मगर उन्होंने सबसे पहले जिस मंत्र की ivamente चन की या संसार में सबसे पहले जिस मंत्र की ivamente हुई वह गुरू मंत्र था, गुरू शरीर नहीं होत होत अगuestos यदि मुझमें ज्ञान ही नहीं है तो फिर मैं आपका गुरू हूँ ही नहीं।
यदि आप एक-एक पैसा खर्च करते हैं तो मेरे हृदय में भी उस एक-एक पैसे की वैल्यू है।।।।।।।।।। मैं उतने ही ढंग से आपको वह चीज देन mí अन्यथा ऐसा लगता है कि आप मुझे दे रहें हैं और मैं भी फॉरमैलिटी निभा रहok हूँ।।।।।। ऐसा मैं नहीं करना चाहता। फॉरमैलिटी बहुत हो चुकी। फूलों के हार बहुत पहन चुका, आपकी जय जयकार बहुत सुन चुका, तांगे, बग्गी गाड़ी में बहुत चुक चुक mí यह सब बहुत हो चुका। बेटे पोते पोतियां गृहस्थ और संन्यास जीवन संन्यास क्या होता है वह भी उच्च कोटि के साथ ँइाॖ अब बस एक ब siguez अब केवल इतनी इच्छा रह गई है और कुछ इच्छा ही नहगह
सम्राट होते होंगे, मैंने देखा नहीं सम्रagaट कैसे होते हैं, मगर सम्रagaटों के सिर भी गुरू के चरणों में झुकते, उनके मुकुट भी गुरू चरणों पड़ते हैं यदि वह सही सही सही सही ezas हम अपने आप में इस शरीर को उतना उत्थानयुक्त बना दें, उतना चेतना युक्त बना दें, उस उत्सव को जान लें कि हम क्या हैं? और जब हम अपना पिछला जीवन देखना शुरू कर देंगे तो आपको इतने रहस्य स्पष्ट होंगे आपको आश आशervO कि होगaños कि किgon यaños क्या हो गया मेरे साथ? ¿Está bien? इतना अटैचमेंट थ mí जब आपको अपन mí तब एहसास होगा की हम बहुत बड़ mí क्षण एक-एक करके बीतते जा रहें हैं और जो क्षण बीतते जा रहे हैं वे क्षण लौट कर नहीं आ सकते।।।।।।।।।।।। जो समय बीत गया, बीत गया। बीत गया तो समय निकल गय mí
आपने देखा होगा की सर्प दो साल के बाद अपने ऊपर के खाल को पूरा क digará. आपको पता है य mí वही सर्प और उसके ऊपर की जो झुर्रीद marca चमड़ी होती है वह पूरी की पूरी उतार देता है।।।।।।। यह क्या है? यह कौन विद्या सी विद्या है जो सर्प के पास है और हमारे पास नहीं।।।।।।।।।। ¿Está bien? और अगर सर्प ऐसा कर सकता है, कायाकल्प कर सकता है, अपनी पूरी केंचुली को, झुर्रीदार त्वचा को, अपने पूरे बुढ़ापे को निकाल कर एक तरफ रख देता हैं, पूरा नवीन ताजगी युक्त वापस शरीर उसका बन सकता है तो हमारा क्यों नहीं बन सकता । इसीलिये नहीं बन बन सकता क्योंकि केवल उस वासुकी के प mí. हमने उसके ज्ञान को नहीं समझा। आपने मुझे फूलों के हार पहना दिये, जय जयकार कर दिया मगर आप मेरा ज्ञान नहीं समझ पाये। जब ज्ञान नहीं ग्रहण कर पायेंगे तो फिर एक बहुत बड़ा अभाव आपके में भी भी रहेगok, मेरे जीवन भी भी ¢ endr. यह ज्ञान यह चेतना या तो पुस्तकों में मिल पायेगी या प्रमाणिक होगी और मैं ऐसा कोई गthág. पांच सौ साल बाद भी लोग कहे कि यह तो बिल्कुल नवीन औecer वैसा ग्रंथ मैं आपको बनाना चाहता हूँ सजीव ग्रंथ बनाना चाहता हूँ, जिंदा ग्रंथ बनाना चाहता हूँ।।।।।।।।।।
आप अपने आपको क sigue. मैं प्रवचन बोल कर भी जाऊँगा तो मुझे मालूम है कि आप सब कुछ सुनने के बाद भी वहीं खड़े रह जendr कमजोर है, अब मैं कुछ नहीं कर सकता। यह आपके जीवन की हीन भावना बोल रही है आप नहीं बोल रहें हैं। आपके ऊपर जो सम siguez आपके जीवन में जो दुःख है, उन दुःखों ने आपको इतना बोझिल बना दिया है वह बोल हा है आप नहीं बोल रहें हैं।।।।।।।।।।।।। वृद्धावस्था आ ही नहीं सकती, संभव नहीं है। बुढ़ापा तो एक शब्द है, नाम है। हमने एक नाम ले लिया कि बुढ़ापा है। ¿Está bien?
