विश्वामित्र का जब इन्द्र से युद्ध हुआ, लड़ाई हुई तो विश्वामित्र ने कहा मैं नई सृष्टि ¢ दूंग दूंग। मगर मैं तुम्हाisiones क्योंकि वे एक उद्धर्ष ऋषि थे, ताकतवान ऋषि थे, क hublo
मैं जब यह बार-बार दोहराता हूँ कि आपको ताकतवान बनना है, क्षमतावान बनना है तो उसके पीछे विशgon. व क क एक श चिंतन है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है है है है. इस श्लोक में विश्वामित्र ने कहा है कि वह जीवन नहीं है जो ोते कलपते हुये बीते।।।।।।।।।।।।।।।। वह कोई जीवन नहीं है। वह जीवन भी नहीं है जो दुर्बलता के XNUMXाथ चाहे पुरूष हो, चाहे स्त्री हो। जीवन का एक-एक क्षण जिंदा और सजीव बीते। ऐसा बीते कि हम हुंकार भरें तो दूसरे को एहसास जब हम बोलें तो सामने वाला हतप्रभ हो सके। जब हम अपनी बात कहें तो स siguez
यह जीवन में सफलता के लिये अत्यन्त आवश्यक है। आप कोई बात कहें और सामने वाला माने ही नहीं, घर वाले नहीं माने, बेटे म म mí मन में हताशा, निर marca, कुंठा, चिंता, तनाव लिये जीते रहते हैं और वे आपको मृत्यु देते।।।।।।।।।।।।। मृत्यु आपको तनाव देती है, जो आप चाहते हैं वह हो नहीं पाता, इसलिये आप मृत्यु का वरण करने के लिये बाध्य हो जाते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं बाकी हमारे ऋषियों को तनाव था ही नहीं, हमें भी कोई तनाव है नहीं। मगर हम तनाव से मुक्त होने की क्रिया नहीं सीखे। विश्वामित्र ने सीखी।
इस श्लोक में वही बात कही गई है कि वैसा जीवन नहीं होन mí मैं घर पर बैठा था तो पंचाग देख रहा था। मेenas समय या तो शिष्यों के साथ व्यतीत होता है या शास्त्रों के साथ व्यतीत होता है।।।।।।।
मुर्खो का समय आलोचना करने में या एक दूसरे की निंदा करने में व्यतीत होता है और बुद्धिमानों का समय-कgon यguna, श विनोद गुनगुन मज व कवित कवित कवित कवित कवित कवित कवित कवित कवित है है है है पढ़ है पढ़ पढ़ पढ़ पढ़ पढ़ पढ़ पढ़ पढ़ है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है में में में में में में में में में में है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है— समय तो बीतता ही है। दोनों अपने-अपने ढंग से व्यतीत करते हैं। मैं पंचांग में देख रहा था कि यह जो पिछला कुछ ऐसा समय व्यतीत हुआ ऐसा क्यों हुआ और आगे क्या है?
आने वाला समय ऐस mí यह आधारहीन बात नहीं है। इसलिये पिछले दस हजार वर्षों में वह समय आ ivamente ह जो कि अष्ट ग्रही योग।।।।।।।।।।।। आठों ग्रह मिलकर एक स्थान पर खड़े होंगे। आठों ग्रह जब एक साथ मिले हैं— नौ ग्रह तो मिल ही ऀतसूे राहु केतु तो एक बिल्कुल विपरीत ध्रुव पर होते हतै एक ही व्यक्ति के दो हिस्से हैं एक धड़ है, एक सतर ह एक को राहु कहा गया है, एक को केतु कहा गया है और जब महाभारत काल में अष्टग्रही योग तो आधे से से ज demás. ठीक वैसा ही योग पंचाग में आगे आ ivamente ह और मैं सन्न सा रह गया उस पंचांग पर नजर पड़ने पर।
मैंने सोचtan क्या स्थिति बनेगी फिर, अगर प्रलय की की ternथिति बनती है तो शास्त् razón हम समाप्त हो गये तो भले ही पीछे कुछ भी रहा हो वह बेकार है फिर और आप मेरी बात जान लें किर महाभाभ युद पृथ razón होगा। किसी की भी बुदutar
मैं इसीलिये आपको कह ivamente हूँ आप ताकतवान बनें, आप शेर की तरह बनें, पौरूषवान बनें मैं कह ¢ हूँ मगर केवल सुनना और जीवन में उतार देना अलग-अलग क्रिया है। कहने से आप ताकतवान, साहसवान नहीं बन सकेंगे। कहने से तनाव मुक्त नहीं बन सकेंगे। समझाने से कुछ नहीं हो पायेगा। मैं अपने आपको कितना ही समझाऊं उससे तनाव मुक्त नहीं सकत सकता। उसको फेस करके, उसका सामना करके, उस पर हावी होऊंगा तब मैं तनाव से मुक्त हो पाऊंगा, तब मैं एकदम काल बन पाऊंगा, तब पौ पौί gas
कृष्ण, महाभारत में हुंकार भरते हुये कहते हैं- दुर्योधन मैं तुम्हें ललकार ¢ हूँ, ताकत है मे मेरे सामने आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ छिप कर मत खड़ा हो, मैं अकेला ही बहुत हूँ, तुम्हारे लिये, तुम्हारे पूरे कौरवों के लिये मैं बहुत हूँ।।।।।।।।।।।।।। जब वे हुंकार भरते हैं तो कौरव हतप्रभ हो जाते हैं, तीर धनुष सब छूट जाते हैं उनके हाथों से।।।।।।।।।। क्या है वह? ¿Está bien?
