या श्री स्वयं सुकृतिन sigue.
श्रद्धा सतां कुलजन, प्रभवस्य लज्जा ता त्वां नतास्मि परिलय न देवि विश्वम् ender
मैं जगदम्बा के चरित्र को उसके ध्यान को एक विशेष धारणा के साथ में में एक चिंतन के साथ में आपके सामने स्पष्ट कर ¢ हूँ।।।।।।।।।।।।।। हूँ हूँ हूँ हूँ।। eléctrica हम sigue razón वे मर गये जो कायर थे, कमजोर थे, बुजदिल थे, अशक्त थे और अपने आप में हीन भावना से ग्रस्त थे।।।।।।।। संघर्ष नहीं है तो जीवन नहीं है। ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ ¿Está bien? ¿Está bien?
¿Está bien? ¿Está bien? क्या संघर्ष मुकदमें बाजी में है कि हम बर gaste क्या संघर्ष संतान नहीं होना है और हम उसके लिये प्रयत्न कर रहें हैं? ¿Está bien? क्या संघर्ष वह है कि हम व्यापार कर रहे हैं और उसमें सफलता नहीं मिल प mí. ¿Está bien?
आप जीवन में समस्याओं के अलावा कुछ झेल नहीं रहै ॹ यदि आप सुबह से श siguez आपके जीवन में आनन्द जैसी कोई बात है ही नहीं, प्रफुल्लता जैसी बात है ही नहीं, हास्य, विनोद जैसी बात है ही नहीं, हंसी खुशी है ही नहीं और अगर मैं कहूं कि आप दीर्घायु बनें तो आप अगर चिंताओं से घिरे हुए होंगे तो दीर्घायु कहां से होंगे क्योंकि मृत्यु तो मन से होती है शenas से तो मृत्यु होती नहीं।।।।।।।।। वह तो आप कहें तो मैं आपको सिख mí मैं आपको बता सकता हूँ कि कायाकल्प करने के लिये शंकर marcaija
मगर कई बार मैंने माisiones जब मैं चार साल का था। तभी मुझे ज्ञान दे दिय mí आज भी दोनों अध्याय करता हूँ, पूरे तेरह अध्याय न भी कर पाऊं तो भी दो अध्याय तो कर ही लेता हूँ। हूँ मगर कई बार यह ध्यान, यह चिंतन उठा कि यह श्लोक माisiones
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क्या गलत है? ¿Está bien? यह क्या चीज है? म sigue, ने जो जो लिखा पूर्ण सात्विक भाव से लिखा, दुर्गा चरित्र को श्रेष्ठतम लिखा। मगर जब तक आपको तंत्र ज्ञात नहीं होगा जब तक आप में तांत् razón
इसीलिये जगदम्बा को जगदम्बा कहा ही नहीं गया है, तanzas. उसे दुर्गा कहा गया है, भवानी कहा गया है, उसे भद्रा, कपालिनी कहा गया है और यह श्लोक जो मैंने बताया कई गूढ़ रहस्यों को लिये हुये है और यह श्लोक रावण के लिये लिखा और रावण ने पूर्ण तांत्रेक्त विधि से साधनाये संपन्न की और उसमें अद्वितीय सफलता प्राप्त की। वही ज्ञान अमरनाथ के स्थान पर महादेव ने पारorar अमरनाथ नाम इसीलिये पड़ा कि वहां मृत्यु हो ही ऀतथो महादेव का नाम अमरनाथ इसीलिये पड़ा। आप अगर अमरनाथ गये हो तो देखा होगा कि वहां कोई पशु पक्षी है नहीं नहीं केवल एक कबूतर कबूतरी का जोड़ा है। जो कि ब sigueará मर जाता हैं तो बच्चे रहते हैं मगर होते जरूर हैं। यह बात का प्रतीक है कि उन्होंने उस अमरकथा को सु२
ज्योहि महादेव ने कहना शुरू किया तो वहाँ एक अंड mí निकलते ही तो वह उड़ नहीं सका क्योंकि उड़ने की क्षमता तो चार पांच घंटे बाद आती।।।।।।।।।।। वह सुनत सुनतguna erm. औ sig हुक sigue क sig árya औ sig औ sigue अपनी में ज।।।।।।।। और जब महादेव ने त्रिशूल उसके ऊपर छोड़ा तो वह उड़ा और उसने निश्चय कर लिया कि महादेव उसे मार तो नहीं।।।।।।।।।।।।।।।। त्रिशूल क्या सुदर्शन चक्र भी आये तो मृत्यु हो ही नहीं सकती क्योंकि अमर कथा सुनी है और वेदव्यास की पत्नी अर posterior
