यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है, कि संसार के प्रत्येइइेदे भगवती लक्ष्मी की साधना, आराधना और उपासना हग़ती, ैैैैै अलग नाम से हो अलग रूप में हो न्तु लक्ष्मी की मान्यता तो सम्पूर्ण है ही, क्योंकि बिना लक्ष्मी के तो जीवन का आधारभ्रभ् ही समाप्त हो जायेगा।
La vida tiene dos caras: espiritual y material.
आध्यात्मिक जीवन का आधार भी लक्ष्मी ही है, क्योंकि अध्यात्म जीवित रहेगok तो मनुष्यता भी जीवित रहेगी। इसके मूल में लक्ष्मी ही तो है।
ठीक इसी प्عaga से सम्पूर्ण भौतिक सम्पदा की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी ही।।।।।।।।।।।।।।।।।। यह अलग बात है, कि आज विश्व में अधिकांश व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से घिरे हैं, जिनके पास भौतिक जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुओं का अभाव ही रहता है, पर इसका कारण क्या है, मनुष्य को अपनी अज्ञानता त्याग कर इसके मूल में जाना ही पड़ेगा ।
यह बात तो निर्विवाद सत्य है कि मात्र परिश्रम से में में पूर्णता और सम्पूर Peck नहीं सकती।।।।।।।।।।।। एक कार्यशील व्यक्ति दिन भर परिश्रम कर शाम को सौ-दो सौ ही कमा सकता है और इतने धन से उसके जीवन के अभाव समाप्त नहीं होते है, क्योंकि परिश्रम धन प्राप्ति का केवल एक भाग है। धन की प्रagaप्ति तो दैवी-कृपा या भगवती महालक्ष्मी की साधना से ही पूर्णतया सम्भव।।।।।।।।।।।
परन्तु जो व्यक्ति अहंकार से ग्रसित है, जो व्यक्ति नास्तिक है, जो व्यक्ति देवताओं की साधनानते को, आर marca को, को प हे व व ते ते ते ते अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते ते अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व ते ते ते ते ते ते व व व ते ते. उनके जीवन में सब कुछ होते हुये भी कुछ नहीं होत mí यह ध्रुव सत्य है कि वह अपने जीवन में उस आननutar
कुछ व्यक्ति जो जीवन में धन सम्पदा से युक्त होते है और वे ये बैठें कि कि लक्ष्मी तो उनके पί आनी ही है वे भूल कatar यह लक्ष्मी तो निश्चय ही उनके द्वाisiones साधना वह क्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य देवताओं को भी विवश कर सकता है कि वे सम्पूisiones
देवाण्भवायतानेन ते देवा भवायन्तु वः।
Emoción mutua: Crédito: Paramvaapsyath.
हे मनुष्य! तुम साधना यज्ञ, पूजन, ध्यान द्वाisiones देवत sigue
प्रत्येक व्यक्ति वह चाहे गृहस्थ जीवन में हो, भौतिक जीवन में हो, संन्यासी हो, योगी हो, चाहे हिमालय में विचरण करने वाल va हो ।guna की की कृप कृप क उसको तो तो लेन ही पड़त हो ।guna की की की कृप उसको उसको तो तो timo जो व्यक्ति इस कटु सत्य को समझ लेता है, जो इस बात को समझ लेता है, कि जीवन का आधारभूत सत्य भौतिक सम्पदा के माध्यम से ही जीवन में पूर्णता और निश्चिन्तता आ सकती है, वह लक्ष्मी की आराधना, लक्ष्मी की अर्चना और लक्ष्मी की कृपा का अभिलाषी जरूर होता है।
कुंकुम, अक hubte साधना तो इससे बहुत ऊँचाई पर है, जहाँ मंत्र जप के माध्यम से हम देवताओं को भी इस बात के लिये विवश कर देते हैं, कि वे अपनी सम्पूर्णता के साथ व्यक्ति के साथ रहे, उसकी सहायता करे, उसके जीवन के जो अभाव है, जो परेशानिया है, जो अड़चने हैं, जो बाधाये है उन्हें दूर करे, जिससे उसका जीवन ज्यादा सुखमय, ज्यादा मधुर, ज्य Chr.
इसमें कोई दो राय नही है, कि जीवन में महाकाली और सरस्वती की साधना भी जरूरी है, क्योंकि भगवती काली की साधना से जहाँ जीवन निष्कंटक और शत्रु रहित बनता है, वहीं महा सरस्वती साधना के माध्यम से उसे बोलने की शक्ति प्राप्त होती है, उसका व्यक्तित्व निखरता है, वह समाज में सम्माननीय और पूजनीय बनता है। मगर यह सब तब हो सकता है-
यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः, सः पण्डितः स श्थ॰ गुणज्ञः।
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जिसके पास लक्ष्मी की कृप mí का प्रयत्न करते है।
जिसके पास लक्ष्मी की कृपा होती है है, वह अपने आप अच्छा वक्ता बन जाता है- 'सः वक्ता, स च माननीयः—' में में उसक सम सम favor
भृर्तहरी ऋषि कह रहे हैं- 'सर्वे गुण siguez
, आवश्यक है?