वह आ पाई क्योंकि वे पूर्ण यम पर अपने आप में हावे े मैं कृष्ण का उदाहरण बार-बार इस लिये देता हूं कि कृष्ण पूर्ण पौरूषवान थे, क्षमतावान थे, पूû थे थे।।।।।।।।।।।।। और कृष्ण ही नहीं सैकड़ों ऐसे योद्धा हुये हैं। कृष्ण इतना क्षमतावान, इतना ताकतवान था, वह पूरी कौरव सेना को ललकारे, वह सी बात नहीं सकती।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। एक आदमी खड़ा होकर हजार विद्वानों को ललकारे वह सी सी बात नहीं हो सकती।।।।।।।।।।।।। एक आदमी पूरे सम siguez चाहे मैं कितना भी समझा लूं फिर उससे कुछ नहीं साॕ साॕ
Y todos nuestros dioses están armados en sí mismos. Lord Shiva tiene un tridente. Vishnu tiene el Sudarshan Chakra. Durga tiene una daga, Kali tiene una espada. Indra tiene una maza. No hay personalidad sin armas y ¿cuál es la necesidad de armas para las deidades?
वह एक प्रतीक है कि व्यक्ति जब तक ताकतवान नहीं बनता, तब तक उच्च व्यक्तित्व नहीं सकता। व्यक्तित्व का निर्माण हो ही नहीं सकता, चाहे वह पुरूष हो, चाहे वह स demás. हो हो।।।।।।।।।।। अगर स्त्री है और उसमें क्षमता नहीं है तो परिवाgres का पालन नहीं कर पायेगी, बेटों पर नियंत्रण नहीं कर पायेगी, गलत र र पर जाते हुये पर नियंतर नियंत नहीं प razón प •।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।.
यदि आपमें ताकत नहीं है तो समाज में आप नगण्य से बन जायेंगे। तब उस समय आपको कुछ दिखाई नहीं देगा, आप सिर पकड़ कर बैठ जायेंगे जैसे सैकड़ो, लाखों लोग बैठते।।।।।।।।।।।।।। फिर आप शेर नहीं बन पायेंगे। फिर आप शिष्य भी नहीं बन पायेंगे। विश्वामित्र यही बात कह रहे हैं, यही महाभारत कह रहok है, यही रामायण कह ivamente है है।।।।।।। जब ¢ धनुष को को उठा रहे हैं और परशुराम आ रहे हैं तो लक्ष्मण कहते हैं ¢ र आप रूकिये। मैं परशुराम को बताता हूँ कि मैं क्या मैं रघुवंशी हूँ और ऐसे धनुष के हजार टुकड़े कर सकता हूँ इतनी ताकत है मुझमें।।।।।।।।
वह क्या बोल रहा था? वह कह रहा था हुंकार एक। उसका पौरूष बोल रहा था और सारी सभा सन्न थी हिम्मत नहीं पड़ रही थी। उस समय ¢ भी भी वहां था, उस धनुष को उठाने के लिये जनक के दár.