¿? मैं आपको कहता हूँ कि मेरी बातें आपको समझ नहीं आयेगी, कई बात आपको आश demás. लगेंगी।।।।।। जब तक आपको वह ज्ञान प्रagaप्त नहीं होगा तब तक आपको मालूम नहीं पड़ेगा कि कायाकल्प क्या होता है, सौंदर posterir कुछ युग पहले औरतें इक्कीस महीने का गर्भ धारण क॰॰ क॰॰ उसके बाद बच्चे पंद्रह महीने बाद होने लगे, फिर दस महीने बाद होने लगे, नौ महीने बाद होने लगे और आज आठ महीने बाद नatar. महिलाये और डर ¢ है कहीं गड़बड़ नहीं हो जाये और आपरेशन कर लेते हैं और आजकल नय नया फैशन शुरू हो गया कि गthósgano इससे ग्रह नक्षत्र अच्छे हो जायेंगे, यह एक नया खेल और शुरू कर दिया।
मगर इन बच्चों में वह प्रखरता नहीं आ रही, वह बुद्धि नहीं आ रही, वह ऋषिपन नहीं आ ¢ endr. वह तेजस्विता आ सकती है केवल और केवल जगदम्बा की साधना के द्वारा केवल भगवान शिव द्वारा idor उस जगदम्बा की साधना रावण ने की। रावण ने जब साधना की तो रावण भी अपने आप में एक थथा हमने उसे एक दूसरे ढंग से देखा, हमारा देखने का नजरिया दूसरा हो गया। रावण ने प्रार्थना की और उसने कहा मैं और कुछ नहीं चाहता हूँ, मैं भगवान शिव को साक्षी करके वह चीज सीखना चाहता हूँ जो आज तक नहीं पैदा हुई वह विद्या सीखना चाहता हूँ और तंत्र के माध्यम से सीखना चाहता हूँ और महादेव जब प्रकट हुये तो उन्होंने कहा- अगर तू मेरा भक्त है, अगर तूने मेरी उपासना की है है, सैकड़ोंatar. मगर उसके बाद दूसरी बात नहीं पूछेगा। दूसरा ज्ञान नहीं प्राप्त कर पायेगा, एक ज्ञान ंतूंान अब जो कुछ ज्ञान तुम्हें प्राप्त करना है कर
तो, दो क्षण रावण विचलित रहा कि यह तो अंत हो जायेगाॗाा अब महादेव ने कह दिया तो एक ही हो पायेगा। ¿Está bien? कैसे कर पाऊंगा? जब इन्होंने निश्चय कर लिया तो एक ही ज्ञान देंगेेे उसने सोचा-चलो नहीं से तो एक अच्छा है। तो उसने कहा-आप एक ज्ञान ही दे दीजिये मगर ज्ञान ऐसा दीजिये जो अपने आप में अपूर्व हो।।।।।।।।।।।। आपने पार्वती को ज्ञान दिया तो वह पूû endrá तो महादेव इस श्लोक की रचना की
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मैं उस देवी की उतutar सौम्यता युक्त का अर्थ है कि वह तंत्र लगे ही नहीं और उसका मंत्र भी पूर्ण तेजस्वी हो।।।।।।।। मैं आपको कहता हूँ- आप मेहरबानी करके मुझे भोजन करा दीजिये, यह मैं मंत्र बोल रहok हूँ और मैं आपका गला पकड़ कर कहूं- आप भोजन भोजन कराओ, सुनो।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrica eléctrica eléctrica मुझे मुझे मुझे
शब्द वही कहे मगर दूसरी बार आप एकदम से दस रूपये जेब से निकालेंगे और कहेंगे- ले भोजन कर ले।।।।।।।।।।। मेरा गला छोड़। यह दूसरा तंत्र है। पहला मंत्र था कि मैं हाथ जोडूं, प्राagaentas करूं कि दो ूपये दे।।।।।।।।।।।।।।।। आप मानें या नहीं मानें। रावण ने कहा आप मुझे तंत्र विद्या सिखाइये, ऐसी चीज बताइये जो अद्वितीय हो ऐसा ज्ञान जो पैदा नहीं, जो पैद पैदा हो नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं eléctrico महादेव ने कहा- वह नहीं हो सकता। मैं तुम्हें ज्ञान दे सकता हूँ, अद्वितीय ज्ञान दे सकता हूँ, मगर वह आगे रहे ही नहीं यह संभव।।।।।।।।।।।।।।।।।।। अमर कथा भी गोपनीय नहीं रह पाई, वह भी किसी ने सुन ली और उसका आगे चलकर शुक्रagaचार्य ने प्रयोग कियί जह ं सैकड़ों दैत्य मरते तो जीवित संजीवनी विद्य प प utoega ezas. देवता वापस पैदा नहीं हो पा रहे थे मगर दैत्य ह। इ॥ॹ रक्तबीज जिसका देवी ने वध किया, उसकी रक्त की, एक बूंद गिरती थी और फिर एक दैत्य पैदा हो जाता था। आज नौ महीने ब siguez
तो ¢ ने ने कह mí -
महोक्षः खटवांगं परशुरजिनं भस्म फणिनः कपालं ची….