मैंने तो नब्बे स siguez जब इंग्लैंड पर जर्मनी ने बमबारी की और सारा ध्वस्त कर दिया तो 82 साल के चenas ने पूरे इंगutar 82 साल की उम्र में! आप पता नहीं 82 स siguez ¿Está bien? ¿Está bien? ¿Está bien? यदि आपके पास वह विद्या हो। यदि आपके प siguez आपके पास एक भी विद्या रह पायेगी तो आने व mí तब मैं गर्व करूंगा कि आप मेरे शिष्य हैं।
मैं तो आपको चैलेंज देता हूँ मैं तो दो टूक मुझसे भी बड़े विद्वान होंगे, मगर आप बाजार से जाकर कोई ज्ञान का ग्रंथ लाइये। आप लाइये और मैं बीस किताबें और रख देता हूँ, देखथॿय इन सबमें सब चीजें ज्यों की त्यों हैं, कुछ लाइनें, इधर कecer वही चीज हर एक में है चाहे मंत्र महोदधि लाइये, चाहे मंत्र महoque ल लाइये, चाहे मंत्र सिंधु लाइये, मंत्र चिंतन लाइये, मंत्र घटक लाइये।। वे ग्रंथ तो मंत्रें पर है पर सबमें एक ही चीज हैं॥ एक ही ब siguez
¿Está bien? क्या किसी ने कहा है कि सर्प के पास ज्ञान है और हमारे पास क्यों नहीं? ¿Está bien? और आप कह रहें हैं कि आप बुजदिल हैं। मुझे समझ नहीं आ ह कि आप किस कोने से बुजदिल हैं जिससे कि मैं उस कोने को निकाल दूं कि इस से हम हम कायर हैं, इस कोने से कमजो कमजोxto हैं उस हिस हिस को को क दूं औ razón आप हैं नहीं कमजोर, आपने मान लिया है और मानना इसलिये पड़ा है क्योंकि आपके जीवन में वास्तव में बाधाये, अड़चनें, कठिनाइयां आई।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मगर ये समस्यायें केवल आप पर ही नहीं आईं।
ऐसा नहीं है कि कलियुग में ही साधनायें नहीं हो पा रहीं हैं। गुरू जी कलियुग आ आ गयtan औ sig कलियुग में में सtan धन razomo नहीं हो हो प mí औár औ सैकड़ों लोग ऐस ऐस कहते हैं हैं कि अब अब कैसे हो प पtan पtan चtan चija तरफ आप आप देख हें हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें हें idor. कभी बम विस्फोट हो रहे हैं कभी पंजाब में हो रहे हैं कभी दिल्ली में हो रहे हैं, पूरे भारत वर्ष में हो रहे हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं यह क्या हो रहा है?
कुचक्र आज ही नहीं रचे गये, लड़ाई-झगड़े आज ही नहीं हो रहे, कलियुग आज ही पैदा नहीं हुआ, वह तो सतयुग में यही यही समस्या थी जिनसे आज तुम जूझे हे हो।।।।।।।।।।।।।।।।। हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो eléctrico तुम मुझे बार-बार कह रहे हो कि कलियुग में कैसे साधनायें सम्पन्न करेंगे तो मैं कह ¢ ह हूँ द्वापर युग में, त्रेता में षड षडguna हुये महलों में केकैयी के के थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ. कि सबसे बड़े बेटे को राजगद्दी पर बिठाया जाये। उसको भुलकार उसे जंगल भेज दिया। छोटे बेटे को राजगद्दी पर बिठा दिया। ¿Está bien?
उस केकैयी का षड्यंत् PO इसको जंगल में ही भेज दिया जाये। ¿Está bien? क्या आज ही होते हैं? ¿Está bien? ¿Está bien? ¿Está bien? मनुष्य जब तक बदलेगा नहीं, परिवर्तित नहीं होगा तब तक ये घटनायें घटित होंगी।।।।।।। कृष्ण अपने आप में सूर्य थे, युग कैसा था वह आपको बता ¢ ह।। युग आज भी वैसा ही है। युग नहीं बदल सकता आदमी बदल सकता है। आदमी ज्ञान ले सकता है। कृष्ण अकेले ने सब करके दिखा दिया। आप कल्पना करें एक तरफ कौरवों की अक्षौहिणी सेना खड़ी हैं, एक तरफ पांडव खड़े हैं में कृषthण खड़े हैंatar उन्होंने कहा कि मैं कोई शस्त् PO
