शांति, सुख और शीतलता जो व्यक्ति बाहर ढूंढ़ता है, वस्तुओं में ढूंढ़ता है उसे अपने आप अन्दर मिल जायेंगे। संसार में, संसार के पदाisiones इन वस्तुओं से आपको सुविधा मिलेगी, थोड़ी आसानी हो जायेगी। कभी-कभी सुविधा के बजाय दुविधा हो जाती है। ये सद्गुण आपके अन्दर जग गये तो संसार तो ऐसा ही ¢ हेग लेकिन लिये लिये सुखदायी बन जायेगा। यह संसार सुख देनेवाला बन जायेगा। जब आप बहुत पû ेश होते हैं तब आपको संसार की चीजें अच्छी नहीं।। अन्दर चिन्ता हो, जब शरीर में रोग हो, घर में कलह हो, व्यापाículo में हानि हो जाये, समाज में सम्मान के बजाय अपमान होने लगे तो के अन अनίaga पीड़ होने।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मन दुःखी हो जाता है। उस स्थिति में अगर आपको कोई बगीचे में लाकर खड़ा कर दे और कहे कि कितने कितने सुन्दर फूल खिले हुये हैं तो आप कहेंगे मुझे अच अच्छे नहीं लग हे। आप कोई कहे कि यह संगीत सुनो कितन mí क्योंकि आपके अन्दर दुःख है, पीड़ा है। सामने कोई अच्छा भोजन, स्वादिष्ट भोजन रखे, आप खाएंगे, जिस ख mí
यदि आप अन्दर से ही अपने आपको ठीक ¢ खन सीख जाये तो फिर कोई व्यक्ति आपको ेत के टीलों पर ले जाकár. रेत के टीलों पर ही कविता और गीत याद आने लगेंगे। यदि आप अन्दर से खुश नहीं है, अन्दर की शांति नहीं है, सुख नहीं है, चैन नहीं है, फिर संगीत तत्व की नहीं होगी।।।।।। हम जितना बाहर से, समाज से प्रभावित होते हैं उससे कहीं अधिक अपने अन्दर से सुखी और दुःखी होते।।।।।।।।।।।।।।
व्यक्ति सारे संसार का सामना कर लेता है और बहादुर बनकरहता है, लेकिन घर में हार जाता है।।।।।।।।।।।।।।। बाहर की स्थितियों का सामना कर लेता है, पर घर के अन्दर की स्थितियों का स mí. व्यक्ति बाहर की कमजोरियों से इतना नहीं टूटता है अन्दर की कमजोरियां व्यक्ति को तबाह कर देती हैंी घर में कलह है, अन्दर मन में कोई दुःख लगा हुआ है, कोई शोक लगा है उससे व्यक्ति जी नहीं पाता। विशेष बात यह है कि हर व्यक्ति प्यार का भूखा है। हर व्यक्ति चैन चाहता है, हर आदमी सुख चाहता है, शांति चाहता है।।।।।। परेशानी कोई भी नहीं चाहता। दुनिया में उलझना कोई भी नहीं चाहता। हर आदमी यह चाहता है कि कोई तो ऐसा हो जो उसे समझे। दुःख इस ब siguez बरसों तक साथ रहने वाले पति-पत्नी एक-दूसरे को नहीं समझ पाते। नासमझी के कारण रिश्तेदार एक-दूसरे को नहीं समझ थाापा कितना दुःख होता है।
थोड़ी सी अनुकूलता मिल जाये फिर देखिये। आप एक इसी उदाहरण से समझिये। किसी महिला से आप कहो की आप दस किलो वजन उठाकर चलो तो श mí परन्तु पन्द्रह किलो वजन क mí वह आराम से चलती जायेगी क्योंकि वह बोझ, बोझ है हथू उसे तो यह अनुभव होगा कि यह भी उसके शरीर का अंग है॥ वहां प्रेम है, वात्सल्य है, इसलिये बोझ नहीं लगथता कभी-कभी आप देखते है कि विपरित स्थिति में आपसे दो घंटे वह काम कराया जाये जो आपको पसन्द नहीं है तो आप दो घंटे में ही थक जायेंगे, परन्तु यदि आपको वह काम पसन्द आ जाये तो वही काम आप आठ घंटे, दस घंटे करते रहेंगे फिर भी नहीं थकते। जबकि वह काम उससे भारी है। अन्दर की अनुकूलता यदि है तो बाहर की परिस्थिति बिगड़ी नहीं लगती। व्यक्ति बाहर की स्थिति का सामना कर लेगा। यदि उसकी अन्दर की स्थिति टूटी हुई है तो फिर बाहर थोड़ा भी प्रतिकूल हो तो बर्दाश्त नहीं प पाता।