सारे देवता कहते है कि आपके पास कुछ ही नहीं। आप बहुत खुश हो जायेंगे तो श्मशान की मुट्ठी भर राख निकाल कर देंगे और आपके पास एक लंगोट पडी है है है है है है होंगे ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च ¿Está bien? और आपके पास इनके अलावा कुछ है नहीं। इनके अलावा कुछ नहीं है मगर फिर भी आप महादेव कहला र॰ यह क्या चीज है, यह क्या रहस्य है। वह कौन सी शक्ति है, कौन सी विद्या है जिसके माध्यम से आपके जीवन में कोई अभाव है ही।।।।।। आपके घर में पत्नी पूरorar फिर भी आप महादेव कहल sigue. ¿Está bien? तो महादेव ने कहा-
Ya Srim Swayam Sukritinaam Bhavaneshu Lakshmi.
तीन चीज तंत्र के माध्यम से संभव हैं क्योंकि एक ही तंत्र में तीन विद्याये हैं।।।।। उसमें से एक विद्या है पूर्ण यौवनवान बनना, पूर्ण तेजस्वितावान बनना।
आप सौंदर्यवान है और यदि पास में अभाव है, समस्याये है, बाधायें हैं, अडचने हैं और शत्रु हैं तो वह सौंदर्य क्या काम का।।।।।। gas. वह सौंदर्य भी किसी काम का नहीं है क्योंकि आप चारों ओर से घिरे हैं, आपके मन में भय है, संकोच है।।।।।।।।।।।।। आपके जीवन में डर है, हर क्षण पलायन है, लक्ष्मी और धन का अभाव है सबसे बड़ा आपका शत्रु यह।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आज के युग में भी यह है और आज से पाँच हजार साल पहले यही यही डर था, भय था। लक्ष्मी समुद्र से पैदा हुई ही नहीं। आप कहते हैं कि समुद्ág.
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श्री तो निकली। ¿Está bien? लक्ष्मी की उत्पति कहाँ से हुई, आपको, पता नहीं औecer ¿? रावण ने महादेव से कह siguez भगवान शिव ने कहा- तुम गलत जप रहे हो। तो ¢ ने ने कहा- फिर आप मुझे मंत्र वह दीजिये कि मैं अद्वितीय संपन्न बनूं। अद्वितीय सौंदर्यवान बनूं। ऐसी तेजस्विता मुझे दीजिये और अत्यंत सौंदर्यवती मेरी पत्नी हो और जिस नगर का मैं ¢ हूँ हूँ तो मेरा पूरaga नगर सौंदर्ययुक हो, महकता हुआ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico eléctrica हो।।।। eléctrica इस शरीर से सुगंध प्रवाहित होती हो। स्त्री को पद्मिनी कहा है। पद्म कहते है कमल के उस फूल को जिसमें आधा किलोमीटर तक सुगंध आती है। यदि आप बद्रीनाथ के मंदिर की तरफ गये हो तो वहाँ पास में एक स्थान है 24 किलोमीटर दूरी पर। वहाँ पूरे एक किलो मीटर घेरे का कमल खिला होता है उसे ब demás खिल कहते।।।।।।।।।।।।।।।। उसमें से सुगंध प्रवाहित होती है एक-एक किलोमीतर॰ इसीलिये नारी को पद्मिनी कहा गया है।
¿? यह सौंदर्य नहीं है। रावण ने कहा- मैं वह विद्या लेकर करूंगा क्या आपसे, जिससे महापुरूष नहीं बन सकत va, अद्वितीय नहीं सौंद razón, पूर्ण नहीं नहीं प्ya कर सकत सकत razón ¿Está bien? ¿Está bien? और यह आज तक आपके भी समझ नहीं आया और कथाओं में भी वर्णन नहीं है कि लक्ष्मी का वास्तविक स्वरूप क्या है? यजुर्वेद में तो वर्णन है ही नहीं। उसमें तो क्षेपक आया है।
श्रीश्चतेलक्ष्मीश्च पतन्यां
यह दिय mí ऋषियों ने वर्णन किये ही नहीं। ऐसे मंत्र बाद में आ गये। एक कथा लिखी तो उसमें और कथाये जुड़ती गई। सत्यनारायण कथा के तीन अध्याय थे, फिर उसमें चौथा अध्याय जुड़ गया, पांचवा जुड़ गया और अब सात अध्याय की सत्यन्यनायण कथा हो गई।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico। eléctrico अध्याय आप एक और जोड़ दीजिये तो आठ अध्याय की कथा जा जा ये सब क्षेपक हैं।