आपके पास एक गुरू बैठा है और इस पूरे संसार को आप जीत नहीं सकते तो फिर आप कमजोर हैं, मैं कमजोर नहीं हूँ, फिर आप में न न्यूनता है न न न नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico यह मेरी बात थोड़ी कड़वी हो सकती है। मैं भी अपनी पिता जी की प्रशंसा करता रहतok हूँ, अपने दादाजी की प्रशंसा करता ¢ हत हूँ बहुत मह मह थे, हम ऋषियों प प प उनके उनके गु गु गु गु की की की की की की की की की जो जो जो जो जो जो जो जो जो. गुरूओं का सम्मान था, राजा के पुत्र होते हुए भी दशरथ ने अपने पुत्रें को विश्वामित्omin कहां मथुरा, उत्तर प्रदेश में और कहां मध्य प्रदेश वहां कृष्ण को भेजा क्योंकि उच्च कोटि का ब्रagaह्मण सांदीपन वहां था।।।।।। थ थija। ¿? ¿Está bien? क्योंकि उन्होंने जाना कि वह व्यक्ति अपने आपमें अद्वितीय ज्ञान युक्त हैं, उसके पास भेजना ही पड़ेगा। विश्वामित्र ¢ ज की प्रजा है, दशरथ कह सकते थे कि आपको चार किलो धान ज्यादा देंगे यह यहां आकर पढ़ाइये। ज्ञान ऐसे प्राप्त नहीं हो सकता। ज्ञान के लिये फिर आपको शिष्य बनना पड़ेगा, आपको गुरू के पास पहुँचना पड़ेगा, आपको गुरू के सामने याचना करनी पड़ेगी और हम साधना में सिद्धि इसलिये नहीं प्राप्त कर रहे हैं, क्योंकि हम कमजोर महसूस करने लग गये हैं, कमजोरी आपके मन में, जीवन में आ गई है, कमजोर आप हैं नहीं। जब दक्ष ने महादेव को यज्ञ में नहीं बुल mí. Mahoksha Khatwang Parashu Phalina Kapalam Cheti Yah—— शमशान में बैठे रहते हैं और कहीं कोई कमाने की चिंता नहीं बस सांप लिपटाये बैठे हैं मस्ती के साथ में और उसके बाद भी भी जगदंब जगदंब नहीं क क अवत अवत अवत है ही ही ही ही की।।।।।।।।। की की की की की की की ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन XNUMX ध ध ही ही धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन धन epto. निश्चितंता है। निश्चिंत है इसलिये, देवता नहीं कहलाये वो, महादेव कहलाये। उन्होंने साधनायें की। महादेव ने भी की, ब्रह्मा ने भी की, विष्णु ने भीकी इन्द्र ने भी की। बिना साधनाओं के जीवन में सफलता प्राप्त नहीं सॕो सॕो मगर साधना में सफलता तब प्रagaप्त हो सकती है जब आपकी कमजोरी, आपकी दुर्बलता आपका भय, आपकी चिंता, आपका तनाव दूर हो और तनाव मेरे कहने सेxto दू नहीं प ।guna।।।।।।।। dos मैं यहां से बोल कर चले जाऊं तो उससे आपका तन mí मैं कहूं कि अब तकलीफ नहीं आये तो उससे तकलीफ नहीं मिट सकती।
मैं बता रहा हूँ कि वास्तविकता यह है। आप ज्योंहि जायेंगे घर में तो तनाव तकलीफ, बाधाये, कठिनाइयां वे ज्यों की त्यों आपके सामने खड़ी होगी।।।।।।।।। उनसे छुटकारा पाएंगे तो साधना में बैठ पाएंगे। तो गुरू की ड ड है है, गुरू का ध sig धellas है है उन उन स स razomo को को प।।।।। ।- निश्चिंत बना दिया जाये, जो कमजोर उनके जीवन के क्षण है जो मन में कमजोरी है या दुर्बलता है दूर कर दूर दिया जाये और क¯ के प विजय सकती ° सकती प no Estoma रिझाकर या प्ágagaeda क debe
विध्वंसक बन करके, क्रोध में उन्मत्त हो करके महादेव दक्ष के यज्ञ में गये, अपने ससुर के यज्ञ में गए जहां ब्राह्मण ऋषि मुनि, योगी, यति, संन्यासी आहुतियां दे रहे थे, वेद, मंत्र बोल रहे थे। उन्होंने एक ल sigue.
क्योंकि उससे पहले सती ने सोचा कि सब देवताओं को यज्ञ में बुलाया गया, मेरे पति को बुल बुलाया गया, इससे बड़ा क्या अपमान हो सकत va है तो वह यज यज कुण कुण कुण गई गई।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आधी जली तो बाहर निकाला गया। और भगवान शिव— भगवान वह होता है जिसमें ज्ञान हो। भगवान अपने, आपमें कोई अजूबा नहीं है कि जो नई चीज पैदा हुआ वह भगवान है।। भगवान तो आप सब हैं। यह शंकराचार्य स्पष्ट कर चुके हैं। जिसमें ज्ञान है वह भगवान है, जो ज्ञान युक्त है वह भगवान है। प् Est. भगवान शिव सती की अधजली लाश को अपने कंधे पर ले कर क्ágt इतना बड़ा अपमान कि मेरी पत्नी जल गई और मैं कुछ नहीं कर पाया और क्रोध की चरम सीमा और उस चरम सीमा में दक्ष वendr. ऐसे व्यक्ति का वध किया जाये तो कैसे किया जाये। तो उन्होंने अपनी जटा में से बहुत