इस प्रकार पुरूष के जीवन में संस्कारवान, श्रेष्ठ आचरण परिवार को संभालने वाली, सम sigue तभी उसके गृहस्थ जीवन में रस, आनन्द व प्रसन्नता का वातावरण बन पाता है।।।।।। कहने क mí
सामान Estamente जिससे स्थितियां बड़ी दुरूह बन जाती हैं। अधिकांश गृहस्थ जीवन य siguez से घिर जाता है। पति-पत्नी का सम्बन्ध भौतिक सुखों पर आधारित ह। गा गྯ रसना और वासना सम्बन्धी सुख करना मानो युग धर्त हॾ जिसके कारण परिवार में प्रेम, स्नेह, आत्मीयता, समर्पण भाव, त्याग की भावना समाप्त ही गई।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पति-पत्नी का सम्बन्ध पवित्र, श्रद्धा, विश्वास, सहयोग एवं सम्मान पर आधाtern. जिसके कारण अधिकांश गृहस hubte
उकutaros सौभाग्यशक्ति का तात्पर्य यही है कि जो भी पति-पत्नी के बीच मतभेद और असामंजस्य की स्थितियां हैं, वह समाप्त होकर पूर्ण एकात्मक भाव से सम्बन्ध स्थापित हो सके और गृहस्थ जीवन सभी सुखों आत्मिक प्रेम, एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान, अपनत्व की भावना , त्याग, सहनशीलता, धैर्य, सौम्यता, सौन्दर्य से आपूरित हो सके।।।।।।।।।।
गृहस्थ सुख सौभाग्य सौन्दरorar इसके साथ ही संतान सुख में वृद्धि होती है और किसी भी आकस्मिक घटना-दुर्घटना से सर्व ¢ क भी होती।।।।।।।।।।।।।।।।।। इस दीक्षा के माध्यम से सदा सन्मारorar.
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