इन सारे प्रश्नों की वैज्ञानिक व्याख्या हमारे आर्य ऋषियों ने की है औecer हम स्वयं का भी इन बातों को समझना आवश्यक है, और इस सम्बन्ध में अपनी शंकाओं का निराकरण कर बता सकें कि अमुक क्रियر क्यों आवश्यक है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है.
किसी भी कार plary व पूजन का प्रथम भाग संकल्प है, उसके पश्चात् आसनशोधन, आचमन, प्रagaणायाम, अर्घ इत्यादि क्σिय सम्पनellaन कीाती है है है है। है है है है है।।। है है है।।। है है है है है है है। है है है है है है है है। है है है है है है है है। है है है है। है है है है है है है है है है है की ज की ज ज favor. मनु स्मृति में लिखा है।
अर्थात् जीवन पर भावनाओं का गहरा प्रभाव पड़ता है संकल्प अनुष्ठान कर्म औecer संकल्प के द्वाisiones साधक अपने क्रियमाण कर्म के प्रति सर्वभाव से कटिबद्ध हो जाता है।।।।।।
आज के संसार में सभी देशों में कोई भी पद पदाधिकाometlar वास्तव में शपथ, संकल्प प्रणाली का ही निर्वाह है॥
यह हमारी संस्कृति का आदर्श वाक्य है, अर्थात् एक बार जो शपथ ले ली, वचन दे दिया उसका पालन अवश्य करना।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आजकल तो शपथ लेना एक आम बात हो गयी है।
बातचीत में, बाय गॉड, बाय फादर, बाय यू, साधारण बगहई ६ह इन शब्दों की यदि व्याख demás करें तो इसका सीधा अर्थ है यदि यदि मैं असत्य बोलूं तो भगवान मुझे सजा दें।।।।।। दें।।।।।।। दें
इसलिये हमारी संसutar
वर्तमान युग में मनुष्य अपने दैनिक क्रियाकलाप में समय नहीं निकाल पाता है।।।।।।। है। कई बार तो ऐसा होता है कि साधना करने की बहुत इच्छा होती हैं, लेकिन आवश्यक कार्य के कारण हम समय नहीं दे पते।।।।।।।।।।।।।।।। है है है पते। है नवरात्रि हो या अन्य पर्व, ग्रहण हो या सर्वार्थ सिद्धि योग योग, ¢ पुष्य या गुरू पुष्य, किसी लौकिक कारण से कभी-कभी मनुष मनुष उस समय स स क razón. ऐसी स्थिति में क्या करें, क्या केवल विशेष पल मुहूर्त में की गयी साधना सफल होती है।।।।।।।।।। इस हेतु शास्त्रों ने लिख mí
इसका यह तात demás है कि उचित समय पर संकल्प लेना आवश्यक है। संकल्प में मंत्र जप संख्या का उल्लेख अवश्य कंेइ आवश्यक है कि जो भी संकल्प लें उसे पूरा अवश्य करे संकल्प में आप गुरू को साक्षी रख रहे है। देवताओं को साक्षी रख रहे हैं, अपने हृदय को साक्षी रख रहे हैं।।।। शुद्ध संकल्प के साथ की गयी साधना क mí संकल्प का विकल्प नहीं ढूंढना चाहिये, संकल्प के माध्यम से ही इच्छा शक्ति दृढ़ होती।।।।।।।।।।।
संकल्प वह अनुष्ठान है जिसमें साधक अमुक अनुष्ठान कर्म के प्रति अपनी दृढ़निष्ठा औecer प् Est. जब हाथ -
ॐ विष्णुः तत्सत ब्रह्मणोऽह्रिद्वितीये
श्री श्वेतवा Paraalar
Kalipratham Chara Bharata Khande—–
इसका सीधा तात demás है कि हम अपनी उस चिरन्तन सत्ता का स्मरण करते हैं।।।।। संकल्प के रूप में उसी परम्परा में ईश्वर अर्थात् मन को साक्षी रखते हुये कारocar. आत्म mí ¿Está bien?
संकल्प करते समय जल को अपने हाथ में रखते हुये, देश काल क्रिया का सow. उनके साक्ष्य में जो प्रतिज्ञा सम्पन्न की जायेगी, वैज्ञानिक दृष्टि से जिस प्रकार हमारा शरीर ग्रहण किये गये अन्न का परिणाम है उसी प्रकार 'अपोमयाः प्राणाः' इस वेद प्रमाण के अनुसार प्राण शक्ति भी ग्रहण किये हुये जल का भाव है। प् Est. प्राण शक्ति के बिना कर्म शक्ति भी जाग्रत नहीं सो
इसीलिये प्रagaण शक्ति के जनक जल का स्परorar.
जब हम कोई लकutar. यह सत्य है कि संकल्प औecer संकल्प से हमारी बुद्धि लक्ष्य के प् Estendió कभी तमोगुण से प्रभावित होकर, मानसिक संकल्पों से युक्त होकर असत्य, अन्याय, अधर्म, अत्याचाचeccion sirión, भ्रष्टाचा razón इसीलिये संकल्प सुक्त में कहा गया है- तन्मे मनः शिव संकलutar.
जब हमें किसी कार pto में असफलता प्र sigueal विचार करना चाहिये कि हमारे सामर्थ्य में कहीं कुछ कमी तो नहीं रही, हमारी क्रिया करने की शैली में हो सकती है है, क्योंकि असफलता के पीछे यही मुख enderega क क होत।।।।. अतः दोषों को पहचान क debe.
सबसे बड़ा हमार marca किसी भी लक्ष्य के लिये हमें संकल्प भी उतनी ही दृढ़ता, स्वच्छता के साथ लेना होगा तथा उतना ही पुरूषार्थ के साथ कoque करना होग gaste होग।।।।।. तो आप सब संकलutar.
nidhi shrimali
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