उत्तेजना युक्त मंत्र के माध्यम से एक रचना की जो कि पूर्ण जगदम्बा से भी सौ गुना ज्यादा क्षमतावान थी, जो साकार प्रतिमा थी जो कि सारी परेशानियों, बाधाओं, अड़चनों, कठिनाओं और शत्रुओं पर एकदम से प्रहार कर सके , समाप्त कर सके। वह चाहे शत्रु आपकी भूख हो चाहे परेशानी हो, चाहे बाधा हो, चाहे मुकदमेबाजी हो, चाहे असफलताये हो, चाहे घर में हो हो- ये सब बाध हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पैसे नहीं आ रहें हों व्यापार नहीं हो ivamente हो, ये सब बाधाएं हैं। ये समस्याएं हैं, परेशानियां हैं, अड़चने हैं।
भागीरथ ने जब गंगा का प्रवाह किया और उसे भगवान शिव ने अपनी जटा में लिया तो डेढ़ साल तक उन जटाओं में गंगा घूमती घूमती ही, उसे बाहर निकलने क क र razomo ही नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं. इतनी घनी जटा! भागीरथ ने प्रणाम किया- महाराज! अगर गंगा नदी आपकी जटाओं में घूमती रही तो ivamente इतनी घनीभूत जटा है। कृपा करके गंगा को धरती पर उतारे तो उन देवत mí
और मंत्रों के माध्यम से उस देव गंगा को पृथ्व। पर ा॰ ऐसे विकराल, विध्वंसक महादेव! हमने उनका सौम्य स्वuestos आपने वह रूप देखा है क्रोधमय रूप नहीं देखा, ज्वालामय रूप नहीं देखा, आँखों से बरसते अंगारे नहीं देखे।।।।।।।।।।।।। देखे इसलिये नहीं कि किसी ने दिखाया नहीं आपको। महादेव इसलिये नहीं बने कि शांत बैठे हैं हैं आप हाइएस्ट पोस्ट पर पहुँचेंगे तो हाथ जोड़-जोड़ कर नहीं पहुंचेंगे, ज्ञान को गिड़गिड़ाते हुये नहीं प प्र कर पί प।।।।।।।।।।।।। आपमें ताकत होगी, क्षमता होगी तो ऐसा कर पाएंगे। महादेव ने उस जटा से जिसको निकाला उसे कृत्या कहतह उस कृत्या ने दक्ष का सिर काट दिया वह तंत्र का उच्च कोटि का विद्वान था, दक्ष के समान कोई विद्व नहीं थ उसे सभी तंत तंत नहीं क क favor उस कृत्या ने एक क्षण में सिर काट कर बकरे का सिर लगा दिया, उसके ऊपर औecer उस कृत्या ने। एक भी ऋषि योग्य नहीं था। सती जल रही थी और वे चुपचाप बैठे-बैठे देखते रहे।
भगवान शिव उस क्रोध की अवस्था में के के शरीर को लेकर घूमते रहे। क्रोध में आदमी कुछ भी कर सकता है, और क्रोध होना ही चाहिये, क्रोध नहीं है तो मनुष्य नहीं नहीं रह सकता। ऐसा नहीं हो कि शत्रु हमारे सामने खड़े हो और हम गिड़गिड़ाये कि भइया तू कर ऐसा। ऐसा हो ही नहीं सकता।
मैं तुम्हें गिड़गिड़ siguez आज भी इतनी ताकत, क्षमता रखता हूँ, आज से सौ साल बाद भी ही ही ताकत, क्षमता रखूंगा आपके सामने। उस कृत्या ने समस्त ऋषि मुनियों को लात मार मारकर फेंक दिया। आज हम उनको ऋषि कहते हैं, उस समय तो वे मनुष्य थे ज४ सै आप भी ऋषि हैं मगर आप गलत क mí ¿? यह यज्ञ कenas थे तुम एक औरत उसमें जल गई और आप बैठे-बैठे देखते रहे। कंधे पर रख कर जहां-जहां पूरे भारतवर्ष में घूमे, जहां-जहां गल गल कर जो गि गिivamente वह शक्ति पीठ कहलाये।।।।।।।
आज भारतवर्ष में जिन्हें शक्ति पीठ कहते हैं शक्ति के जो अंग गिरे, वहां जो पीठ बनी, चेतना बनी, मंत्र बने, स्थान बने वे शक्ति पीठ कहल कहल।।।।।।।।।।।।।।।।।। कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल sabe. मैं बात यह कह रहा था कि इतने ऋषियों, मुनियों को इतने उच्चकोटि के ज्ञान को, इतने तंत्र के विद्वानों को जो अपनी ठोकरों से म मार दे औ विध विध uto कर दे।।।।।।।।।।।।। सब कुछ वह क्या चीज थी- वह कृत्या थी और कृत्या से वैताल पैदा हुआ।।।।।। वैताल जिसने विकमादितutar
इस समय ज्ञान के माध्यम से, चेतना के माध्यम से फिर कोई एक व्यक्ति पैदा हो जो आपको ज ज्ञान दे, फिर आपको वह चेतन दे म म्यम से विस विस विस बंद सके।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. यह लड़ाई बंद हो सके, यह सब कुछ बंद हो सके। आप इतने लोग हैं पूरे संसार में इस विध्वंस को इस विनाश को समाप्त कर सकते। इतनी क्षमता आपमें है। इसलिये मैं कह ¢ ह कि आप कायर नहीं है, आपने आप को को कायर मान लिया है। आप ने अपने आपको बुजदिल मान लिया है, अपने आपको बूढ़ mí आपने अपने को न्यून मान लिया है।