रावण ने महादेव से कहा- आप तंत्र के माध्यम से मुझे वह ज्ञान दीजिये, वह शक्ति दीजिये म मguna से मैं तीनों चीज प प झलकन सकूं पू ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस. कि सूरorar
ऐसा सौंदर्य अस्सी साल का व्यक्ति भी प्रagaप्त कर सकता है क्योंकि उम्र कहीं बाधक होती नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।। यह तो तुम्हाisiones यह भाव भी तुम्हाisiones तुम इतनी हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हो कि तुम सोचने लगते हो- अरे! बुढ़ापा आ गया। यह बुढ़ाप mí ¿Está bien? अब तू कमाकर करे गा भी क्या तू मरने वाला तुम सोचते हो कि वास्तव में तुम मृत्यु के पास त ह९ आप में हीन भावना नहीं थी, गुरू ने भी नहीं दी, यह तो औरों ने आपको दी और आप में कमी।।।।।।।।।।।।।।।। भगवान शिव ने कहा- आदमी मर नहीं सकता। बलिष्ठ पुरूष, जो क्षमतावान है, ताकतवान है वह समाप्त हो नहीं सकता। क्योंकि उसमें एक संघर्ष करने की क्षमता होती हैी उसमें ताकत होती है, जोश होता है और जिसमें ताकत और जोश होता है वह मरेगा कहां से? मृत्यु तो तब दबोचती है जब आप खाट पर पड़े होते हैं अस्पताल में, हिल डुल नहीं हे हैं हैंर इंजेकutar तरह। आप धीरे-धीरे गलते जाते हैं तो शरीर मरता है और अगर आप बलिष्ठ ताकतवान होंगे तो मenas ेग va से से से से से से से से से से से से से से से से से
महादेव ने बिल्कुल एक सही व्याख demás करके समझाई है पु पुरूष सौंदर्य वह हैं जिसमें ताकत, जवानी, क्षमता है।।।।।।।।।।।।।।।।।।। वह लात मारे और दीवार दस फुट दूर गिर जाये, आकाश में पत्थर फेंके तो आकाश में हज • छेद हो जाये, वह बलिष्ठ पुरूष सौंदर्य है है।।।।।।।।।।।।।।।।।। वह नारी सौंदर्य है जो अद्वितीय हो, जिसमें कमल गंध जिससे जिससे पद्मिनी कहला सके। क्यों भगवती का स्वisiones किसी देवता को देख लीजिये उनके चहरे लाल सुर्ख हैं, चाहे विष्णु को लीजिये लीजिये, ब्रह्मा को लीजिये।।।।।।।।।।।।।। ¿Está bien? हम पूजा उनकी करें और हम मरे हुए पिलपिले बैठे हैं, कुंकुम उनके लगाये हम खुद मरे हुए।।।।।।।।।। कोई देवता तुमने देखा दुर्बल औecer ¿¿¿¿¿¿??? वे पूर्वज आपके और आप खुद मरे हुये।
रावण ने कहा- मुझे वह ज्ञान दीजिये और अगर लक्ष्मी नहीं पैदा हुई समुद्र मंथन से तो लक्ष्मी कहां है, किस प्रuestos मैं लक्ष्मी को इसलिये प्रagaप्त करना चाहता हूँ, जिससे मेरे जीवन में अभाव रहे ही।।।।।।।।।।।।।।।।।।। अभाव नहीं रहेंगे तो पौरूष रहेगok, अभाव नहीं रहेंगे तो मेरे जीवन में बाधाये आयेगी नहीं।।।।।।।।।।। अभाव नहीं रहेंगे तो लड़ाई झगड़े होंगे अभाव होंगे तो मन में शत्रुओं का भय होगा, मन में घबराहट पैदा होगी। अभावनहीं होगा तो पूर्ण बलिष्ठता होगी। आप एक हुंकार भरे और दूसरा दुबक कर बैठ जाये, वह बलिष्ठता आपकी हो।।।।।।।। इसीलिये नारी का सौंदर्य पति है और पुरूष का सौंदर्य धन।। जब धन नहीं होता तो व्यक्ति सबसे कमजोर अशक्त हो जाता है, पीडि़त होता है, पत्नी जो चीज मांगे वह ला नहीं सकता, बच्चों की नहीं दे सकत सकत • हर दम तकलीफ पाता है। सब करने के बाद भी जीवन निष्फल हो जाता है धन धन का अभाव होता है।।।।।।।