एक व्यक्ति ने परशुराम जैसे व्यक्ति ने, अपने फरसे से सारे शत्रुओं को समाप्त कर दिया। जब तक व्यक्ति में ताकत नहीं आयेगी, जब तक व्यक्ति में क्षमता नहीं आयेगी तब तक व्यक्तित्व बन नहीं सकत सकता। व्यक्तित्व तो बनेगा शत्रुओं पर हावी होने से। मगर आपके जीवन में शत्रु आप पर हावी हैं। आने वाला समय हर दम तनावग्रस्त ही होगा, दुःखमय ही होग mí अभी तक तो मृत्यु धीरे-धीरे चलती थी अब जो समय आ ivamente आप खुद देख लें। समय से पहले कहने वाला प्रज्ञा पुरूष होता है, समय से पहले सावधान करने वाले व्यक्ति को प्रज्ञा पुरूष कहते, वह बता देता है कि व व समय समय ऐस razón
वह जीवन कैसा होगा? वह समय कैसे होगा जब आप में हुंकार नहीं होगी, ताकत नहीं होगी और आप मृत्यु से ग्रagaस बन जायेंगे? वह क्या जीवन होगा? जब आपके पास आयुध बल नहीं होगा तब फिर काली और भुवनेश्वरी और छिन्नमस्ता ये देवी देवत mí. कृष्ण क्या कर पायेंगे? इसलिये नहीं कर पायेंगे कि आप में वह त siguez इसलिये जीवन का मूल अर्थ, जीवन क mí दस भाई मिलक quede
अगर आप असुरक्षित हैं और जैसा समय बह रहok है तो तो समाप्त होने की क्रिया है।।।।।।। फिर हमारी विद्या का क्या अर्थ होगा, फिर जो मैं तीस चालीस साल से चीख ¢ endr. ¿Está bien? ¿Está bien? और अगर मैं चिंता मिटाऊंगा नहीं तो आप क्या मंत्ág. ¿Está bien? ¿Está bien? ¿Está bien? ¿Está bien? ¿Está bien?
कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। एक अंधकार दिखाई दे रहा है। आज आप इस बात को नहीं समझ पाये, कल समझें यह अलग बहै कल हाथ पैर पटकते हुये मर जायें, तो आपके जीवन क mí कौन सा आपका बेटा वहां काम आयेगा, कौन सा पिता काम आयेगा, वह आपको प mí
एक क्षमता और एक ताकत आपके काम आ पायेगी औecer जब क्षीर सागर मंथन हुआ, स sigue. श्री ¢ ंभ वारूणी अमिय शंख गजराज तो और देवता बहुत थे थे, ताकतवान भी थे, मगर हुंकार करने वाले भगवान विष्णु थे और लक्ष्मी उनके बगल ज जर खड़ी हो।।। विष्णु स्त्री भी वरण ताकतवान का ही करती है, वह भी अपने आप में गर्व करती है कि मेरा पति ताकतवान है, क्षमतावान है। व्यक्ति भी अपने आप में जब हुंकार करता है तो वह एहसास करता है कि मैं कुछ।।।।।।।।।।।।।।। यदि आप कुछ हैं तो फिर जीवन है आपका। अन्यथा वह एक घसीटता हुआ जीवन है, रेंगतok हुआ जीवन है, वह मृत्यु प्रagaयः जीवन।।।।।।।।।।।।।
आप देखेंगे कि सैकड़ों ऐसे व्यक्ति हैं जो सुबह शाम चिंताये आपको देते रहेंगे। वे इसके अलावा आपको कुछ दे ही नहीं सकते- आपके पिता, भाई, पत्नी, बहन, बेटी! आप चौबीस घंटे का हिसाब लगा लें, कोई न कोई तन mí, कोई न कोई चिंता ही वे आपको। उन को काटने की आप में क्षमता है ही नहीं नहीं, न रोगों को काटने की क्षमता है, न शत्रुओं पर हावी होने की क्षमता है, क्योंकि आपके प प शस uto uto है नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं eléctrico eléctrica आपके demás मृत्यु पर विजय प्राप्त करने की क्रिया आपके पऀहस ह ¿Está bien? ऐसा कैसे हो सकता है?