औरत कब तक वे घूंघट निक mí. जो पुरूष में क्षमता है वही XNUMX्त्री में तुम्हारी नजर में भेद है, मगर साधना के क्षेत्र में पुरूष-स्त्री समान हैं, बराबर है।।।।।।। कोई अंतर है ही नहीं, वेद मंत्ág. क sigue. वे पत्नियां थीं औecer
क्या वे औरतें नहीं थीं, क्या उनके पुत्र पैदा नहे थहे मगर वे ताकतवान थीं, क्षमतावान थीं और पुरूष भी क्षमतावान थे। जो क्षमतावान थे वे जिंदा रहे। देवता तो 33 करोड़ थे वहां, फिर हमें केवल 20 नाम क्यों याद हैं? ऋषियों के 18 नाम ही क्यों याद हैं, बाकी ऋषि कहां इे? ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ संतान तो पैदा, उन्होंने भी की हमने भी की। दो हांथ-पांव उनके थे तो हमारे भी है। ¿Está bien? ¿Está bien? कृष्ण ने गीता -
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युथानम धर्मस्य तदात्मान सृजाम demás।।।।
जब जब भी धर्म की हानी होगी, अधर्म का अर्थ है जहां जहा भी व्यक्ति अपने धर्म को भूल जguna, जब भ की ह होने जब भ की ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज येगी येगी येगी येगी येगी थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति थिति स थिति थिति व्यक्ति पैदा होगा जो अपने शिष्यों को ज्ञान और चेतना देगा। उनको एहसास कर marca कि तुम कायर नहीं हो, बुढ़े नहीं हो, तुममे ताकत है, क्षमता है मगर वह ज्ञान नहीं।।।।।।।।।।।।। कृत्या जब दक्ष को विध्वंस कर सकती है, सैकड़ों ऋषियों को ऊंचा उठाकर धकेल है है, वीर वेताल जैसे उठ्यक्ति को पैदा कर सकती है है जिस कृत पू कृतellas सोने की बना सकता है। आप तो पांच रूपये चांदी के इकट्ठे नहीं कर आपके पास कागज के टुकड़े तो हैं, एलम्यूनियम के सिक्के तो है पecer क्या क्षमता?
जब वह सोने की लंका बना सका तो हम क्यों नहीं कर पा रहे हममें न्यूनता क्यो है? न्यूनता यह है कि आपमें अकर्मण्यता आ गई है आपमें भावना आ गई है कि हम कुछ नहीं कर सकते।।।।।।।।। यह हमारी ड्यूटी हमार marca के माध्यम से शांति पैदा कर रहें हैं। यह हमारा धर्म है, हमारा कर्तव्य है। ऐसा अधर्म बना तब कृष्ण पैदा हुए, ऐसा अधर्म बना तब बुद्ध पैदा हुये, ऐसा अत्याचाgres बढ़ा तब सुकरात पैदा हुये, ईसा मसीह पैदा हुयेा हुये va सब देशों में पैदा हुए कोई भारत वर्ष में ही पैद mí आज के युग में नोट की भी जरू¢ है है बेटों की भी जरूरत है, रोटी की भी जûendr
हमारे अन्दर दर्द पैद mí विज्ञान इसको नहीं मिटा सकता, बंदूक की गोलियों को विज्ञान नहीं मिटा सकता देख लिया हमने और प्रत्येक के पास यह ताकत होनी च चguna, एक-एक शिष्य के प प यह त त होनी च razón Ver más एक-एक व्यक्ति, एक-एक पुरूष, एक-एक स्त् Prod. वह उस साधना को सिद्ध करे कि जिसके माध्यम से वह कृत्या पैदा कर सके। भगवान शिव पैदा कर सकते हैं अगecer सांप जैसा एक मामूली जीव अगर कायाक्लप कर सकता है, पूरी केचुली उतारकuestos वापस क्षमतावान बन सकता है तो आप ऐसा क्यों नहींatar प sigue. सांप पूरे दो साल जिंद sigue. पच्चीस पचास साल में मरता नहीं। आदमी मरता है सांप नहीं मरता। जब भी बुढ़ापा आता है ऐसा दिखता है कमजोatar वह ज्ञान एक था जो सिर्फ उसके पास रह गया। पहले नाग योनि थी। जैसे वानर योनि थी गंधर्व योनि थी वैसे नाग भी एिकथ९ बाद में हमने मान लिया कि सांप ही नाग योनि नाग तो अपने आप में एक जाति थी जिनके पास वह विद्था था वह कायाकल्प की विधि जब भी आप कहेंगे कि मैं वृद्ध हो गया हूँ तो मैं आपको सिखा दूंगा। मैं तो आपको वृद्ध होने ही नहीं देना चाहता सफेद बालों वाला वृद्ध नहीं होता, वृद्धता तो की की अवस्था है।। अगर सफेदी से ही बुढ़ापा आता तो हिमालय आपसे पहले ज्यादा बूढ़ा है।। उस पर तो सफेद ही सफेद लगा हुआ है। फिर तो वह बूढ़ा ही बूढ़ा बैठा है वह है ही नहीं ततਾ