रावण ने कहा महादेव से- मैं अभाव नहीं चाहता मैं नहीं चाहता और मेरी पूरी नगरी नहीं समुद्र के बीच में द्वीप जिसे लंका नगरी कहा गया। वहां एक भी वृद्ध नहीं हो, एक भी असुंदरी नहीं हो। एक भी व्यकorar मुझे महादेव आप वह ज्ञान दीजिये और कौन सी लक्ष्मी की साधना के माध्यम से ये चीजें चीजें प्रagaप demás हो सकती है, एक ब बार में चीजें चीजें औ जीवन में हम हम हम ये तीनों आवश आवश।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आज के युग में भी ये तीनों ही आवश्यक हैं। कौन सी साधना रावण ने की जो इतना धन संपन्न हो सका॥ ऐसी किसी ऋषि ने नहीं की, योगी ने नहीं की, यति या संन्यासी ने की की। उससे पहले इतने योगी, यति संन्यासी पैदा हुए, यह साधना फिर थी कहां? कहां से मिला यह मंत्र?
तब भगवान शिव ने इस श्लोक के माध्यम से रावण को ताम उन्होंने समझाdos दे आपको। तंत्र का मतलब है देने की क्रिया। दोनो में डिफरेंस है। जब मैं मंत्र बोलू इसका अर्थ है मैं आपको कुछ दे ¢ endr. गुरू सब कुछ दे और तंत्र के माध्यम से आप सब ले लें॥ रावण ने कहा सुंकृतिनां-मे debe हमने ¢ को एक गलत गलत तरीके से देखा क्योंकि तुलसीदास ने ऐसा ही लिखा। व sigue. जब राम थे, सीता थी तब वाल्मीकी थे। उसने जो लिखा इतिहास के रूप में लिखा। उन्होंने ¢ को ईश्वर मान कर लिखा एक भक्त के रूप में लिखा। वाल्मीकी ने वास्तविकता लिखी। उसने कह mí
Balticzo पूर्ण ताकतवान, तेजस्विता युक्त, क्षमतावान, पुष्पक विमान बनाने वाला, संजीवनी विद्या सीखने वाला और उसकी सभी पत्नीय Davidamente सुन्दर तेजस्विता युक्त, कमल युक।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पतgon. यह क्या था? यह इसलिये थ mí महादेव कहते है कि यह एक विधा है जो पूर्ण तंत्रहै उन्होंने जब पहली बार लास्य किया, तांडव नृत्य किया तो तंत्र पैदा हुआ।।।।।।। तंत्र की उत्पति वहीं से हुई। संगीत की उत्पति भगवान शिव के नृत्य XNUMX जिन वर्णों की उत्पत्ति तब हुई आप उनको जोडे़गें तो सा, रे, गा, मा, पा, ध, नी, सा, निकल जायेगा। यह सारा तंत्र, सारा संगीत, सारा नृत्य भगवान शिव के तांडव नृत्य के माध्यम से पैदा हुआ।।।।। हमने महादेव को भी सही ढंग से समझा ही नहीं, इसलिये तंत्र को भी नहीं समझा। किंतु ¢ ने ने समझा, इसलिये रावण का सारaga जोर इस बात पर था कि पौरूष मिल जायेगा मुझे, मेरी पत्नी को सौंदर्य भी मिल जायेगा येग येग येग येगija। येग येगija। येग येगija ¿Está bien? ¿Está bien? अगर मैं गुरू हूँ और मेरे शिष्य निर्धन रहेंगे तो उसका फायदा क्या हुआ। मैं यह नहीं कर सकता कि नवार्ण मंत्र दूं, 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' जो ज्ञान दूँ वह प्रमाणिक।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। रावण ने कह siguez आप सीधे मुझे क्षमता दीजिये, आप क्षमता दें कि मैं धनवान बन सकूं और मेरे पास धन नहीं, सोना ही सोना हो।।।।।।। पूरी नगरी स्वर्णमय बन जाये, कुछ ऐसी विद्या दीजेॿ९ जो अपने आप में अद्वितीय हो।
इसलिए वाल्मीकि ने कहा- न भूतो न भविष्यति। यह विद्या जो ¢ ने सीखी वही- न भूतो- इससे पहले कोई नहीं सीख पाया, न भविष्यति- न कोई इसके बाद सीख पायेगा। मगर मार plary ने उसी उसी विद्या को प्रagaप्त किया और भगवान शिव ने इस श्लोक की तुरंत रचनok की कि कि हर पुर marca में लिख है।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख objetivo तभी वेदों में यही श्लोक लिखा है। इससे क्या विशेषता थी कि हरेक वेदों में, हर पुराण में यह लिखा गया? इसकी महत्ता क्या थी?
