हर साल यह एकादशी माisiones इस वर्ष यह तिथि 03 दिसम्बर को है। इस एकादशी का महत्व इसलिये भी है, क्योंकि इसी दिन भगव mí इसलिये इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाी शास्त्रों में बताया गया है कि गीता जयंती यानी मोक्षदा एकादशी दिन भगवत भगवत गीता की पूजा करके आरती करनी च fl. इससे महापुण्य की प्राप्त होती है।
पौराणिक कथ mí युद्ध शुरू होने से से पू sig धनुellas धनु sigículo अ sig uto ने अपने अपने सañosendoथी श्रीकृष - वहाँ ज sigue.
जब श्रीकृष्ण ने पांडवो के सबसे शक्तिशाली योद्धा को यूँ विचलित होते देखा तो उन्होंने गीता का ज्ञान देना शुरू किया किय va श्रीकृष्ण अर्जुन को भगवत गीत mí
दोनों सेनाओं के खड़े खड़े होकर श्रीकृष्ण ने लगभग 40 मिनट तक गीता का पाठ अर्जुन को दिया। यह मार्गशीर्ष मास की शुक्ल एकादशी का ही दिन था। तब से इस दिन की महत्ता तथा गीता के प्रagaदुर sup.
गीता मनुष्य को मानवीय जीवन के उन पहलुओं के बारे में बतलाती है यदि यदि मनुष्य समझ जाये तो उसक mí यह आत्मा के परमात्मा से मिलन, परमात्मा के अनंत स्वरुप, जीवन-मृत्यु के रहस्य, पुनर्जन्म की व्याख्या, सुख-दुःख का पर्याय, मोह-माया का प्रभाव, कर्म-फल का खेल, भाग्य-प्रारब्ध का बनना इत्यादि कई गूढ़ बातों को सरल शब्दों में समझा देती है।
वही गीता के संदेश को ग्रहण करके यदि मनुष्य उसी मारorar इसके बाद वह सदा के लिये परम seaत haber इसलिये गीता जयंती के दिन को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।।।।।
शास्त् Prouco भगवत गीता में अठारह अध्याय हैं। इनमें ग्याisiones
इस अध्याय में बताया गया है कि अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण को संपूर्ण ब hub. श्रीकृष्ण में ही अágamientos इस अध्याय में भगव siguez इसलिये इस अध्याय का नियमित पाठ बड़ा ही उत्तम फलदायी माना गया है। श sigue.
ऐसे व्यकorar गीता के सार को जो समझ जाता हैं, उसे मोक्ष प्रagaप्त करने से कोई नही रोक सकता।
गीता का अठारवां अध्याय मोक्ष संयास योग के नाम से जाना जाता है।।।।। जो व्यक्ति समय के अभ siguez
हिन्दू धर्म का सार उसके वेद, पुराण व उपनिषद है। श्रीकृष्ण ने जो भगवत गीता का पाठ किया था वह इन्ही समस्त वेदों और उपनिषदों का सार है।।।।।।।। अर्थात जो सभी वेद और उपनिषद हमे शिक्षा देते हैं उसी की व्यendr उदाहरण के तौर पर यदि समस्त वेद और उपनिषद गौ माता हैं तो गीता उस गौ माता से प्र sigue.
इस वर्ष मोक्षदा एकादशी युक्त गीता जयंती पर्व पर एकादशी का व्रत करते हुये भगवान विष्णु व अपने ईष्ट सद्गुरूदेव जी की पूजा, मंत्र जप, साधना सम्पन्न कर परिवार के सभी सदस्य श्री भगवत गीता का पूजन व भगवत गीता के पठन के साथ गुरू आरती का भी पाठ करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। साथ ही भगव siguez सद्गुरूदेव की चेतना, ज्ञान व आशीर्वाद से निरन्तर क्रियाशील रहते हुये सुस्थितियों को प्राप्त कर सकते।।।।।।।।।।।
गीता जयंती मन siguez व्यक्ति को कभी भी कोई काisiones इसलिये उसे बस कर्म करते रहनok चाहिये और फल की इच्छा का त्याग कर देना चाहिये। जो व्यक्ति निरन्तर कर्मशील रहते हुये अपने ईष्ट व सद्गुरू क fl.
Es obligatorio obtener Gurú Diksha del venerado Gurudev antes de realizar cualquier Sadhana o tomar cualquier otra Diksha. Por favor contactar Kailash Siddhashram, Jodhpur a Correo electrónico , Whatsapp, Teléfono or Enviar para obtener material de Sadhana consagrado, energizado y santificado por mantra, y orientación adicional,
Compartir vía: