जब तुम अपने आपको शक्तिहीन अनुभव करो, जब तुम अपने आपको मृत तुल्य अनुभव करो तब तुम मेरे साथ प्عL.
प्रकृति के साथ तुम एकाकार तभी हो सकते हो जब मेरे प्रagaणों से अपने प्रagaण जोड़ सको, मेरे हृदय से अपना हृदय एकाकाक razón कर सको, मेरे अंदर अंद अपने सम सम क razón सको सको सको सको सको सको सको।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
गुरू को तुम भले ही भौतिक रूप में देखो परन्तु वह तो होता है प demás क का घनी भूत स्वरूप जहाँ से होता है क क।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica इसीलिये गुरू को माता और पिता दोनों कहा गया है।
मैं पिछले कई जन्मों से तुम्हारuerzo गुरू हूँ, तुम्हाisiones तुम शरीर हो और मैं उसकी धडकती हुई आत्मा हूँ, प्रagaणों का स्पंदन हूँ।
बिना गुरू स्पंदन के तुम्हाisiones शरीर एक खोखला, प्रagaण रहित मात्र रक्त मज्जा का पिंड।।।।।।।।।।।।।।।।।। Ver más तुम्हारे इस दुनियां के प mí
परन्तु गुरू के पास दिव्य सुगंध के स्त्रोत है उसके पास पहुंचोगे तो तुम्हाisiones
तुम्हें इस जीवन में मृत नहीं होन mí
तुम साधनाओं के अजस्त्omin con
जो मेरे साथ है वे बहुत बड़ा कार्य कर रहे जिस प्रकार समुद्र ऊपर से भले ही शांत दिखाई दे पर अंदर उसके बड़ी हलचल होती।।।।।।।।।।।।। ठीक ऐसे ही मेरे शिष्य हैं। ऊपर से शांत दिखते हुए भी नवीन सृजन के काisiones
जो काम तुम्हारी कई पीढि़यों ने नहीं किय mí
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