संभव नहीं हो सकता। आप में दुर्बलता आये ही नहीं। इच्छा मृत्यु बने और हम मृत्यु को प्रagaप्त करना चाहते ही।।।।।।।।।।। इच्छा मृत्यु का तो मतलब है कि हम मरेंगे ही, भीष्म कह रहे हैं- मैं चाहूं जब मरूं और मैं कह रहा हूं कि भीष्म यहां काय razón था कि उसने कह इच favor मृत्यु हमारे पास आने की हिम्मत कर सके वह संभव नह नह विश्वामित्र ने कहा- ब्रह्मा मैं तुम्हारी चिंता नहीं करता हूँ। एक नवीन ब्रह्माण्ड रच कर दिखा दूंगा। मैं हूं, मैं गुरू हूं और मैं समझता हूं, वह विश्वामित्र था। इसलिये उसका व्यक्व मुझे शोभनीय लगत mí यम को पैरों के तले रौंदने की क्रिया है। जीवन में एक उचutar उसने कह sigue- तुम एक दिन मर सकोगे, मैं नहीं मर सकता, संभव नह।ै ॹ
इसलिये भीष्म से भी त sigue. क्योंकि उनके गुरू ने समझाया था- मृत्यु चीज कहां है, कहां से आई।।।।।।।। मृत्यु दरवाजे पर ठक-ठक करती है, एक सौ आठ बार आती है, कभी आपके सिर के बाल सफेद करते हुये आती है, कभी आपके आंखें निस्तेज करते हुये आती है, तीसरी बार आती है तो खून की कमी करते हुये आती है, फिर बीमारी बनते हुये आती है। एक सौ आठ बार दरवाजा खटखटाकर मृत्यु आपके पास आती है और उसमें से पचास बार खटखटा चुकी है।।।।।।।।।।।।।।।। केवल लकडि़यों की चिता पर जाकर सो जाने को मृत्यु नहीं कहते।
ऐसा गुरू भी क्या काम का जो कहे- राम-corresponde भगवान जो करेगा तो करेगा पर हम क्या करेंगे यह सनझा भगवान को भी समझा देंगे की कैसे किया जाता है। हममें वह ताकत है, वह क्षमता है। भगवान तो अच्छा कर ही रहे हैं। बम फट रहे हैं भगवान अच्छा कर रहे हैं! हम क्या कर रहे हैं? हम कैसे पौरूषवान बन सकते हैं, कैसे ताकतवान बन सकते हैं, कैसे इंद्र बन सकते हैं, कैसे पूर्ण अग्निमय बन सकते हैं, कैसे देवतामय बन सकते हैं- यह यह आवश है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है आप में क्षमता कहां से आयेगी- हाथ जोड़ने से, गिड़गिड़ाने से, पांव में पड़ने से से से से से से से से से से से से से से ¿Está bien? औरत के सामने बिल्कुल निस्तेज भीगी बिल्ली बनकर आप पौरूषवान बन जायेंगे?
¿Está bien? ¿? ऐसे जीवन में तो आप घुट-घुट कर बीस साल में मरेंगे ही मरेंगे, रोते-corresponde मरेंगे, घुट-घुट कर मरेंगे। मृत्यु जैसी चीज आपके साथ जुड़े नहीं, जीवन जुडे़, हंसी जुड़े, मस्ती जुड़े, साहस जुड़े। मैं कह रहा हूँ आपके चेहरे पर मुस्कुराहट खिलखिलाहट होनी चाहिये, हंसी होनी चाहिये। मगर आपको बर marca वेदना, चिंता, समस्यायें, बाधाये, कठिनाईयां, पग-पग पर मिल रही हैं।।।।।।।।।। आप अपना पिछला दस दिन का ही इतिहास देख लें। कितने तनाव आपको मिले आप खुद हिसाब लगा लें। सड़क पर निकलते हैं तो आप भयभीत रहते हैं। लड़का एक घंटा लेट आता है तो कांप जाते हैं। पति ऑफिस से आने में लेट हो जाता है तो आंखों से आंसू निकल आते हैं।
यह सब क्या है? इतना तनाव, इतना जहर फैल गया है, देश में, संसार में कि आदमी हर पल हो हो गया है, दुःखी हो गया है, चिंत sigue जाते हैं सड़क पर परंतु लौटेंगे, कोई भरोसा नह।ं ।
