हे करूणेश्वरी! आपका किस रूप में वर्णन करूं, जिस मातृ शक्ति का वर्णन स्वयं त्रिदेव न कecer. हे जगत् जननी! संसार की ज्वाला को अपने आंचल से ढ़ककर अपने पुत्रें की हर स्वरूप में eccion क caso कárta हे माँ! प्रकृति की आदि शक्ति को समेटे हुये जिस प्रकार आप सामान्य सी गृहिणी के स्वरूप को देखकर भ्रमित होना स्वाभाविक है, पर जो शिष्य निर्मल, श्रेष्ठ भाव से अबोध शिशु की तरह आपके पास आते हैं, वे आपके गौरीमय स्वरूप का दर्शन कर धन्य हो जाते हैं , क्योंकि आपने इसी स्वरूप में अपने सम्पूरorar. हम सभी शिष्यों के जीवन की सभी बाधाओं, दुःखों का समाधान हो सके इसके आप आप हमेशा शक्ति स्वरूप में सद्गुरूदेव कैलाश जी की के के के ूप में सदैव उपस उपस timo।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। सदैव सदैव सदैव favor.. सद्गुरूदेव जी के साहचर्य, प्रेम को त्याग कर सभी शिष्यों को उनके सानिध्य और साहचर्य प्रagaप्त करने का अवसर आपके करूणामय वículo व∂avor
हे सिद्धाश्रमवासिनी! आप सिद्धाश्रम के पावनतम पवित्र, निश्छल प्रेम, वहां के सुशोभित वातावरण को त्याग कर हम सभी शिष्य-शिष्याओं के कल्याण हेतु इस धरा पर अवतरित हुईं, यह हम सभी का सौभाग्य है कि आपका स्नेह, प्रेम एक बार पुनः इस जीवन में प्राप्त हुआ और हम सबकी यह इच्छा है कि आप सदैव हम पर ऐसे ही वात्सल्यमय ममता की वर्षा कár.
माँ! आपका जन्मोत्सव हम सब शिष्यों के लिये पूर्ण रूप में ममतutar
हे माँ! हम sigue, यह अभिल mí. मैं तो अब स्वयं को तुम्हें ही सौंप देना चाहता हूं, मुझे यह ज्ञात है कि मैं अत्यन्त ही युक युक्त, असत्य, छल, कपट, प Davidamente के मूल स स स से अनभिज अनभिज अनभिज अनभिज आपके आपके अनेक हैं दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष दोष में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में. यदि आप ही मुझे ठुकरा दोगी, तो इस जग में तेरे लाल को कौन सम्भ्लेगा? वर्तमान के वातावantemente में में, कई जन्मों के पाप-दोष के कारण और श्रेष्ठ संस्कारों के अभाव, ईर् ष हो कोई vend. मैं अब इन सब विकारों से विमुक्त होना चाहता हूं। कब ऐसा होगा जब हम उस मनोदशा में पहुंच सकेंगे जो एक नवजात शिशु की है है।
हे शक्ति स्वरूपा! आपके आडम्बर को देखकर मेरा मन कौतुक से भर जाता है, आपके अनेक रूप हैं, और आप प्रत demás बार अलग ही ηूप में में दृश होती स है थ थ थ है N, थ थ स हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हूं थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ. कि माया के आवरण को भेद सकूं। आपका वह रूप जब आप जीवन के अत्यन्त कठिन समय में परमपूज्य सद्गुरूदेव के साथ शक्ति स्वरूप में विद्यमान थीं, चारों ओर बिखराव, भटकाव का दौर चल रहा था, उस समय आपके चहरे पर तनाव साफ झलक रहा था, आपके शिष्यों को इस प्रकार भ्रमित देखकर आपकी व्याकुलता दिन-पgonender विधाता की इस अग्नि परीक्षा को आपने भली-भांति पूर्ण किया। आपने इतने विकट प्रतिकूल परिस्थिति में संघर्ष और सहनशीलता की नयी उपमा दी।। आपने परमपूज्य सद्गुisiones जिसके लिये आपको अनेक दुरorar साधना सफलता के लिये आपक mí अब हमारी यह याचना है कि जीवन के शेष दिन ममत mí
हे माँ! हम सब शिष्यों के जीवन की आप अमूल्य सम्पति हो, माँ शब्द में अतुल अतुल आनन्द है। आप मातृत्व शक्ति की स्रोत हो, जो सदा अक्षुण्ण रूप में प्रवाहित होकर रहता है, वात्सल्य की आप अत्यन्त सागर हो, प्रेम की अनन्त भण्डार हो, आपका मातृ प्रेम तो निःस्वार्थ, प्रतिदिन की इच्छा से परे गंगा धारा से भी अधिक पवित्र है, हमारी जड़ता, स्वार्थ, विकार, कुसंस्कार, कुविचार, छल, कपट, पाप-दोष, से भी आप अपने वात्सल्यमय करूणा, दया, स्नेह, कर importa प प से नहीं होती हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं स्नेह, करbar प प प से विमुख होती होती हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं सgon. सुख-दुःख, कष्ट-पीड़ा में भी आपके हृदय का स्रोत सदैव अक्षुण्ण रूप से प्रवाहित होता ¢ हत है।।।।।।।।।।। अनन्य सेवा भ marca
अपने म siguez म sigue " हे वन्दनीय माँ! यथा शक्ति आपके मातृत्व प्रेम को आपके जन्मदिवस पecer हे माँ! आपको अर्पित करने के लिये मेरे पास सिर्फ श् Est. जगत् जननी।
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