caracteristicas del ajo
लहसुनिया केतु का रत्न है, इसे सूत्रमणि भी कहा जााा म sigue ज baster, इसे ध धίopaendoण करने से से शाocar lado दु sigículo सम सम सम।।।। हो जija है और वी sig uto, तेज वृद है। यह रत्न दमा अथवा सांस सम्बन्धित रोगो में लाभहैर लहसुनिया आध्यात्मिक गुणों में विकास करता है और केतु के सभी प्रकार के दोषों से निवृत्ति होती।।।।।।।।।।।।।।।
beneficios del ajo
लहसुनिया जीवन में उत्तम प्रभाव करने में समर्थ हाथहा इसे धारण करने से संतान सुख वृद्धि, सम्पत्ति, स्थिर लक्ष्मी एवं आनन्द, सुख-शांति में वृद्धि होती।।।।।।।।।।।।। भूत-प्रेत का भय इसे धारण करने से समाप्त हो जातै ॹ यह प्रबल शत्रु संहारक रत्न है, जिसे धारण करने से भी भी प्रकार के शत्रु निस्तेज व पराजित होते हैं।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं
¿Quién debería usar ajo?
जिसकी कुण्डली में केतु ग्रह दूषित, दुर्बल या अस्त हो, उसे लहसुनिया धारण करना चाहिये। यदि केतु ग्रह की महादशा या अर्न्तदशा चल endramente केतु से सम्बन्धित दोष से मुक्त होने के लिये भी इस ivamente त को धारण किया जाता है।।।।।।। शुभ अथवा सौम्य ग्रहों के साथ यदि केतु पीड़ा हो तो लहसुनिया धारण करें।
मंत्रों द्वारा प्रagaण प्रतिष्ठित लहसुनिया रत्न न्यौछावर रaga 5100/-
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