पिक्चर देखने गये हॉल में, बम फट गया और ढाई सौ लोग मर गये, उनका कसूर क्या था? ¿Está bien? मृत्यु तो प्रत्येक पल दरवाजा खटखटा ही रही है और मैं आपको कह ivamente हूं आपको मुस्कुरenas चाहिये।। मैं कह रहा हूं आप में छलछलाहट होनी चाहिये। वह तब आयेगी जब आप निश्चिंत हो जायेंगे कि मृत्यु मेenas वरण करे यह संभव नहीं है है है होना चा चाहिये जीवन।।।।।।।।।। तब मैं समझूंगा कि शिष्यों को मैं कुछ दे पाया। यदि आपको किसी ने मुस्कुराहट भी दी हो, तो मुस्कुenas के नीचे दबी हुई सिसकारियां भी होंगी।।।।।।।।।।।।।। उस मुस्कुenas के नीचे दबा हुआ रूदन भी होगा, आंखों में आंसू भी।। ऊपर से नकली मुस्कुराहट होगी। वह जीवन नहीं है। जीवन हुंकारमय है, ताकतवान है, क्षमतावान है, जोश है वह जवानी का एक दर्प है है, वह व्यक्ति में होना चाहिये, चाहे आप मेरे शिष्य हों या है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico आप mío आप mío शिष demás आप ऐस mí
जब मैंने पहली बार ली तो दीक्षा उन गुरू ने कहा- मैं बाद में तुम्हें दीक्षा दूंगा, पहले दीक्षा देना चाहता हूं कि तुम आपमें आपमें पौरूषवान बनो, झुकोगे प प ।xto मृत्यु तुम्हारा वरण नहीं कर सके। मृत्यु तुम्हाisiones
जब मैं मैं सिद सिद uto– गय तो सबसे पहले उन उन uto उन uto मुझे मुझे यह दीक ender दी कि कि मृत्यु तुम्हाomet. उस जीवन में जहां तुम्हें भेज रहा हूँ, वहां पग-पग पर केवल युद्ध है, लड़ाई है, चाकू है, छुरे हैं, बम है, पिस्तौल है, तलवार है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पिस पिस पिस favor इसके अलावा कुछ है ही नहीं, चाहे आप फिल्म देख लें, चाहे टी-वी- देख लें, चाहे सड़क देख लें, चाहे घर देख।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हर जगह आप सशंकित और तनाव युक्त हैं। फिरजीवन क्या काम का? न मालूम कब यम आकर समाप्त कर दे, मृत्यु पकड़ ले और हमारी सारी इच्छाये जो भी आपको आपको सिखाया वह क्या काम आया आपके? मेरा कहना बेकार, आपका सुनना बेकार।
मैं कहां बता पाऊंगा की ये मेरे शिष्य हैं जो ताकतवान हैं और यदि मैं आपको क्षमता नहीं प पाऊंगा तो दे प पायेगा? अगर मैं खुद अपना कर्त्य पू पूर gas. मैंने कह दिय mí मैं समझता हूँ कि इसके नीचे कितनी वेदना, कितनी आग और कितना मृत्यु भय।। उस मृत्यु भय से परे हटना जीवन का सौन्दर्य है। जब आप निश्चिंत हो पायेंगे तब आप में हिलोर उठ पीाय पांडव निशि्ंचत थे, अर्जुन निशि्ंचत था कि कृष्ण मेरे पीछे है है। कृष्ण अपने आप में निश्चिंत थे कि मेरे पीछे मेरे गुरू सांदीपन खड़े हैं, जिन्होंने मुझे मृत्युंजयी दीक्षा दी है।।।।।।।।।।। मृत्युंजयी दीक्षा का अर्थ है मृत्यु पर विजय प्रagaप्त करने की क्रिया- मृत्यु का मतलब वेदना!
आपके कंधे पर आपके बेटे की अर्थी चली जाये इससे ज्यादा दुखमय हो हो ही नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।। पत्नी के सामने पति की मृत्यु हो ज sigue. आप ¢ तड़पते हुए हुए बिताये और नींद नहीं आये इससे ज्यादा दुःख क्या हो सकता है? आप की आंखों की ज्योति कमजोर हो जाये आप सिसकते रहें, अस्पताल में पड़े रहें वह आपका जीवन क्या हो सकता है? क्या वह जीवन है? ¿Está bien? इसलिये जीवन की मुस्कुराहट एक अलग चीज है, एक नकली मुस्कुenas एक अलग चीज है।।।।।।।।। है है है है जो आप मुस्कुरículo हैं, वह सौ प्रतिशत नकली मुस्कुरículo है है और आने वाला समय इतना भीषण है, जिसका हम आज से ही अनुभव क कर हे हैं और वे ग गbar अपने अपने बोल।। हे हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे
आप में से प्रत्येक व्यक्ति चिंताओं से ग्रस्त होगा, ऐसा समय आ रहok है।।।।। कौन संभालेगा, कौन समझायेगा आपको। कोई न कोई समस्या ऐसी आयेगी, कि आप बिल्कुल मृत्यु के पास खड़े।। आप का मतलब है आप आपकी पत्नी, बेटे, बेटियां, आपका परिवार, आपका धन, आपका यश और आपका सम्मान। आज प mí. क्या ताकत है आपकी? ¿Está bien?
