकते हो, भगवान कोई पेट में से पैदा नहीं होते, अपने कार्यों से भगवान बनते।।।।।।।।।।।।।। पैदा तो सब एक से ही होते हैं, चाहे आप हों य sigue. उसके बाद उन्होंने कितनी ¢ िस ली है, कितनी जिन्दगी में तकलीफ उठाई है, कितने खतरे उठाये हैं उससे वे भगवान बनते।।।।।।।।।।।।।। अद्वितीय आप भी बन सकते हैं, मगर पैसों के माध्तह २ह पैसों के माध्यम से भगव siguee! ऐसे भगवान नहीं बन सकते। भगवान बनने क sigue. जीवन के दो हेतु हैं, दो तरीके हैं और दोनों के ही माधutar चाहे आप हों या मैं हूं, चाहे साधु हों या संन्यासो कुछ लोग ऐसे होते हैं जो घिसी- पिटी जिन्दगी जी कर पूरा जीवन व्यर्थ कर देते।।।।।।।।।। 60 años उनमें हिम्मत, जोश होता ही नहीं। नहीं।— और जो चैलेंज लेने का भाव नहीं होता और जो नहीं नहीं सकता वह जीवन में सफल हो हो सकता, जीवन में सफलत सफलत के आवश आवश आवश है है ब क क लें।।।। लिए आवश आवश आवश है किसी क क।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico आप जिस भी क्षेत्र में जायें उच्च कोटि के साधक बनें तो ऐसा साधक बनें कि पूरा भारत आपको थइक॰ ज्योतिषी के क्षेत्र में हो तो आप नम्बर वन ज्योतिषी हों, जो कुछ करें उच्च हो। हो।endr.
हमारे जीवन का सार एक आधार भोग है, एक मोक्ष है। एक रास demás मोक्ष की ओर जाता है- ये साधु-संन्यासी, योगी, तपस्या करते हैं, साधना करते हैं।।।।।।।।।।।।। अब इनमें से कितने साधु सही होते हैं, मैं नहीं सह सह भगवा कपड़े पहनने से कोई साधु नहीं होता, लंबी जटा बढ़ mí साधु तो वह होत mí साधयति सः स siguez
जो खुद ही ह siguez उन लोगों में है ही नहीं । आत्मबल आत्मबल एक अलग चीज है, जो लाखों लोगों की भीड़ में खड़े होकर चैलेंज ले सकता है।।।।।।।।। अगर मंत्र क्षेत् PO में हो तो कह सकता है कि संसार में कोई मेरे सामने आकर खड़ा हो, मैं स स्वीकार करता हूँ, ऐसी हिम हिम ऐसी icio, ऐसी में चिंग चिंग चिंग होनी च च।।।। हिम ऐसी क uto, ऐसी में चिंग चिंग चिंग होनी चija।।।।। हिम ऐसी क uto, ऐसी. उसकी बोली में क्षमता होनी चाहिये। ऐसा व्यक्ति सही अर्थों में साधु भी हो सकत mí
मोक्ष प्रijaत करना इतना आसान नहीं है और मोक्ष प्रagaप demás करने के लिए में जाने की जरूरत नहीं हैं, हिमालय में जाने की भी जezas. जो सभी बंधनों से मुक्त हो, वह मोक्ष है।— और आपके जीवन में कोई बंधन है। लड़की की शादी करनी है, बीमारी से छुटकारा पाना हैहै घर में कलह है- ये सब बंधन है। उन बंधनों से मुक्त होना ही मोक्ष कहलाता मोक्ष का मतलब यह नहीं हम तो कहते हैं, वापस जन्म लें, वापस लोगों की सेव mí हम क्यों कहें कि हम वापस जीवन नहीं चाहते। हम हजार बार जन्म लेना चाहते हैं, हजार बार जीवन में चैलेंज लेना चाहते हैं और जीवन में सफल होना चाहते हैं।।।।।।।। मोक्ष का अर्थ यह नहीं कि पुनर्जन्म हो ही नहीं। मोक्ष का अर्थ है, हम जीवन