इसकी महत्ता यह थी कि इसमें बताया गया है कि यदि इस श्लोक का निचोंड़ तो तो व्यक्ति उस को सीख सकत mí आप काम करें या नहीं करें, मैं कोई व्यापाgres करता नहीं, नौकरी करता नहीं, मैं हल जोतता नहीं, मेरे कोई खेत, खलिहान नहीं फिxto भी आपसे अधिक संपन संपन। हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ। elécitario आप सब मिलकर इतने संपन्न नहीं हैं जितन mí वह तो मुझे वह ज्ञान हैं, चेतना है तो इतनी तेजस्विता से बोल सकता हूँ।
रावण ने महादेव से कह siguez फिर मुझे परिश्रम नहीं करना पड़े फिर मुझे न्यूनता नहीं बरतनी पड़े और आप मुझे ऐसी विद्या देंगे।।।।।। मुझे मंत्र नहीं देंगे। इस विद्या को ऐश्वर्यमय लक्ष्मी सिद्धि कहा गयoque अमृत अमृत सिद्धि कहा गया या अमृत लक्ष्मी सिद्धि कहा गया। महादेव ने उस विद्या को रावण को समझाया और अमृत मंत्र को स्पष्ट किया जिसके माध्यम से पूर्ण सफलता प्राप्त हो सके, पूर्ण पौरूषवान हो सके, पूर्ण सौंदर्यवान और तेजस्वितायुक्त हो सके और अटूट संपत्ति का स्वामी हो सके और घर तो मामूली बात है, पूर्ण नगरी को सोने का बना सके।
यह रावण कृत तांत्रेक्त ऐश्वर्यमय लक्ष्मी सिद्धि जीवन का सौभाग्य है क्योंकि इसमें पौरूष है, सौंदर्य है, इसमें धन है, संपत्ति है, शत्रु परास्त है, जिसमें पूर्णता हैं, सफलता है, तेजस्विता है, दिव्यता है और सब कुछ प्राप्त करने की क्रिया हैं जोकुछ नारी चाहती है या पुरूष चाहता है। मैं आपको छूट देत mí पैसे मुझसे ले लीजिये और किसी भी गुरू से लाकर तािख९ संभव ही नहीं है। क्योंकि उस श्लोक में क्या बताया गया उसे समझा हह जब समझा ही नहीं गय mí मैं ऐसे रखना ही नहीं चाहता हूँ। मैं अपने शिष्यों को बहुत सुंदecer ऐसा नहीं कि छः महीने लगेंगे, उसका कोई फायदा नहथू नहथै
आप इस इस सिद uto को प प Sप utoप करेंगे तो आप आप स स uto कुछ कुछ ही दिनों दिनों में अनुभव क कágेंगे कि कि आप पहले से कितने कितने त तtanijo हैं हैं हैं हैं हैं हैं क क uto षमत हैं हैं हैं हैं हैं हैं सफलत सफलत प हैं हैं हैं त त तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प Ny मुकदमें चौदह थे तो दो ही रहेंगे, अपने आप अनुकूलता मिलती जायेगी। जो आप में न्यूनता थी वह अपने आप ठीक होने वहाँ आप ट्रagaंसफर चाहते हैं वहां होगी, जहां व्यापार कमजोर था अपने आप सफलता मिलेगी, जहां शरीर में के के द थे अपने आप ठीक होंगे और जह श श razón सुगंध निकलनी निकलनी च।।।।।।।।।।।।.