आपकी इज्जत दो मिनट में चली गई और आपका जीवन समगप्ाप्ाथோ निenas भीकत जो आनी चाहिये वह निर्भीकता तब आयेगी जब आप निशि्ंचत हो जायेंगे कि अब मेरे जीवन या परिवार में कोई चिंता या तनाव आ नहीं सकत सकता। va इज्जत में कोई बट्टा लगा ही नहीं सकता। मृत्यु मेरे पास फटक नहीं सकती- मेरे पास ही नहीं, मेरे बेटे, बेटियों, पत्नी के पास भी।।।।।।।।। अभाव मेरे जीवन में आ नहीं सकता। दरिद्रता मेरे जीवन में नहीं आ सकती। मैं निशि्ंचत होकecerg मेरी दुर्घटना हो नहीं सकती और जो विद्या गुरू दे रहे हैं उसे पूर्णता तक पहुँचा सकूंगा क्योंकि मैं निशि्ंचत हूं, निर्भीक हूं, मेरे पीछे गुरू हैं जिन्होंने इस इस योग बन tima
ये क्रियाये हम भूल गये हैं। आज से पचास वर्ष पहले तक जब गुरू दीक्षा देते थे तो पहले उसे निर्भीक बनाने की क्रिया देते थे।।।।।।।।।।।।।।। मृत्यु को परे हटाने की क्रिया देते थे, फिर उसको शिष्य बनाते थे। अब हम सीधा शिष्य बना देते हैं। मैं अपनी खुद की आलोचना कर रहा हूँ। मगर जो आप धीरे-धीरे सिसक रहे हैं, उन आंसुओं को कौन देख पायेगा, उस वेदना को कैसे समझेंगे, कैसे दूर करेंगे। दूर तब कर सकेंगे जब आप निर्भीक हो पायेंगे। इसलिये हमारे शास्त् Prod. मंत्र का अर्थ है मैं बोलूं आप पर प्रभाव हो।
एक बंदूक की गोली दस फीट की दूरी से छोडूं और आप सम∂avor अर्थ रह जायेगा। इसलिये गुरू पहले दीक्षा देते ही नहीं थे। पहले पूर्णता के साथ मृत्यु से परे हटाने की क्रिया करते थे मेरे साथ मेरे गुरू ने वह क्रिया की, मेरे साथ और शिष्य थे उनके साथ की।।।।।।। मगर अब वैसे शिष्य रहे नहीं, अब वैसे गुरू भी नहीं ॰ह क्योंकि गुरूओं को वह ज्ञान नहीं रहok, शिष्यों में ग्रहण करने की शक्ति नहीं रही। दोनों में अंतर आया। इसलिये सीधा गुरू मंत्र दिया, गुरू अपने घर, शिषअ४रअ४ ¿Está bien? क्या गुरू दम ठोककर कह सकता है कि मैंने शिष्य को निर्भीक बनाया? ¿Está bien? ¿Está bien?
नहीं सुना। नहीं सुन mí गुरू ही समाप्त हो गये, शिष्यों की कमी नहीं थी उसमें औecer रोते हुये, कलपते हुए जीवन व्यतीत करेंगे भी क्या होगा आपका? फिर मैं आपको मंत्र किस लिये दे रहok हूँ क्यों दीक्षा दे रहok हूँ? ¿Está bien? कल आप मृत्यु को प्रagaप्त हो जायेंगे तो फायदा भी क्या इस सबका? आपके परिवार में कोई अकस्मात् मौत हो गई तो मैं कहां मुंह दिखा पाऊंगा, कैसे खड़ा हो पाऊंगा आपके सामने? आप कहेंगे- मैं तो अपने को समर्पित कर चुका आपके सामने, गुरूजी फिर क्या स्थिति बनी? ¿?
यह सारी मन में उथल-पुथल उस पंचांग को देखने के बाद आई और फिर मुझे श्लोक याद आया यमोपनिषद का- भौमवारे चतुर्दश त त दीवोदेव razónija चतुर्दशी हो और भौमवार हो, वह अपने आपमें एक योग हॾ हो आपने देखा होगा की अष्टमी होती है य mí कुछ साधनाये ऐसी होती हैं जो रात्रि को ही
मैंने पंचाग देखा वह योग देख mí ऊपर से तुमने कहा, वे मुस्कुरा दिये। जय गुरूदेव की हाथ जोड़कर बोल दिये। क्या तुमने उनको समझा? यह तुम जो देख रहे हो अष्टग्रही योग इससे दूर कौन हटायेगा इनको!