उपenas गुणों को को यदि हम गांठ में बांध लें, अपना ले, तो वे जीवन की यात्रaga में हमारे पाथेय है।।।।।।।। वह भोजन है जो आपके क siguez विदुर जी कहते हैं- सत्यम् दानम्। व्यक्ति को सत्यता अपनानी चाहिये। व्यक्ति को बनावटी जीवन से बचना चाहिये। आपकी जिन्दगी जितनी बनावटी होगी, कृत्रिम होगी, दिखावटी होगी, उतने ही आप अशांत रहेंगे। जितने सरल-सीधे-सच्चे बनकर चलोगे उतनी ही शांगि हो झूठा व्यक्ति विश्वास को तो खो ही देता है, अपने मनोबल को, मन की शक्ति को भी कमजोर कर लेता है।।।। झूठ आपकी मन की शक्ति को कमजोर करता ही है है, साथ ही झूठ बोलोगे तो याद रखनok पड़ेगा कि कब क्या बोला था? बार-बार याद रखनok पड़ता है कि व्यक्ति से क्या कुछ बोला था, अगली बार मिलने पर वही दोहर marca पड़ेगija, नहीं तो झूठ पकड़ा जायेगा।।।
सत्य याद नहीं रखना पड़ता। सोते हुये व्यक्ति को भी अगर आप जगाकर पूछे तो सच ही बोलेगा। झूठ के लिये सोचना पड़ता है। झूठ पकड़ने की जो मशीनें बनाई गई हैं वे व demás के के की धड़कन की गति बत बताती है। झूठ बोलते समय हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। झूठ बोलते समय आदमी थोड़ा घबराता है। मसल में उस समय थोड़ा-सा दबाव बढ़ने से घबराहट का निशान आ जाता है। यह निशान हृदय की धड़कन बताता है। झूठ बोलते समय हृदय पर असर पड़ता है, क्योंकि झूठ को तो य sigue. सत्य के समय हृदय शांत रहता है।
जिससे वे वचनो में भी यही शब्द सबसे महत्त्व का है कि सत्य शक्ति है, सत्य पिता परमेश्वर को पसन्द है।।।।।।।। सत्य बोलने वाला, सत्य पर चलने वाला ही पिता प¢ जो झूठ और छल करने वाले लोग है, वे बाहर रह जायेंगे, वे पिता को पसन्द नहीं।।।।।।।।।। प्रत्येक धर्म में, मजहब में, सम्प्रदFय में सब जगह एक ही बात कही गयी है कि मनुष्य की बड़ी बड़ी शक्ति सत्य का आधार है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है हैija सरलता से अपनाइये। अशांति इसलिये है कि व्यक्ति झूठ बोलता है, दिखावा करता है, बनावटी है, कृत्रिमता अपनाता है, जितना वह है नहीं उससे उससे ज्यादा कुछ दिखाई देना चाहता है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. व्यक्ति की कमजोरी है कि जितना ज्ञानी नहीं होता उससे अधिक का प्रदega करता है, जितना धनी नहीं है उससे अधिक क • जम जम va है है।।। जितने बड़े पद पर नहीं बैठा, उससे अधिक लोगों के ऊपर रोब, अधिकार जमाता है। पद से नीचे उतर जाये तो फिर उसकी कोई कीमत नहीग तह॥ धनी का धन छीन लिया ज mí धन छीना गया कहानी खत्म हो गई। दुनिया में ऐसे व्यक्ति भी हैं जिनके पास कुछ भी आये उनकी मस्ती में नहीं आती आती, वह उसी तरह से मस्त रहते हैं आनन्दित हते है।।।।।।।।।। है है है है है है है बस उन्हीं को आप पकड़िए क्योंकि संसार तो संयोग और वियोग का केन्द्र है।। यहां कुछ मिलेगा, कुछ छूटेगा। कुछ भी यहां स्थायी रहने वाला नहीं है। जीवन में एक समय ऐसा आता है कि आप मिट्टी को हाथ लगाते है वह वह सोना बनती है औág. कुछ समय ऐसा होता है कि आप चालाकी, चतुराई नहीं करते हैं तो भी आगे बढ़ते जाते है।।।।।।।।।। कभी आप पूरी चालाकी, चतुराई और अपनी बुद्धिमता को दिखाये फिर भी सफल नहीं हो पाते। इससे स्पष्ट है कि कहीं किसी ओर के हाथ में भी सत्ता है, हमारे जीवन की बागड़ोर किसी दूसरे के हाथ में।।।।।।।।। कोई और है जो संसार को संभाले बैठा है।
जिनकी प्रसन demás को, जिनकी मस्ती को, संसार की विघ्न-बाधाये छीन सकें सकें, वही सच्चे अमीर लोग हैं।।।।।।।।।। यद्द्पि उनके पास दुनिया का वैभव कुछ भी नहीं है फिर भी ऐस mí वास्तव में तो दौलत अपने अन्दर है, महल भी अपने अह्तন्त२ै व्यक्ति बाहर से राजा नहीं बनता, अन्दर से बनता हैहै आज से हम सच्चे ¢ बनेंगे, अब तक हम झूठे राजा बने हुये।। यह जीने का, सुखी बनने का अच्छा ढंग है जिसे सीखन mí
ama a tu madre
Shobha Shrimali
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