आपमें और मेरे में हो तारतम्यता, एक जुड़ाव होनाथाथाथाथा Ver más शिविर में अगर आप आये है और मैं कहू कि बरसात होगी तो होने।। हो जायेगी तो भीग जायेंगे। हो सकता है आप परेशान होते होंगे मगर आप इन बातों से पenas ेश होंगे तो जिंदगी कैसे चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी चलेगी परेशानियां, बाधाये, अड़चने और कठिनाइयाइय आपकी केवल एक पत्नी घर में नहीं है है आपकी ये चार पांच पत्नियां और हैं, एक क न प क क न न म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म न न न न न न न न न न न न न। है है है है है है. ¿Está bien? मैं तो कहत mí
एक बहुत अच्छा श्लोक है और उसमें बताया गया है कि समस्या तो जरूर आयेगी। आदमी की जिंदगी में ही समस्याये आयेगी, गाय भैंस के जीवन में नहीं आती है। समस्या आयेगी तब देख लेंगे। समस्याओं से, परेशानियों से घबराकर जिंदगी पार नहीं होती।।।।।।। सुलझाना चाहिये, उन समस्याओं का निराकरण करना था अब बरसात हो रही है तो हो रही है, न आप रोक सकते हैं, न मैं रोक सकता हूँ, वह इंद्र अपना काम कर ¢ है, हम अपना काम करेंगे।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मगर आप चिंता करते रहते हैं कि ऐसा होगा तो क्या होगा, वैसा होगा तो क्या होगा। आप चिंता करते रहिये, उस चिंता से कुछ होना नहीं है
जीवन में एक संयम होना चाहिये, एक व्यवहाisiones समाज के लिये अहितकर हो। हम कोई ऐसा काम नहीं करें। जो करें निर्भिकता के साथ करें, क्षमता
भगवान शिव ने एक अद्वितीय ज्ञान रावण को दिया और भगवान शिव अपने में में पूर्ण ऋषि थे, भगवान शिव को ऋषि के रूप में ही देख गया गय, जिसके द द, मूंछ ऋषि ऋषि नहीं होत।। होत होतard ऐसा है तो इतने लोग जिनके दाढी, मूंछ है, काल भैरव की तरह दिखाई देते हैं, तो वे ऋषि तो हुये हुये।।।।।।।।।।।। दाढी, मूंछ से कोई ऋषि नहीं बनता। जिसमें ज्ञान हो वह ऋषि है। भगवान शिव ने अपने लास्य के माध्यम से तंत्र बनाया, ज्ञान बनाया और वे पूर्ण निश्चिंत है, जो होगा देखा जायेगा।।।।।।। uto
रावण भी ऋषि था। उसे ऋषि के रूप में पूजा गया, रावण के मंदिर हैं। एक व्यक्ति को कई रूपों में बांटा जा सकता है। आप अच्छे हैं और आप ही खराब भी हो सकते हैं। व्यक्ति आप हैं हैं परन्तु कौन किस नजरिये से देखता है, कौन किस रूप में देखता है उस पर निर suprero है।।।।।।।।
Adoro a los que vienen a mí de la misma manera.
भगवान कृष्ण ने कहा है- जो मुझे जिस रूप में देखता है मैं उसी रूप में उसके सामने होता हूँ।।।।।।।।।। राधा, मुझे प्रेमी के रूप में देखती है, मैं उसका प्रेमी हूँ। रूक्मणि मुझे पति के रूप में देखती, मैं उसकत दु sig मुझे मुझे शत्रु के balte जो जिस रूप में मुझे देखता है मैं उसी रूप में उसके सामने हूँ।
जो जिस रूप में आपको देखेगा आप उसे परिव¢ नहीं नहीं कर सकते। देखने दीजिये, जिस रूप में देखे, देखने दीजिये आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।।।।।।।। आप तो अपने रास्ते पर गतिशील होइये, निरन्तर गतिशील रहिये। Balticó años मैं यह नहीं कह रहा कि बहुत अच्छा था। मगर मैं यह भी कह रहा हूँ कि वह बुरा भी नहीं था। यदि हम उसके गुण अवगुण देखें तो हम कहाँ उसे बुरा कह हैं हैं। यदि मैं ऐसा कहूं तो आप कहेंगे कि आप सनातन धर्म को नहीं मानते क्या? मैं यहीं कहूंगा कि मैं सन siguez
¿Está bien? Balticzo ने सीत mí ¿Está bien? किसने गलती की? ¿Está bien? किसने कहा उसके नाक? आपके पास कोई स्त् Progiar विenas कुछ कुछ किया होगा तो उसे कहाँ होगा अब कोई आपको किसी रूप में देखेगा, कोई किसी रूप में देखेगा। मैं balteza को कोई बहुत बड़ा आदर्श नहीं मान रहok हूँ, मगर मैं यह मान रहok हूँ वह वह तंत्र में अद्वितीय था, ज्न के अद्lex में में में थ थ भगव भगव न शिव आ razón इस बात को मैं स्वीकार करता हूँ।
उसके सामाजिक कर्मो में कुछ प्लस, माइनस बिंदू हो सकते हैं, उसके मैं विस्तार से विवरण में नहीं जaños ज ह ह हूँ औ razón कई इतिह उसने क दिय दिय दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख दिख नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक पक. कर अयोध्या तक पहुँचा दिया। उसने भगवान शिव की आराधना की, उस ऋषि की आर gaste आप भी उस गुरू के पास है जो आप से ज्यादा ज्ञानवाै२ मेरी दाढी, मूंछ नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि मेû ज्ञान खत्म हो जायेगा या दाढी मूंछ होने से ज्ञान हो जायेगा ।ा। से हो ज हो ज razón अगर दाढी, मूंछ से ज्ञान होता तो जितने ये गीदड़, सियाtern.
