त्रिदेव महर्षि अत्रि acer द sigue "
साथ ही पुराणों में यह भी वर्णन मिलता है कि जब वेद नष्टप्राय हो गये, सत्ययुग होने पर भी कलियुग की कला छाने लगी, धर्म में शैथिल्य आया, अधर्म की अभिवृद्धि होने लगी और धर्म का ह्रास होने लगा, ब्राह्मणों में नित्य नैमित्तिक कर्म, वेद अध्ययनादि में अरूचि होने लगी, ऐसे विषम समय में वेदों के अस्तित्व को पुनः स्थendr. महर्षि अत्रि एवं महासती अनसूया के यहां भगवान दत्तात्रेय ने अवतार लेकर स्वधर्म की स्थापना की, श्रुतियों का उद्धार किया, सबको अपने-अपने कर्तव्य कर्म के प्रति प्रेरित किया, सामाजिक वैमनस्य का निवारण किया और भक्तों को त्रि-ताप से मुक्ति का मार्ग बताकर सच्चा सुख दिलवाया। भगवान दत्तात्रेय के अवतार के विषय में शिव पुराण, स्कन्द पुराण, भविष्य पुराण, मार importaडेय पुराण, वायु पुर sigue
जगत् के प्राणियों के दुःख एवं ताप के निवारण हेतु भगवान दत्तात्रेय ने अपनी स्वेच्छा से इस जगत् में आविर्भूत होकर लीला की और जब तक इस जगत् में दुःख एवं ताप विद्यमान रहेंगे, तब तक भगवान दत्तात्रेय ने अपना देह विसर्जन न करने का संकल्प लिया। वे उसी देह और उसी भाव में अवस्थित रहेंगे। महाप्रलय पर्यन्त उनका दीर्घ अस्तित्व माना गहै वे सदा विदutar.
कहा जाता है कि भगवान श्री दत्तात्रेय वाराणसी में नित्य प्रातः गंगा स्नान करते हैं, कोल्हापुर में नित्य जप करते हैं, माहुरीपुर में भिक्षा मांगकर भोजन करते हैं और सह्याद्रि की कन्दराओं में दिगम्बर वेश धारण कर शयन करते हैं। वे इस प्عaga प्रतिदिन प्रagaतः काल से रात्रि तक लीला रूप में विचरण करते रहते हैं।।।।।।।।
कहा जाता है कि व्यक्ति अपने जीवन में कहीं भी कुछ भी ज्ञान प्रija कर सकता है।।।।।।।।। कोई भी व्यक्ति, वस्तु, जीव-जन्तु से जीवन उपयोगी सीख प्र sigue. फिर वो चाहे एकलव्य की तरह मिट्टी की मूरत ही कनहॾोोो ज्ञान के इसी महत्ता को प्रमाणित करते हैं भगवान दत्तात्रेय जो कि स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे, फिर उन्होंने अपने में कीट कीट पक पक औár. भगवान दत्तात्रेय ने जिनके माध्यम से भी ज्ञान अर्जित की उनमें से कुछ निम्न हैं-
Tierra- पृथ्वी पर लोग कई प्रकार के आघात करते हैं, कई प्रकार के उत्पात होते हैं, कई प्agaentas के खनन क कारorar.
puta- पिंगला नाम की वेश्या से दत्तात्रेय ने सबक लिया कि केवल पैसों के लिये नहीं जीना चाहिये। पिंगला धन की कामना में सो नहीं पाती थी। जब एक दिन पिंगल mí
Paloma- कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे बच्चों को देखकर खुद भी जाल में जा फंसता है।।।।।। बहुत ज्यादा स्नेह दुःख की वजह बनती है।
Sol- जिस तरह एक ही होने पर भी सूर्य अनेक माध्यमों से अनेकों रूप में दिखाई देते।।।।।।।।।। इसी प्रकार आत्मा भी अनेक रूपों में दिखाई देती है
Aire- जिस प्रकार अच्छी या बुरी जगह पर जाने के बाद वायु का मूल रूप स्वच्छता ही है।।।।।।।।।।।। उसी तरह अच्छे या बुरे लोगों के साथ रहने पर हमें अपनी अच्छाइयों को छोड़ना नहीं चाहिये।
Ciervo- हिरण उछल-कूद, संगीत, मौज-मस्ती में इतना अधिक खो ज mí. मनुष्य को भी मौज-मस्ती में इतन mí
Mar- जीवन के उतार-चढ़ाव में भी खुश और गतिशील रहना चइाह
Cometa- जिस प्रकार पतंगा आग की ओर आकर्षित होकर जल जातै ॹ उसी प्रका rod "
Cielo- Dattatreya aprendió de Akash que uno debe mantenerse alejado del apego en todos los países, épocas y situaciones.
Agua- Siempre debemos permanecer puros como el agua.
Fuego- कैसे भी हालात हों, हमें उन हालातों में ढ़ल जानााह जिस प्रकार आग अनेक लकडि़यों के बीच रहने के बाद भी एक जैसी नजर आती है।।।।।।।
luna- आत्मा लाभ-हानि से परे है। वैसे ही जैसे घटने-बढ़ने से भी चन्द्रमा का चमक और शीतलता बदलती ही नहीं है, हमेशा एक-जैसे रहती है।।।।।।।।।।।। आत्मा भी किसी भी प्रकार के लाभ-हानि से बदलती नही नही
Araña- जिस प्रकार मकड़ी स्वयं जाल बनाती है, उसमें विचरण करती है और अंत में पूरे जाल को ही निगल निगल ज है है।।।।।।।।।।।।।।। ठीक इसी प्عaga भगवान भी माया से सृष्टि की रचना करते हैं, संचालन करते हैं और अंत स्वयं ही उसका संहार भी करते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं eléctrico eléctrica
escarabajo इससे यह सीख मिलती है कि अच्छी हो या बुरी, जिस सोच मन मन लगायेंगे मन वैसा ही होगा।
abejorro- जहां भी सार्थक बात सीखने को मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिये। जिस प्रकार भौरें अलग-अलग फूलों से पराग ले लेतै ंै ंै
भगवान दत्तात्रेय के इन विचारों से व्यक्ति अपने को को परम कल्याण की ओर अग्रसर कर सकता है। मानव कल्याण के लिये पुनः वेदों के अस्तित्व को बचाने और आर्य संस्कृति, विलुपgon.
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