इससे ऊँची साधना तो पृथ्वी पर होता ही नहीं, क्योंकि इस साधना से गुरूदेव पूर्ण ज्ञान, चेतना एवं सिद्धियों के साथ साधक के हृदय में स्थापित हो जाते हैं, और साधक का सारा शरीर, चेहरा तथा अंग-अंग तेजस्विता युक्त जगमगाने लग जाता है। साथ ही यह दुर्लभ साधना इस विशेष पर्व पर सम्पन्न करने से निश्चित ही की की प्σellas होती होती है, जीवन में में धन-ध धella, सुख-सुख में विस ° विसella एक विलक्षण स sigue "
समाज में तब तक आपकी प्रतिष demás ठ है, जब तक आप भौतिक जीवन में समृद्ध नहीं।।।।।।।।।।।।।। मातंगी साधना साधकों के मध्य विशेष रूप से जीवन के भौतिक पक्ष को सुधारने के लिये ही की जाती है।।। है है।।।।।।। इस साधना के फलस्वरूप साधक को कुटुम्ब सुख, पुत्र, पुत्रियों, पत्नी, सgon.
भौतिक जीवन जीने वाला हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, सौन्दर्यवान, आकर्षक बनना चाहता है, जिसका सरल और सहज उपाय है- अप्सरा साधना जो मनुष्यों ने तो क्या देवताओं तक ने किया है और जिसे उच्चकोटि के ऋषियों ने भी सम्पन्न किया है । इससे साधक के मन में प्रेम, उमंग, उत्साह, यौवन, रोग मुक्ति, चेहरे के चतुर्दिक आभामणutar जिससे आपको पूर्ण रूप से अमृतपान करने का लाभ प्रagaप demás होगा।
भय आपके प्रत्येक कार्य की पूर्णता में बाधक होता ही है, भयग्रस्त यक्ति न सthवयं के लिये कुछ कर सकता है, न सम सम को कुछ दे सकत है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। अतः यह साधना सम्पन्न करने के पश्चात् वातावरण में निर्भयता का संचार होता है, जिससे साधक में ऊर्जा, पराक्रम, आत्मविश्वास, निर्भयता, बल, पौरूषता में वृद्धि होती है और साधक सिंह तत्व को धारण कर सुख, शांति एवं उन्नति आदि सुस्थितियों को निश्चित रूप से प्राप्त कर पाता है।
स sigue " ये विशिष्ट स sigue "
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