ज्ञान बालों से नहीं होता ज्ञान चेहरे से भी नहहूााा आप में कर्मठता, चेतना, हौसला, विद्वता क्या है और किस ढंग से आप जीवन यापन करते हैं, वह आपको जीवन में चैतन्यता है।।। है है है है है है है है।।।।। इसलिये रावण ने कहा- कि मुझे ऐसा ज्ञान प्रदान कीजिये मैं लक्ष्मी की साधना करना चाहता हूँ पर ऐसी लक्ष्मी की साधना करना चाहता हूँ कि फिर मेरे जीवन में अभाव नहीं रहे, मैं बार-बार लक्ष्मी का मंत्र जप या जै लक्ष्मी माता नहीं करना चाहता । संभव नहीं है मेरे लिये। ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ इसलिये मुझे ज्ञान दें तो ऐसा दें, सौंदenas दे दे ऐसija दें, पौरूष दे तो ऐसा दें कि फिर मेरा जैसा बस मैं ही हूँ, मैं बता सकूं कि पु पुरूष सौन्दacionय कैस होत होत है।।।।। बत gusta रावण ने कह siguez
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इसमें लक्ष्मी का वर्णन है, जगदम्बा का वर्णन होना चाहिये था। यह ज्ञान, वह siguez इतना अत्याचार हम पर हुआ और इतने हम नपुंसक बने रहे कि उस अत्यendr
आप शांत रहें मगर आपकी आँख में वह अंगाisiones आप जीवन में कमजोर नहीं रहें दरिद्र नहीं रहें, गरीब नहीं रहें, भिखारी नहीं रहें, रोज सुबह-सुबह जाकर उधार नहीं मांगे।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। कर्जा आपके ऊपर नहीं हो। आपकी दुकान हो तो ऊँची से ऊँची दुकान चले। आप नौकरी करें तो एक क्षण अफसर को देखें तो अफसर कहे कि बोलो क्या करना है। आपका प्रमोशन करना है, लो यह प्रमोशन रहा। वह आपकी आँख में तेज हो। वह क्षमता आप में होनी चाहिये। वैसा बनाना चाहता हूँ आपको, सामान्य नहीं बनाना च॥ा च॥ा
ऐसे आप बने, पूर्ण पौरूषवान बनें, अद्वितीय धनवान बने यौवनवान बने ऐसा ही आशीर्वाद देता हूँ और आप ऐसी अद्वितीय सिद्धि प्राप्त कर सकें और उसके माध्यम से क्षमतावान और तेजस्विता युक्त बन सके, ऐसा मैं हृदय से आपको आशीर्वाद देता हूँ कल्याण कामना करता हूँ और -
दीर्घायुश्च सदैव पूर्ण भवतिं,
ज्ञानं च सविता सदैव भवता पूर्णोपि रूद्रोपमां ।
लक्ष्मीर्वै भवतां श्रीयं च सवितां देवज्ञ देतथ
पूर्णत्वं भव पूर्ण पूर्ण भवितां पूर्णत्व
मुझे जीवन में कुछ ऐसा मंत्र भगवान शिव दें कि मैं पूर्ण कहला सकूं, मेरे जीवन में दरिद्रता नहीं हे क्योंकि सबसे बड़ा दुःख जीवन क दgunaguna है है ग क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें ें. सूझता नहीं है।
और यह ज्ञान भगवान शिव द्वारा उस जगदम्बा के सामने प्रकट किया, जो कि अपने आप में दस भुजाओं से युक्त है और सिंह वाहिनी है और इस ध्यान के माध्यम से रावण ने उस साधना को प्रारंभ किया और उसमें पूर्णता प्राप्त की। आप भी अपने जीवन में ऐसा कecerg
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
Sr. Kailash Shrimali
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