आपके सिर पर सफेदी है तो उस पर तो ज्यादा सफेदी हैी मगर नहीं वह ताकत के साथ खड़ा हुआ है, अडिग खड़ा हुह आपमें हौसला और हिम्मत है और वह चीज वापस कृत्या के माधutar कृत्या को भगवान शिव ने प्रकट किया और उस क्षमता के माध्यम से जितना अधर्म, जितनी दुर्नीति, जितनी दुष्प्रचार, जितनी दुष्टता, जितनी न्यूनता, जितना घटियापन था वह समाप्त किया, विध्वंस कर दिया और वेद मंत्र उच्चारण कर रहे थे और एक औरत जल रही ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ और अगर ऐसे समय क्रोध नहीं आये क्षमता नहीं आये, व hubte फिर तो हम एक बहुत घटिया श्रेणी के मनुष्य
अगर गुरू, शिष्य को क्षमतावान नहीं बना सके तो फिर गुरू को यहां बैठने का अधिकार नहीं है, फूलों का हार पहनने का अधिकoque नहीं है है बेक बेक बेक है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मैंने आपको बताया कि आज के युग के लिये क्या आवश्यक है, कोई घिसा पिटा प्रवचन नहीं दिया आपको।।।।।।।।।।। मैंने कृत्या के बारे में बताया जिसके दस हाथों में दस चीजें हैं और दस में एक भी फूल नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।। उसके तो हाथों में कहीं खडग है, कहीं चक्र है, कहीं कृपाण है, कहीं त्रिशूल है।।।।।।।। Ver más उसने शुंभ, निशुंभ महिषासुर, ¢ को को समाप्त कर दिया एक अकेली औरत ने कर दिया, इसलिये आज उसे पूजा जाता है।।।।।।।।।।।।।।।।। आपको भी पूजा जायेगा, यदि आपमें वह साधना होगी तो पूजा जायेगा। नहीं तो आप भी मecer
इसलिये आपमें वह क्षमता आनी चाहिये। इनके दस हाथ हैं इसका मतलब कि, दस चीजें चल mí अगर आप सोचते हैं कि ¢ के बीस हाथ और दस सिर थे तो यह कपोल कल्पना है। रावण के न कोई दस सिर थे न बीस भुजायें थी। यह एक कल्पना है, इसका अर्थ यह है कि उसके पास जितनी बीस भुजाओं में ताकत होती उतनी त तija थी, दस सिरों में जितनी बुद बुद होनी च च • उतनी बुद।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। उतनी साधनायें थी। उसके पास उतना ज्ञान था उसके पास कि च mí वही लड़ाई, वही झगड़े वही बेटों को ब sigue. और बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाा वही एक स्त्री सीता को उठा कर ले जाना। चीजें तो वहीं की वहीं थी, मगर एक विद्या उनके पास ॥े
कृत्या प्रयोग, कृत्या साधना को आज तक किसी ने छुआ तक नहीं, इसलिये कि उनके पास ज्ञान ही थ था। अगर ज्ञान ही नहीं होगा तो कोई सीखेगा कहां से, कोई बतायेगा कहां से? अगर मुझे उर्दू नहीं आती तो मैं उर्दु बोलूंगा सहे मुझे मराठी नहीं आती तो मराठी बोलूंगा कहां से। ऐसा शिष्य मैं आपको बनाना चाहता हूँ। शायद मेरी बात आपको तीखी लगे, शायद मेरी बात क्रोधमय हो गई है।।।।।।।।।।। मगर जो क्रोध नहीं करता है उससे घटिया कोई आदमी नह थह सबसे मरा हुआ जीव वह होता है जिसे क्रोध आता ही नह॥
गांधीजी ने कह दिय mí उस जमाने में बुद्ध ने जो कहा 47त्य कहा मगर वह उस जमाने में था आज वह मिथ्या नहीं है। उस समय बम विस्फोट नहीं हो रहे थे। उस समय गोलियां नहीं चल रहीं थीं, ए-के -XNUMX राइफल उस समय नहीं।। तो मैं कह ivamente हूँ- कौन करेगा फिर अगर मैं आपको ज्ञान नहीं दे पाऊँगा, आप अगर नहीं कर पायेंगे, आप देश को को, भ navide व व कोatar आ यija तैय को क प razón. लोग जीवित जाग्रत नहीं हो पायेंगे और लोग इस पर आक्रमण करते रहेंगे और आप चुपचाप देखते रहेंगे तो कौन आगे आयेगा, कहां से आयेगा? ¿Está bien?