में सारे बंधनो से मुकutar साधु हो और उसकी आंख ठीक नहीं हो, गंदगी हो आंख में, उसमें लालच की वृत्ति हो तो वह गृहस्थ से भी गय mí. कम से कम यह तो है ही हम गृहस्थ हैं, हमारी आंख गंदी हो सकती है, हम कु दृष्टि से देख सकते।।।।।।।।।।।।।।।।।। मगर वे साधु हैं, अगर वे ऐसे लालची होंगे तो साधुतutar इसलिये साधुओं के प्रति हमारे जीवन में आस्था तथह इसलिये उनके प्रति सम्मान कम हो गया है।
या तो एक रास्ता है मोक्ष का और दूसरा रास्ता गै ाो भोग का मतलब है कि हम गृहस्थ बनें, हमारी पत्नी हो, पुत्र हों, बंधु हों, ब sigue यदि ऐसा नहीं कर सकते तो फिर घिसा-पिटा जीवन जीने का मतलब ही नहीं है। आपके मन में कभी चेतना पैदा नहीं होती कि कुछ अद्वितीय करूं! इसलिये पैद पैद नहीं होती कि कि आपके आपके जीवन में में उत Sउत utoह समendrत हो हो गय गय, तुम्ह ह ह जीवन में गुरू हे हे नहीं जो तुम तुम सकें कि गलत है।।।।। है है है है है है जीवन जीने के लिये तो एक चुनौती क mí एक तोता है, पिंजरे में बंद है। चांदी की शल sigue " उसको अनार के दाने खाने को दे रहok है मालिक, बोल मिट्ठू राम-correspond, वह कहता है- राम-dónde।। उसको ब sigue. वह जो उसे आजादी है, वह उस तोते को नहीं मिल सकती जो चांदी के पिंजरे में बंद।।।।।।।।।।।।।।। वह आनन्द उस पिंजरे में बंद तोते को नहीं मिल सकता, और तुम भी ही ही पिंजरे में बंद तोते।।।।।।।।।।।।।। तुम्हारें म siguez आपको हरी मिर्च और अनार के दाने खाने को मिल रहे हैं और कभी आप उस तोते को पिंजरे के बाहर निकालिये, वह तुरन्त उस पिंजरे में वापस घुस ज ज।।।।।।।।।।।।।। ho वह ब sigue.
—और तुम भी एक दो मिनट निकाल कर गुरूजी के पास आते हो और फिर वापस अपने घर में घुस जाते हो।।।।।। गुरूजी ने जो कहा उसमें खतरा है, मंत्र जप सब गडहबै वापस अपने पिंजरे में घुसे- पत्नी भी खुश, आप भी शुुशुु पत्नी को चिंता है कि चल mí पत्नी कहती है? च sigue भी कहते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं भी कहत है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है भी कहती है है औ औ आप आप व व उस जीवन में घुस घुस ज जaños हैं हैं हैं हैं जो जो पू Sजिन जिन जिन की की गुल है है है। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल गुल. तुमने कभी आकाश को नापने की हिम्मत नहीं, इसलिये तुम वह आनन्द नहीं उठा सकते उसके लिये तो तुम्हें चैलेंज उठाना पड़ेगा जीवथ ंन मे तुमने म sigue. मैं ऐसा नहीं कह रहा कि तुम गृहस्थ से अलग गृहस्थ में रहो, मगर संन्यासी की तरह रहो। गृहस्थ में रह रहे हो तो इस भाव से, कि मैं संस mí मैं देख रहा हूं और मुझे तटस्थ रहना है।