हमारे जीवन में अन्न की नितांत आवश्यकता है, जल की नितांत आवश्यकता है, प्राणवायु लेने की नितांत आवश्यकता है, किन्तु केवल इन तीनों से मनुष्य जीवन सुमधुर नहीं बन सकता है, जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिये लक्ष्मी की साधना भी नितांत आवश्यक है। जो इस सत्य को नहीं समझ सकते, वे जीवन में कुछ भी नहीं समझ सकते। जो व्यक्ति जितना जल्दी इस तथ्य को समझ लेता है, वह इस बात को समझ लेता है कि जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिये लक्ष्मी की आराधना, लक्ष्मी का सहयोग आवश्यक है और ऐसा ही व्यक्ति जीवन में सही अर्थों में पूर्णता की ओर अग्रसर हो सकता है। यह जरूरी नहीं है कि कोई योगी, साधु, संन्यासी या साधक ही लक्ष्मी की साधना करे, च्ष्मी की सaños गरीब हो कोई भी लक्ष्मी की साधना से ही जीवन में पूर्णता, सौभाग्य, सुख और सम्पन्नतί प् razón कर सकता है।।।।।।।।।।।।।।।।।।
चाहे हम रूद्र की साधना करे और चाहे हम ब्रह्मा की साधना करें, चाहे हम इन्द्र, मरूद्गण, यम और कुबेर की साधना करे, किन्तु वैभव और धन की अधिष्ठात्री देवी तो भगवती लक्ष्मी ही है, मात्र लक्ष्मी की साधना के माध्यम से ही व्यक्ति अपने अभावों को दूर कर सकता है, पू¢ की कीatarir है, मंदिर, धर्मशाला, तालाब, अस्पताल का निर्माण कर सकता है और समाज सेवा के माधutar भगवती लक्ष्मी की साधना से जहां व्यक्ति सutar
साधना प्रमternan
महालक्ष्मी की साधना, मंत्र-जप अथवा अनुष्ठान को 24-10-2022 अथवा किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के किसी बुधवा rodendr
स sigue "
साधक साधना में कमल या गुलाब के पुष्प का प्रयोग जन अवश्य करें।
किसी भी प्रकार की भगवती महालक्ष्मी से सम्बन्धित साधना सम्पन्न करने के लिये ऐश्वर्य महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करने और उसके सामने साधना, उपासना या अनुष्ठान सम्पन्न करने से निश्चय ही सफलता प्राप्त होती है, क्योंकि यह यंत्र अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है, इसमें सहस्त्र लक्ष्मियों की स्थापना और कीलन होता है, जिससे की साधक के घर में स्थायित्व प्रदान करती हुई लक्ष्मी स्थापित है।।।।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है eléctrico eléctrica। electrónico है है है। यहां दिये तीन प्रयोगों की सामग्रीयां इसी पद्धति से निर्मित हैं।।
ऐश्वenas लक्ष्मी माला से मंत्र जप करना ही ज्यादा उचित माना गया है।।।।।।।।।
इस प्रकार की साधना व्यक्ति अपने घर में या व्यापापा॰ न में अकेले या पत्नी के साथ सम्पन्न कर सकता है।
sadhana vidhaan
स्नान आदि नित्य क्रियाओं को सम्पन्न कर ले और पीले वस्त्र धारण कर, अपने पूजा स्थान में आसन आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुँहरके बैठ ज।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. अब अपने सामने लकड़ी के ब siguez मध्य ढेरी पर अर्थात किसी भी तरफ से गिनने पर पांचवी ढेरी पर एक पात्र रख उसमें ऐश्वर्य महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करे और बाजोट के दूसरी ओर नौ चावलों की ढे़रियाँ जमीन पर बनायें और उन पर तेल के नौ दीपक लगाये, दीपक की लौ साधक की ओर होनी चाहिये।
santificación
ॐ अपवित्रः पवित्रे वा सर्वाऽवस्थां गतोऽपि वा । यः
स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाहृाभ्यन्तरः शुचिः॥
इस मंत्र को पढ़कर अपने ऊपर तथा सभी पूजन सामग्री पecer
Aachamán
Om Keshavaya Namah. Om Narayanay Namah. Om Madhavaya Namah.
Luego lávese las manos.
संकल्प- साधक दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प
ॐ विष्णु र्विष्णु र्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरूषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे अष्टाविंशति कलियुगे जम्बूदीपे भारतवर्षे(अपना गांव, जिला का नाम उच्चारण करे) संवत् 2079 कार्तिक मासि दीपावली समये कृष्ण पक्षे अमुकतिथौ (तिथी का उच्चारण करे) अमुक बासरे (वार का उच्चारण करे), निखिल गोत्रोत्पन्न, अमुकदेव शर्माऽमं (अपना नाम उच्चारण करें) यथा मिलितोपचारैः श्री कुबेर धनदा ऐश्वर्य हिûendr (जल भूमि पर छोड़ दें)
– साधक
हाथ में अक्षत कुंकुम
(5 बार उच्चा llegar.
(5 बार उच्चारण करे और सिद्धि चक्र के ऊपर अर्पित करें) इसके पश्चात् साधक संक्षिप्त विधि-विधान स्वरूप यंत Davelar अब साधक ऐश्वर्य लक्ष्मी माला से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र जप 9 दिनों तक नित्य सम्पन्न करें-
मंत्र जप के उपरांत समर्पण करें और गुरू आरआी व लथथष रती सम्पन्न करे।
हाथ में पुष्प लेकर -
Mantrahinam Kriyahinam Bhaktihinam Sureshwari.
Yatpujit Maya Devi! En el sentido perfecto.
Sarvamangalmangalye Shiva Sarvarthsadhike.
Gauri Narayani Namostute que se rinde ante Trimbak.
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो
गुरूः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमृृ
साधना समाप्ति उपर marca माला को किसी पवित्र जलाशय में विसर्जित साधना काल में शुद hubte
इस साधना में सफलता से साधक के जीवन में धन, यश, मान, पद, प्रतिष्ठा औecer. व sigue.
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