एक उत्तम मनुष्य जीवन के लिये यह आवश्यक है कि उसक mí जीवन में ग्रह के उचित अनुप mí इसके लिये आवश्यक है, दुर्बल ग्रह की पुष्टता के लिये उससे सम्बन्धित धातु एवं ivamente उनमें एक ivamente है है माणिक, माणक या माणिक्य इसे संस्कृत में पद्मराग कहते।।।।।।।।।।।
फारसी में इसे याकूत, उर्दू में चुन्नी और अंग्रेजी में रूबी कहते हैं।।।।।।।।।।।। यह मुख्यतः तीन प्रकार के पत्थरों से प्राप्त हྥथहྋथ सौगन्धिक पत्थर से उत्पन्न माणिक भ्रमár.
मुख्यतः माणिक कई रंगों में पाया जाता है। यथा लाल, ivamente काबुल, लंक sigue. विन्ध्याचल और हिमालय के अंचलों में भी इसकी ख siguez
माणिक मुख्यतः सूर्य का रत्न है और सूर्य कालपुरूष की आत्मा कहा जाता है।।।।।।। यह पुरूष ग्रह, ताँबे के रंग के समान दैदीप्यमान, पूर्व दिशा का स्वामी और पापग्रह है।।।।।। यदि जन्मकुण्डली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं हो तो म sigue
लग्न में सूर्य हो तो, क्योंकि लग्नस्थ सूर्य संतान-बा, अल्प संतति एवं स्त्enas के लिये कष कष्ellas
धन स्थान या द्वितीय स्थान का सूर्य धनप्रagaप demás में बाधक ही ivamente हत है।।।।।।।। नौकरी में वह कई प्रकार से कष्ट सहन करता है, अतः ऐसी स्थिति में सूर्य-corresponde
यदि किसी की जन्मकुण्डली में तीसरे भाव में सूर्य हो और उसके छोटे भाई जीवित न ¢ हों हों, तो उसे सूivamente को को प्रसन्न करने के लिये म म ध razónण करन च च च Ndos
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रक्तचाप, अनियमित दिल की धड़कन या ध् Estó
यह रत्न धारण करने से राजनीति और उच्च काisiones
माणिक रत्न धारण करने से व्यकorar.
गहरे लाल ¢ ¢ त को धारण करने से दिल में प्रेम, करूणा, उत्साव व जोश का संचार होता है।।।।।।।।।।।।।।
इस ivamente के तेज के के प्रभाव से व्यक्तित्व में एक अलग सा आकर्षण आता है।
माणिक धारण करने से जातक को अवसाद से लड़ने में मदद प्रagaप्त होती है और नेत्र व ¢ ocup
माणिक दाहिने हाथ की अनामिका उँगली में धारण करेकंेक यदि सूरorar. इससे सभी प्रकार की बाधाओं का शमन होता है।
किसी भी रविवार को प्र sigue
मंत्र का 51 बार जप कecer
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