मेरे गृहस्थ शिष्य हैं, तो मुझे उन्हें बताना ही होगा कि कैसे जीवन व्यतीत करना है।।।।। मैं उन्हें संन्यासी नहीं बना सकता। संन्यासी बनने लिए लिए और साधना करने के लिए कोई हिमालय में जाने की जरूरत नहीं।।।।।।।।।। हम गृहस्थ में रहते हुए भी उन साधनाओं को कर सकते हैं- और भोग का अर्थ है- धन, ऐश्वर्य, पूर्णता—और उसका आधार है लक्षorar बिना लक्ष्मी के गृहस्थी नहीं चल सकती। यदि तुम्हाisiones उसके लिए भी जरूरी है, तुम पहले ऐश्वर्यवान बनो। इतना धन हो कि तुम्हें याचना करने की जरXNUMX इतना धन हो कि सारी समस्याओं से मोक्ष प्राप्त ल॰ जब ऐसी स्थिति बनेगी तो तुम ध्यान भी कर सकोगे साधना भी कर सकोगे। मगर लक्ष्मी पहला आधार है और उसके बिना आपके जीवन में पूû पू आ नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।।
जीवन में अद्वितीय बनने के लिए केवल छः महीने बहुत हैं, पचास साल जरूरी नहीं है।।।।।।।।।। अगर छः महीने पूरी क्षमता के साथ साधना करें तो हम पूर्णता प्रagaप hablo उठाना चाहिये, जिससे आप लाभ उठा सकें और औरों को भी लाभ हो सके।।।।।।। आपके मन में लोगों ने एक भय पैदा कर दिया है कि साधना करोगे तो बर्बendr मिटा सकते। ¿? मैंने कहा- होता है, आपका पिछला जीवन मुझे याद है, बिना पिछले जन्म के सम्बन्ध के आप मुझे जान ही नहीं थे।।।।।।।।।।।।। यह संभव ही नहीं था। पिछले जीवन के सम्बन्ध ही इस जीवन में बनते हैं। मैं पिछले जीवन में भी आपका गुरू था और इसीलिये कहता हूं कि साधना का रास्ता ही आपका ¢ र्ता हैंर चैलेंज के के के साधन क क सकते सकते सकते सकते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते हैं हैं हैं. जब राम और कृष्ण और बुद्ध के सामने खड़े हो सकते हैं तो आपके सामने भी खड़े हो हैं।।।।।।।।।।।।।।
और मैं भी वही कहता हूं, तुम खुद ब्रह्म हो। मगर तब, जब तुम्हें अपना पूरा ज्ञान हो। अगर हम जीवन में चैलेंज लेकर आगे बढ़ते हैं तो निश्चय ही हम सफलता प्रagaप्त करते हैं और ऐसे सैकड़ों उदाहरण मेरे सामने हैं कि उन शिष्यों ने एक चैलेंज लियί debe मेरे हृदय पटल में तो हजारों नाम हैं जिन्होंने धारणा को लेकर कार्य किया और सफलता प्रagaप demás की।।।।।।।।।।।।। आप किस प्रकार का जीवन जीना चाहते हैं वह तो आप पर नि¢ तो।।। मैं तो आपको सिर्फ समझा सकता हूं, मैं आपको अहसास करा सकता हूं कि जीवन का आनन्द क्या है? और साधना द्वार marca हम आँख बंद कर चिंतन करते हैं तो गुरू हमारी आँखों के स sigue साधना के माध्यम से हम प्रभु के चरणों में पहुँच सै आपके जीवन में ऐसा आनन्द हो, ऐसा संतोष हो, आपके जीवन में पूर्णता हो, आप भी ध्यान लगाने कि प्रक्रिया में संलग्न हो सकें, अपने इष्ट के दर्शन कर सकें और अपने आपको पूर्ण रूपेण गुरू चरणों में समर्पित करते हुए उस ज्ञान को प्राप्त कर सकें जो हमारे पूर्वजों की धरोहर थी, ऐसा ही मैं आप सबको हृदय से आशीर्वाद देता हूँ।।।।।।
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
Sr. Kailash Shrimali
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