हो सकता है कल नहीं मिल पाये यें, हो सकता है कल शिविर में न आ पाये। हो सकता है छः महीने बाद नहीं मिल पायें और छः महीने में न मालूम क्या घटनाये घट जायेंगी, क्योंकि उतना सशंकित मैं हूँ, जितने हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं eléctrico आप उतने सशंकित हैं नहीं मगर मैं आपको लेकर सशंकित हूँ, क्योंकि मैं आपको हर हालत में जीवित और पौरूषवान देखना चाहता हूँ और जब मैं आप शब बोल बोल बोल हूँ आप आप आपकी पतguna सब azul. रहे हैं।
और समय ऐसा बिल्कुल स siguez पड़ोस में आपके सौ घर होंगे तो देख लेन mí आप निशि्ंचत होंगे इन सब के बीच। मगर यह तब हो पायेगा जब आपके पास मृत्यु से परे हटने की क्रिया होगी।।।।।।
निर्धनता को परे हटाने की क्रिया होगी। जब उनसे जूझने की आप में त siguez और शत्रु आपके पग-पग पág. संन्यासी जीवन में मेरे इतने शत्रु थे ही नहीं और गृहसutar हर क्षण एक व्यर्थ का तनाव लड़के तनाव ग् Estario
¿Está bien? कुछ होना ही नहीं क्योंकि शिष्य बनने से पहले मुझे दीक्षा ही वही मिली है। वही क्रिया मुझे मिली थी इसलिये न मैं कभी दुःखी होता हूं, न तनाव ग hubte कुछ क्षणों के लिये होता भी हूं तो आपकी वजह से कि इनसे मैंने क्या चालाकी भरा भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया, क्यanza वह चीज जो देनी च च थी थी क क तुमने व समय समय समय को देख देख देख देख देख देख देनी देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख.
¿Está bien? उन्होंने कब मना किया था। ¿? ¿Está bien? ¿? यह चिंतन मेरा भी रहok और पिछले कुछ समय से इस चिंता में रहा।
कृष्ण जब ललकारते है तो इसलिये ललकारते हैं कि उनमें पौरूष है। विश्वामित्र हिम्मत के साथ बोलते हैं सब ऋषियों के सामने तो इसलिये कि उनमें पौरूष है औecer हो पायेगी- यह गारंटी की बात है।
मह sigue " बगलामुखी को देखें कि शत्रु पर पूर्ण हावी हो़र ख॥ह आइंस्टाइन के पेपर पढ़ें आप, उसने कहा- भारतीयों पर मुझे बहुत आश demás आइंस्टाइन ने अपने एक पत्र में लिखा है गांधी जी क ¿? भारतीयों के पास बगलामुखी जैसा उच्चकोटि का मंत्र होने के बाद भी गुलाम।।।।।।।।।। इस बात को देख-देख कर मैं आश्चर्य चकित हूं। इतना उच्चकोटि का मंत्र होने के बाद भी गुलाम हैं, मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं।।।।। उसने ऐसा अपने पत्र में गांधी को लिखा है।
हम उस मंत्र के महत्व को ही नहीं समझ पा रहे हैं। हम बिल्कुल हतप्रभ, निस्तेज और डरपोक बनते ज sigue. हरदम दुःखी और चिंतित होते जा रहे हैं और यह स्वाभाविक है क्योंकि आज का युग तनाव युक्त है।।।।।।। मगर आने वाला समय इससे भी हजार गुना वेदना युक्ई ॹ आपके लिये, मेरे लिये पूरे संसार के लिये। एक कोई सोच कि अणु बम पटक देन mí किसी का मांइड खराब होना चाहिये। एक इराक के साथ युद्ध हुआ पूरे संसार में युद्ध की स्थिति बन गई।।।।।।।। ऐसा कुछ और हुआ नहीं कि प्रलय की स्थिति बन जायेगीगी हम अपने आपको अपने परिवार को इसलिये हमारी महाविद्याओं की रचनok हुई और वह श्लोक बना कि समय समय साधना कर पूर्ण निर्भीक बना जा सकता है है है है है है है है है
और निर्भीक बनने की सर्वश्aga debe दस महाविद्याओं में लक्ष्मी युक्त भुवनेश्वरी भी है, भैरवी भी है, छिन्नमस्ता भी है, महाकाली भी है, बगलामुखी भी।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। बगलामुखी का अर्थ - मूल शब्द है वल्गा मुखी। वल्गा का अर्थ है लगाम। जैसे घोड़े के लग siguez जब ताकत की ब siguez घोडे की ताकत से उसका अंदाजा लगाते हैXNUMX उस यम के मुंह में लग siguez यम हमारे पैरों के नीचे कुचला हुआ रहे। क्योंकि हम देवताओं से भी श्रेष्ठ हैं, हम मनुषथहै देवताओं से हम उच्चकोटि के है। और इस बात का हमें गर्व है। यह मेरा कर्त्य है कि मैं शिष्यों को वह क्रिया सम्पन्न करा दूं कि जीवन में वे और उनका परिवार में मृत को प प favor