यह धर्म हम marca है क्योंकि हम जीवन में अभावग् razón बुढ़ापा नहीं चाहते। हम यह सब नहीं चाहते मगर ऐस mí तब वह चीज हो पायेगी। ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿
भगवान शिव ने एक उच्च कोटि की स mí. उस कृत्या को सिद्ध किया विक्रामादित्य ने। बीच में कर ही नहीं पाये कोई। या तो ज्ञान लुप्त हो गया या वे ऋषि मुनि समाप्त ह९ कुछ को भगवान शिव ने समाप्त कर दिया, कुछ मर गये, कुछ को ज्ञान ¢ नहीं और कुछ ऐसे ऋषि हो गये जो अपने शिष्यों को ज ज्ञ Dav. नहीं पाये।।।।।।।।।।।।।। प प प प प प sabe. पहले मुख से देते थे ज्ञान, किताबों में होता ही था था था आज मैंने आठ किताबें तैयार की तो आप दो, प siguez
मैं कह ¢ हूँ कि गति कुछ होती नहीं है, गति हम उसकी करेंगे जो हमारे घर में कatar क sigue, में कोई गोली बननी ही नहीं चाहिये जो आपको लग जाये। जब बनेगी नहीं तो लगेगी कहां से वो। मैं आपको ऐसे क्षमतावान बनाना चाहता हूँ, जो पांच हजार वर्षों में समाप्त हो गया उस ज्ञ ञ को आपको देना चाहत हूँ तेजस तेजसguna य को आपको आपको प razón सूenas तो बहुत कम चमक वाला है आप उससे हजार गुना चमक वाले बनें, ऐसा ज्ञान मैं आपको प्रदान करना चाहता हूँ।।।।।।।।।।
मैंने आपको समझाया कि हम कमजोर और अशक्त क्यों हैं, म sigue हमारे मन कुल कुल 32 संचारी भाव होते हैं सोलह अनुकूल, सोलह प्रतिकूल। घृणा, क्रोध, प्रतिशोध, दुर्भावना, लोभ, मोह, अहंकार ये सब संचारी भाव हैं और कुछ अच्छे संचारी भाव भी होते हैं, जैसे प्रेम, स्नेह परोपकाnas
जीवन का सार बलशाली होना है, जब तक आदमी निर्बल रहेगा तब तक आदमी सफल हो हो सकता और बलशाली होने लिये लिये उसे सोलह जो प प्रतिकूल संच fubar. प्रकृति भी निर्बल को सताती है। दिया निर्बल होता है, थोड़ी सी हवा चलती है और उसे बुझा देती है और वही दिया अगर बन जाये तो हवा उसे बढ़ा देती है, हवा भी सहायक बन ज है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ताकतवान का साथ देती है हवा निर्बल की नहीं बनती। दोनों ही आग है और हवा एक ही है मगर जो ताकतवान है जो क्षमतावान है उसकी वह सहायक बनती।।
आप त sigue " और कृत्या का अर्थ यही है कि आप ताकतवान और क्षमतendr एक बार गुरू को धारण किया तो कर लिया, जो उसने कहहा िा फिर अपनी बुद्धि, अपनी होशियारी, अपनी अक्ल आप लड़ाएंगे तो आप ही गुरू बन जायेंगे, फिर कोईatar ज्यादा लड़ाई कर सकते हैं तो मुझसे योग्य हैं हप ॆ मैं आपके जितना क्रोध कर नहीं सकता आपके जितना लड़ाई झगड़ा कर नहीं सकता। जितनी शानदार 2000 गालियां आप दे सकते हैं मैं दे ही नहीं सकता।
मग sig स sigueओं में आपसे आपसे ज्यendroso क posterior कृत्या का तात्पर्य यह भी है कि हममें साहस हो, पौरूष हो, धारणा शक्ति।।। कृत्या अपने आपमें एक प्रचंड शक्ति है जो भगवान शिव के द्वारा निर्मित हुई। आपके जीवन में क्षमता, साहस, जवानी, पौरूष कृत्या साधना के माध्यम से ही आ सकती।।।।।।।।।।।।।। कृपणता, दुर्बलता, निर marca आपके जीवन में नहीं है, आप अपने ऊपर जबरदस्ती लाद लेते हर बार लाद लेते हैं अब अब मैं कुछ नहीं क कर सकता, मेरे जीवन में कुछ ही नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
और धीरे-धीरे आप नष्ट होते जा रहे हैं। देश में जो चल रहा है, जो हो रहा है उसके लिये विज्ञान कर क्या रहok है हमारी उपयोगिता फिर क्या है हम फिर क्यों पैदा हुए हैं हैं हैं हैं हैं हैं? ज्ञान क्या चीज है? ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ मैं यह सिद्ध करना चाहता हूँ।
मैं बताना चाहता हूँ कि आयुर्वेद में वह क्षमता है कि प्रत्येक रोग का निवारण कर सके।।।।।।। पहले किसी पौधे के पास खड़े होते थे तो पौधा खुद खड़ mí पेड़ पौधे पहले इतना बोलते थे तो आज भी बोलते होतथड़॰ उस समय वनस्पति खुद बोलती थी। आज भी बोलती है मगर हममें क्षमता नहीं कि हम समझथे ये आप में क्षमता हो, साहस हो पौरूष हो ऐसा मैं आपको बनाना चाहता हूँ। आप बोले और सामने व sigue.