और यह क्रिया कालरात्रि में ही सम्पन्न हो सकती है कालरात्रि का अर्थ है- काल पर विजय प्राप्त करने की क्रिया, मृत्यु पर पूर्ण विजय होने की क्रिया और मृत्यु का अर्थ मैंने आपको समझा दिया है- अभाव, दरिद्रता, निर्धनता, गरीबी, मृत्यु और जीवन की न्यूनताये, वृद्धावस्था और बुढ़ापा। ये सब कुछ अपने आप में मृत्यु है। क्षण-क्षण हम मृत्यु की ओecer ¿Está bien? ¿Está bien? आप ब sigue. क्या हुआ? पत्नी, पति, बेटे, बेटिय siguez
मैं अपने आप में उच्चता पर खड़ा हो जाऊं वह बहुत बड़ी क्रिया नहीं होगी।।।।।।।। मोर पंखों से अच्छा लगता है। ¿Está bien? ¿Está bien? मेenas गुरू बनना भी बेकार होगा, अगर मैं आपको यह ज्ञान नहीं दे पाया तो। महाकाल युक्त बगलामुखी दीक्षा ही वह माध्यम है, क्रिया है जिससे पूर्ण तनाव मुक्त हो हैं, मृत्यु को भी पैरों तले ौद सकते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। यह अपने आप में कठिन दीक्षा है, जो एक सद्गुisiones शिष्यों के जीवन से मृत्यु को हट mí ऐसे बहुत कम उद sigue.
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हे महाकाल! जिस प्रकार से बाघ की दाढों में एक हिरन फंस जाता है और छटपटाता है प प्रक♣ से प्रत्येक मनुष्य आपकी दाढों में फंसा हुआ छटपटा endr. कब आपके जबड़े मिलें औág. इसीलिये इस जीवन को पानी का बुलबुला कहा गया है, या क्षण भंगुecer मगर ये शब्द उन लोगों ने गढ़े हैं जिनके पास ताकत नहीं थी, क्षमता नहीं।। यह आपकी स्तुति उन लोगों ने की है जो दीन हीन और अकर्मण्य व्यक्तित्व थे।
अरे चातक! तू बार-बार इन बादलों से दीन वचन क्यों बोल रहा है॥ गर्जन्ती केचिद ता ये तो बेकार गर्जना कर रहे हैं॥ इसलिये जो तुम्हारी प्यास बुझा सके उसके सामाा या या इसलिये इस श्लोक में बताया है कि यह शब्द उन लोगों ने कहे जिनमें कर्मण्यता नहीं थी, ताकत नहीं, गुरूत्व नहीं था।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
और मैंने कई बार आपको स्पष्ट कहा है- कि गुरूत्व का मतलब कोई व्यक्ति विशेष नहीं।।।।।।।।।। कोई नाम नहीं है। एक उच्चकोटि की ज्योति को गुरूत्व कहा है और इस श्लोक में बताया गया है कि जिसके पास वह वह अपने आप में मृत मृत मृत प razón ऐसा ही मैं आप से वरदान चाहता हूं, मैं युद्ध में संघर्ष करता हुआ, आपको जीतूं और आपको परास्त करूं, ऐसा मैं आपसे आशीर importaद चाहताहताहत हूं हूं हूं।।।।।।।।।।।।।। क razón
यह व्यक्ति यमराज को ऐसा कह रहok है और ऐसा आशीर्वाद यमराज ने नचिकेता को दिया। अगला श्लोक मैं गुरूदेव के बारे में बोल रहok हूं जिन्होंने यह उच्चकोटि का ज्ञान दिया-
हे गुरूदेव! आप सutar मैं अपकी अनुमति लेता हुआ अपने शिष्यों को मृत्यु पर पांव रखते हुये निर्भीकता के साथ में जीवन व्यतीत करने को आशीenas देत देत हूँ।।।। हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ objetivo वे अपने जीवन में वह सब कुछ प्राप्त करें। जिसके माध्यम से उल्लास, आनंद, उमंग, यौवन, स्थिरता और देवत्व प्रagaप्त हो सके, ऐसा ही आपको आपको आशीर posterior और आप सद्गुरूदेव से पूर्ण महाकाल बगलामुखी दीक्षा प्रagaप्त कर सकें, जीवन में्यु पर विजय विजय्रículo कguna करते हुए नि बन ऐसी कतव तellas
परम् पूज्य
Sadhgurudev
Sr. Kailash Shrimali
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