मैंने यह समझाया कि कृत्या क्या है और हमारे जीवन में क्यों आवश्यक है।।।।।।। कृत्या कोई लड़ाई झगड़ा नहीं है, कृत्या मतभेद नहै कृत्या आपको प्रचंड पौरूष देने वाली एक जगदंबा है देवी है। कृत्या किसी को नष्ट करने के लिये नहीं है पenas आपके आपके पौरूष को ललकारने वाली जरूर है, हिम्मत, और हौंसला देने वाली जरूर है, वृद्ध Daviblemente velija को व व velellas परन्तु आवश्यकता है कि पूर्ण क्षमता के साथ इस कृत्या को धारण किया जाये और पूर्ण पौरूष के साथ, जवानी के साथ बैठकर इसे सिद्ध किया जा सकता है, मरे हुये मुर्दो की तरह बैठकर नहीं प्राप्त किया जा सकता और अगर मेरे शिष्य मरे हुये बैठेंगे तो मेरा सब कुछ देना ही व्यर्थ है। वृद्धावस्था तो आयेगी मगर जब आयेगी तो देखा जागये। पूछ लेंगे मेरे पास आने की क्या जरूरत थी, बहुत बैठें हैं शिष्य उनके पास चली जाओ। मेरे पास तो हलवा पूरी मिल ेगी नहीं
बुढ़ापे जैसी कोई अवस्था होती नहीं है है, यह केवल एक मन का विचार है कि बूढे़ हो हो गये हैं और आप जीवन भर पौरूषवान और यौवनवान हो सकते हैं कृत्य Chr compañ मगर सिद्धि तब प्रagaप demás होगी जब गुरू जो ज्ञान दे आप आप क्षमता के साथ धारण करें। शुकदेव ने तो केवल एक बार सुना और उसे सिद्धि सफलता मिल गयी। जब पार्वती ने यह हठ कर ली कि भगवान शिव उन्हें बतायें कि आदमी जिंदा कैसे रह सकता है वह मरे ही नहीं, क्या विद्य है विद विदguna कहते हैं तो बत बत मह मह बतija च नहीं थे विद हसguna कहते कहते हैं हैं हैं हैं हैं हैं थija नहीं थ थija च¯. मगर पार्वती ने हठ किया तो उन्हें कहना
अमरनाथ के स्थान पर शिव ने बताना शुरू किया। भगवान शिव ने डमरू बजाया तो जितने वहाँ पर पशु, पक्षी, कटि, पतंग थे वे सब भाग गये।।।।।।।।।।।। लेकिन एक तोते ने अंडा दिया था वह रह गया। बाकी बारह कोस तक कोई कटि पतंग भी नहीं रहा। वह अंडा फूट गया और बच्चा बाहर आ गया। भगवान शिव पार्वती को कथा सुनाते जा रहे थे और वह बच्चा सुनता जा रहा था। पार्वती को नींद आ गयी और वह बच्चा हुंकार भरता र। कथा समाप्त हुई तो भगवान शिव ने देखा कि पार्वतती ती ॸो उन्होंने सोचा कि फिर यह हुंकार कौन भर रहा था उन्होंने पार्वती को उठाया और पूछा तुमने कहां तक सुना?
पार्वती ने कहा मैंने वहां तक सुना और फिर मुझे ं० न० तो भगवान शिव ने कहा- यह हुंकार कौन भर रहा पार्वती ने कहा- मुझे तो मालूम नहीं। उन्होंने देखा तो एक तोता का बच्चा बैठा था। महादेव ने अपना त्रिशूल फेंका। तो उस बच्चे ने कह sigue- जो आपने कहा वह मैं समझ गया। मुझे कोई मंत्र उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं।
तो वह बच्चा उड़ा और वेद व्यास की पत्नी अर्ध्य दे रही थी भगवान सूर्य को और उसमें मुंह के मoque म से वह अंद अंदर उतर गया और 12 साल तक तक bal ह। ह।।।। पहले मातायें 12 साल ब siguez उसने कहा मह siguez अब महादेव का त्रिशूल मेरा क्या बिगाड़ेगा। हाँ तुम्हें तकलीफ हो तो बता दो। व्यास की पत्नी ने कहा- मुझे पता ही नहीं लगा कि तुम अंदर हो।। तुम तो हवा की तरह हलके हो। तुम्हारी इच्छा हो तो बैठे रहो, नहीं इच्छा हो तथल
वह शुक्रदेव ऋषि बने। शुक याने तोता। यह बात बत siguez जैसे शुकदेव ने सुना शिव को औág. अगर धारण कर लेगें, समझ लेंगे तो जीवन में बहुत थोड़ा सा मंत्ág. धारण करेंगे ही नहीं, मानस अलग होगा तो नहीं हो तྥॾय जो कहूं वह करना ही है आपको। शास्त्रें ने कह mí अब गुरू वहां ज sigue. नहीं ऐसा नहीं करना है आपको। जो गुरू कहे वह करिये। आपको कहे यह करना है तो करना है।
आप गुरू के बताये मारorar. आप अपने जीवन में उच्च से उच्च साधनायें, मंत्र और तंत्र का ज्ञान गुरू से प्राप्त कर सके और प्राप्त ही नहीं करें, उसे धारण कर सकें, आत्मसात कर सके ऐसा मैं आपको हृदय से आशीर्वाद देता हूं, कल्याण कामना करता हूँ
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
Sr. Kailash Shrimali
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